जानिए शिवरात्रि में किसने शुरू की शिवलिंग पर जल अर्पित करने की परंपरा और क्यो
जानिए शिवरात्रि में किसने शुरू की शिवलिंग पर जल अर्पित करने की परंपरा और क्यो
Shivling Par Jal kyon krte hai Arpit: पंडित संजय उपाध्याय बताते हैं कि शिवरात्रि पर जल चढ़ाने की परंपरा का प्रारंभ सबसे पहले भगवान श्रीराम ने किया था. त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम वनवास के दौरान लंका पर आक्रमण की तैयारी कर रहे थे. तब उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की और भगवान शिव की आराधना की. इस दौरान उन्होंने शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक किया. इससे यह परंपरा आरंभ हुई.
अभिषेक जायसवाल /वाराणसी: शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है. इस दिन भगवान शिव की आराधना और जलाभिषेक करने से भक्तों को दोगुना पुण्य प्राप्त होता है. इस मान्यता के पीछे धार्मिक और पौराणिक कथाओं का महत्वपूर्ण योगदान है. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. संजय उपाध्याय ने इस परंपरा और इसके महत्व को सिलसिलेवार बताने का प्रयास किया है, आइए जानते हैं.
पंडित संजय उपाध्याय बताते हैं कि शिवरात्रि पर जल चढ़ाने की परंपरा का प्रारंभ सबसे पहले भगवान श्रीराम ने किया था. त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम वनवास के दौरान लंका पर आक्रमण की तैयारी कर रहे थे. तब उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की और भगवान शिव की आराधना की. इस दौरान उन्होंने शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक किया. इससे यह परंपरा आरंभ हुई. शिवरात्रि पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से सभी पापों का नाश होता है. और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.
शिवरात्रि और दोगुना पुण्य
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को जल चढ़ाने से दोगुना पुण्य मिलता है. इसका कारण यह है कि यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का दिन माना जाता है. इस दिन भगवान शिव का विशेष पूजन और जलाभिषेक करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वे भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं. पंडित उपाध्याय के अनुसार, शिवरात्रि पर जलाभिषेक करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. यह जीवन के सभी दोषों का निवारण करता है.
शिवरात्रि पर जल चढ़ाने की विधि
शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए गंगा जल या किसी पवित्र नदी का जल सबसे उत्तम माना जाता है. इसके साथ ही दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से भी अभिषेक किया जा सकता है. अभिषेक के समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए और भगवान शिव से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करनी चाहिए. इसके अलावा आप पंचोपचार, दशोपचार, षोडशोपचार और राजोपचार विधि से भी भगवान शिव का पूजन और अभिषेक कर सकते हैं.
Tags: Dharma Aastha, Dharma Culture, Latest news hindi, Local18, Sawan Month, Sawan somvar, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : August 2, 2024, 12:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed