17 राज्यों में जमीनों का बंजर बना रही ये कांग्रेस घासपशुओं के लिए भी घातक

कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि 1955 में भारत ने अमेरिका से गेहूं आयात किया. इसके अलावा विदेशों से गेहूं का बीज भी मंगाया. इसी दौरान गेहूं और विदेशी बीजों के साथ गाजर घास भी भारत आ गई. धीरे-धीरे यह तेजी के साथ फैलने लगी और अब आमतौर पर सड़क किनारे आपको खड़ी हुई देखने मिल जाएगी.

17 राज्यों में जमीनों का बंजर बना रही ये कांग्रेस घासपशुओं के लिए भी घातक
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : दुनिया भर में जितने पेड़-पौधे हैं सब अपने आप में बेहद खास होते हैं. उनके उगने से पर्यावरण को भी फायदा होता है, लेकिन कुछ पेड़-पौधे ऐसे भी हैं जो अगर आपके आसपास उग आएं तो आपके लिए जी का जंजाल बन सकते हैं, यानी कि बेहद हानिकारक हो सकते हैं. ऐसे ही एक घास है, जिसका नाम भारत की एक राजनीतिक पार्टी के नाम से जाना जाता है. हम बात कर रहे हैं कांग्रेस घास यानी कि गाजर घास (Parthenium hysterophorus) की. दिखने में खूबसूरत लगने वाली यह घास किसी भी उपजाऊ जमीन को बंजर बना सकती है. खेत के साथ ही पशुओं और मनुष्यों को भी जानलेवा बीमारी दे सकता है. यह घास बेहद तेजी से उगती है. इस घास को हटाना भी एक बेहद जटिल प्रक्रिया है. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि देश की आजादी के बाद “सोने की चिड़िया ” कहा जाने वाला हमारा देश दाने-दाने को मोहताज हो गई. भारत में अनाज की भारी कमी हुई. तो वर्ष 1955 में भारत ने अमेरिका से गेहूं आयात किया. इसके अलावा विदेशों से गेहूं का बीज भी मंगाया. इसी दौरान गेहूं और विदेशी बीजों के साथ गाजर घास भी भारत आ गई. धीरे-धीरे यह तेजी के साथ फैलने लगी और अब आमतौर पर सड़क किनारे आपको खड़ी हुई देखने मिल जाएगी. तेजी से फैलती है कांग्रेस घास डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि कांग्रेस ग्रास 3 से 4 महीने में अपना पूरा जीवन चक्र पूरा कर लेती है. कांग्रेस घास एक वर्ग मीटर में 1 लाख 54 हजार नए पौधों को जन्म देती है. इस खरपतवार की 20 प्रजातियां पूरे विश्व में पाई जाती हैं. अमेरिका, मैक्सिको, वेस्टइंडीज, भारत, चीन, नेपाल, वियतनाम और आस्ट्रेलिया के विभिन्न भागों में पाई जाती है. भारत में आज़ादी के बाद अमेरिका से आयात किए गए गेहूं के साथ ये घास भारत आई. बहुत कम समय में तेजी के साथ यह बड़े क्षेत्रफल में फैल गई. यह घास जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर-प्रदेश, मध्यप्रदेश, उडीसा, पश्चिमी बंगाल, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश और नागालैण्ड के कई इलाकों में पाई जाती है. पशुओं के लिए जानलेवा हो सकती है कांग्रेस घास डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि कांग्रेस घास के लगातार संर्पक में आने से मनुष्यों में डरमेटाइटिस, एक्जिमा, एर्लजी, बुखार और दमा की बीमारियां हो जाती हैं. पशुओं के लिए भी यह खतरनाक है. कांग्रेस घास से पशुओं में कई प्रकार के रोग हो जाते हैं. दुधारू पशुओं के दूध में कडवाहट आने लगती है. पशुओं द्वारा अधिक मात्रा में इसे खाने से उनकी मौत भी हो सकती है. कैसे करें कांग्रेस घास की रोकथाम डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि कांग्रेस घास की रोकथाम के लिए यांत्रिक, रासायनिक एवं जैविक विधियों का उपयोग किया जाता है. गैरकृषि क्षेत्रों में इसके नियंत्रण के लिए शाकनाशी रसायन एट्राजिन (Atrazine) का प्रयोग फूल आने से पहले 1.5 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल में छिड़काव कर दें. ग्लाइफोसेट (Glyphosate) 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर और मेट्रीब्यूजिन(metribuzin) 2 किग्रा. तत्व प्रति हेक्टेयर का प्रयोग फूल आने से पहले कर दिया जाए तो इसको नष्ट किया जा सकता है. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 17:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed