बिहार की इस सीट पर साहब बीबी और गैंगस्टर में कौन भारी देश भर में चर्चा

बिहार में सीवान लोकसभा क्षेत्र बीते कई चुनावों से चर्चा में रहा है. राजद के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन के निधन के बाद यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हो रहा है. इससे पहले के सात चुनावों में वह या उनकी पत्नी राजद के टिकट पर मैदान में रहे. लेकिन, इस बार उनकी पत्नी हीना शहाब निर्दलीय ताल ठोक रही हैं.

बिहार की इस सीट पर साहब बीबी और गैंगस्टर में कौन भारी देश भर में चर्चा
लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार की एक लोकसभा सीट की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है. यह सीट है सीवान. सीवान एक दौर में बाहुबली पूर्व सांसद दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन का गढ़ था. 2021 में कोरोना की वजह से उनकी मौत के बाद इस चुनाव में सीवान की पूरी फिजा बदली हुई हैं. यहां से उनकी पत्नी हीना शहाब निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं. उनके सामने जदयू ने एक अन्य बाहुबली की पत्नी और मौजूदा सांसद का टिकट काटकर अपने एक पूर्व विधायक की पत्नी को टिकट दिया है. दूसरी तरफ, राजद ने यहां से पूर्व विधानसभा स्पीकर और सीवान सदन सीट से विधायक अवध बिहारी चौधरी को मैदान में उतारा है. इस तरह इस सीट पर साहब, बीबी और गैंगस्टर के बीच जंग बन गई है. सीवान में लोग शहाबुद्दीन को साहब कहकर संबोधित करते थे. दरअलस, सीवान की राजनीति के केंद्र में लंबे समय तक शहाबुद्दीन का प्रभाव रहा. वह यहां से चार बार सांसद बने. लेकिन, जब वह दोषी करार दे दिए गए तो राजद ने उनकी पत्नी हीना शहाब को सीवान के मैदान में उतारा. लेकिन, वह तीनों बार चुनाव हार गईं. फिर 2021 में कोरोना के कारण शहाबुद्दीन का दिल्ली के तिहाड़ जेल में निधन हो गया. इसके बाद से तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राजद ने उनसे दूरी बना ली. शहाबुद्दीन के निधन के बाद लालू परिवार के रुख को लेकर हीना शाहेब ने कई बार दुख जताया. फिर उन्होंने काफी पहले ही राजद से दूरी बनाने का फैसला कर लिया. हालांकि, इस चुनाव से पहले राजद ने उनको एक बार फिर साधने की कोशिश की, लेकिन वह निर्दलीय चुनाव लड़ने पर अड़ी रहीं. उन्होंने सीवान से 30 अप्रैल को अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया. जदयू से पूर्व विधायक की पत्नी मैदान में जदयू ने अपनी मौजूदा सांसद कविता सिंह का टिकट काट दिया है. कविता सिंह जिले के एक अन्य बाहुबली अजय सिंह की पत्नी हैं. उसने अपने एक पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा की पत्नी विजयलक्ष्मी कुशवाहा को मैदान में उतारा है. इस तरह से सीवान की लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है. राजद की प्रभाव जहां तक मौजूदा स्थिति की बात है तो सीवान लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की छह सीटें हैं. इन छह में से पांच पर महागठबंधन के विधायक हैं. सीवान सदर से राजद के वरिष्ठ नेता अवध बिहारी चौधरी, जीरादेई से भाकपा माले के अमरजीत कुशवाहा, दरौली से भापका माले के सत्यदेव राम, रघुनाथपुर से राजद के हरिशंकर यादव और बड़हरिया से राजद के बच्चा पांडे विधायक है. एक मात्र सीट दुरौंधा से भाजपा के करणजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह विधायक हैं. सीवान में राजद का मजबूत जनाधार होने के बावजूद इस चुनाव में लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है. 2019 का गणित 2019 के लोकसभा चुनाव में कविता सिंह करीब 1.17 लाख वोटों से जीती थीं. लेकिन, ध्यान देने वाली बात यह है कि उस चुनाव में यहां से भाकपा माले ने भी अपना उम्मीदवार उतारा था. ऐसी स्थिति में राजद की हीना शाहब को 3.31 लाख और भाकपा माले के अमरनाथ यादव के करीब 75 हजार वोट मिले थे. यानी 2019 में अगर राजद और भाकपा माले साथ चुनाव लड़ते को मुकाबला करीबी हो सकता था. जातीय समीकरण जहां तक सीवान के जातीय समीकरण की बात है तो अनुमान के मुताबिक यहां करीब तीन लाख मुस्लिम, 2.5 लाख यादव, 1.25 लाथ कुशवाहा और 80 हजार के आसपास साहनी वोटर हैं. इसके अलावा करीब चार लाख अगड़ी जाति और 2.5 लाख ईबीसी मतदाता हैं. मौजूदा स्थिति दिवंगत शहाबुद्दीन को हमेशा से सभी वर्गों से कुछ न कुछ वोट मिलता रहा. लेकिन, इस चुनाव में जमीनी हकीकत यह है कि यहां विजयलक्ष्मी कुशवाहा के पति रमेश सिंह कुशवाहा का अतीत उनके सामने आ गया है. दरअसल, अपने शुरुआती राजनीतिक जीवन में रमेश कुशवाहा भाकपा माले के नेता हुआ करते थे. एक चुनाव में इनके लिए ही प्रचार करने जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष चंद्रशेखर सीवान गए थे, तभी उनकी हत्या हो गई थी. 1990 और 2000 के दशक में भाकपा माले की राजनीति से अगड़ी जाति का एक वर्ग असहज था. ऐसे में वह उस समय शहाबुद्दीन के साथ हो गया था. इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में रमेश कुशवाहा का यही अतीत एक बार फिर आड़े आने लगा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगड़ी जाति के मतदाताओं का एक वर्ग इस चुनाव में भी हीना शाहब के साथ जा सकता है. ऐसे में भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन के बावजूद रमेश कुशवाहा की पत्नी विजयलक्ष्मी के लिए यह चुनाव आसान नहीं रह जाएगा. इस त्रिकोणीय मुकाबले में राजद से अवध बिहारी चौधरी ताल ठोक रहे हैं, लेकिन उलझे हुए समीकरण में उनके सामने कोई ठोस वोट बैंक नहीं दिख रहा है. उनको मुख्य रूप से यादव वोटर्स का समर्थन मिलने की संभावना है. अब यहां देखना दिलचस्प होगा कि मुस्लिम मतदाता राजद के साथ जाते हैं या फिर हीना शाहब के साथ. दूसरी तरफ अगड़ी जाति के मतदाता जदयू-भाजपा के उम्मीदवार को कितना वोट करते हैं. Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Siwan lok sabha electionFIRST PUBLISHED : May 8, 2024, 16:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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