अब बिना चार्जर के भी चार्ज हो सकेंगी ईवी गाड़ी

इस नए आविष्कार में वायरलेस चार्जिंग तकनीक का उपयोग किया गया है, जो गाड़ी के चार्जिंग स्टेशन पर पहुंचते ही सक्रिय हो जाती है. इस प्रोजेक्ट को गाजियाबाद के प्रतिष्ठित हाईटेक इंजीनियरिंग कॉलेज के पांच छात्रों की एक टीम ने विकसित किया है.

अब बिना चार्जर के भी चार्ज हो सकेंगी ईवी गाड़ी
गाजियाबाद: देश के उभरते हुए इंजीनियरिंग छात्रों ने एक ऐसा आविष्कार किया है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की चार्जिंग में एक नई क्रांति ला सकता है. इस तकनीक के माध्यम से अब ईवी गाड़ियों को स्टेशन पर पहुंचने के बाद बिना सॉकेट और चार्जर के चार्ज किया जा सकेगा. इस क्रांतिकारी प्रौद्योगिकी से न केवल ईवी की चार्जिंग प्रक्रिया को सरल और तेज बनाया गया है, बल्कि यह भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के भविष्य को भी सुरक्षित करने में मददगार साबित हो सकती है. इस नए आविष्कार में वायरलेस चार्जिंग तकनीक का उपयोग किया गया है, जो गाड़ी के चार्जिंग स्टेशन पर पहुंचते ही सक्रिय हो जाती है. इसमें चुंबकीय अनुनाद तकनीक (magnetic resonance technology) का उपयोग किया गया है, जिससे वाहन और चार्जिंग स्टेशन के बीच विद्युत प्रवाह बिना किसी भौतिक संपर्क के संचारित होता है. यह तकनीक वाहनों में पहले से लगे छोटे रिसीवर के माध्यम से काम करती है, जो चार्जिंग प्लेटफार्म से ऊर्जा को प्राप्त करके बैटरी में स्थानांतरित करता है. छात्र टीम और उनके प्रेरणास्रोत इस प्रोजेक्ट को गाजियाबाद के प्रतिष्ठित हाईटेक इंजीनियरिंग कॉलेज के पांच छात्रों की एक टीम ने विकसित किया है. टीम का नेतृत्व करने वाले छात्र सौरभ चौधरी ने बताया, “हमारी कोशिश थी कि ईवी चार्जिंग को इतना सहज और आसान बनाया जाए कि लोग इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में संकोच न करें.” उनकी प्रेरणा दुनिया भर में बढ़ते हुए प्रदूषण और ईंधन की खपत को कम करना है. उनका मानना है कि यदि यह तकनीक व्यापक स्तर पर अपनाई गई तो पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता काफी हद तक कम हो सकती है. भविष्य की संभावनाएं यह तकनीक न सिर्फ चार्जिंग समय को कम करेगी बल्कि चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की लागत भी घटाएगी, क्योंकि इसमें महंगे चार्जिंग उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती. इसके अलावा, यह सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित है और मौजूदा ईवी वाहनों में भी आसानी से अपग्रेड किया जा सकता है. वाहन उद्योग में क्रांति हाईटेक इंजीनियरिंग के डायरेक्टर मंदीप वर्मा ने इस आविष्कार की सराहना की है. उनका कहना है कि अगर यह तकनीक सफल होती है, तो यह भारत के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में क्रांति ला सकती है और देश को ग्रीन एनर्जी की दिशा में एक बड़ा कदम आगे ले जाने में मदद कर सकती है. छात्रों की इस पहल से भविष्य में ईवी गाड़ियों का उपयोग और भी व्यापक हो सकता है, जिससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान में कमी आएगी. Tags: Electric Car, Electric vehicle, Local18FIRST PUBLISHED : August 24, 2024, 13:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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