बेहद प्राचीन है बेरली का ये सात मंदिर भगवान शिव मनोकामना करते हैं पूर्ण
बेहद प्राचीन है बेरली का ये सात मंदिर भगवान शिव मनोकामना करते हैं पूर्ण
बरेली में कई प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जो बेहद प्रचीन होने के साथ भक्तों के लिए बड़ा आस्था का केन्द्र है. सभी मंदिरों का अपना एक अलग इतिहास है. सावन में ज्यादातर भक्त हरिद्वार, गढ़मुक्तेश्वर और कछला घाट से गंगाजल लाकर भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं.
बरेली. नाथ नगरी बरेली के लोगों को भगवान शिव के प्रति विशेष आस्था है. यहां भगवान शिव के कई प्राचाीन मंदिर और इसका इतिहास प्राचीन ही माना जाता है. यहां के शिव मंदिरों की विशेषता ऐसी है कि दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं. सावन के महीन में शिव मंदिरों में जलाभिषेक के लिए भक्ताें की लंबी कतार लग जाती है.
सावन में ज्यादातर भक्त हरिद्वार, गढ़मुक्तेश्वर और कछला घाट से गंगाजल लाकर भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई भी भक्त सच्चे दिल से बरेली के इन सात नाथों की पूजा करते हैं तो भगवान भोलेनाथ उसकी इच्छा अवश्य पूरी करते हैं. सावन के माह में इन सभी मंदिरों की परिक्रमा करना आवश्यक होता है.
अलखनाथ मंदिर की है अपनी अलग विशेषताएं
बरेली के सातो नाथ प्रचीन होने के साथ-साथ बेहद लोकप्रिय है. किला क्षेत्र में स्थित भगवान भोलेनाथ का एक ऐसा मंदिर है, जिसकी महिमा अपरंपार है. जी हां हम बात कर रहे हैं अलखनाथ मंदिर की. यह प्राचीन मंदिर है और इस मंदिर के महंत बाबा कालू गिरि महाराज बताते हैं कि यहां पहले बांस का जंगल हुआ करता था. तब एक बाबा आए थे, जिन्होंने यहां एक बरगद के नीचे कई सालों तक तपस्या कर धर्म का अलख जगाया था. तपस्वी के पास एक शिवलिंग भी था, जिसे यहीं स्थापित कर दिया और बाद में इसी बरगद के नीचे समाधि ले ली. इसके बाद इस मंदिर की प्रसिद्धि काफी बढ़ गई थी. यहां सालोभर भक्त आते हैं.
बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर का भी इतिहास है प्राचीन
बाबा त्रिवटी नाथ का इतिहास काफी चौका देने वाला है, क्योंकि यहां शिवलिंग स्वयं ही प्रकट हुआ है. बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर सेवा समिति के मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल ने बताया कि यहां महादेव स्वयं शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए . 600 साल पहले यहां बिल्कुल घना जंगल था. एक दिन पशु चराने आया एक चरवाहा यहां एक वट वृक्ष के नीचे सो गया. कहते हैं उसके सपने में स्वयं महादेव आये और कहा कि इस वट वृक्ष के नीचे विराजमान हैं. जब खुदाई की गई तो शिवलिंग निकला, जिसे यहीं स्थापित कर दिया गया था. तब से पूजा-अर्चना का दौर जारी है.
बाबा बनखंडी नाथ मंदिर की प्राथमिकता
बाबा बनखंडी नाथ मंदिर में भी बड़ी संख्या में भक्त पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. इस मंदिर के बारे में यह माना जाता है कि यह जाता है इसकी स्थापना राजा द्रुपद की बेटी द्रोपदी ने करवाई थी. वहीं इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि आलमगीर औरंगजेब के सिपाहियों ने सैकड़ों हाथियों के पीछे शिवलिंग को जंजीरों से बांध कर नष्ट कराने की कोशिश की, परंतु शिवलिंग अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ.
5 हजार साल पुराना है धोपेश्वर नाथ मंदिर
धोपेश्वर नाथ महादेव मंदिर का 5 हजार वर्ष पुराना इतिहास है. यह मंदिर बरेली कैंट के सदर बाजार में स्थित है. बाबा धोपेश्वर नाथ मंदिर एक अलौकिक शक्ति स्थल है. मंदिर कमेटी के सदस्य सतीश चंद मेहता ने बताया कि पहले इसका वर्णन धोमेश्वर नाथ के रूप में मिला था. बाद में इसे धोपेश्वर नाथ के नाम के जाना गया. यहां के महंत शिवानंद गिरी गोस्वामी महाराज हैं. उन्होंने बताया कि महाभारत में पांडवों के एक गुरु ध्रूम ऋषि ने यहां तपस्या की थी और यहीं अपना प्राण त्यागे थे. तब लोगों ने यहां उनकी समाधि बना दी. बाद में उस समाधि के ऊपर शिवलिंग की स्थापना की गई.
400 साल पुराना है इस मंदिर का इतिहास
कई संत और ऋषि-मुनियों का तपोस्थली कहा जाने वाला सुभाष नगर में श्री तपेश्वर नाथ मंदिर स्थित है. जहां पहले चारों तरफ जंगल ही जंगल हुआ करता था और यहां से गंगा भी बहा करती थी. इस मंदर की मान्यता यह है कि यहां एक पीपल का पेड़ था, जिसके नीचे से शिवलिंग प्रकट हुआ था. तब यहां भालू बाबा आए थे. जिसके बारे में यहां के महंत बाबा लखनदास महाराज बताते है कि भालू बाबा ने यहां 400 साल तक तपस्या की. इनके बाद और भी कई संत आते रहे और तपस्या का क्रम बना रहा. इसी के चलते कालांतर में यह स्थल श्री तपेश्वर नाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
इस तरह इस मंदिर का नाम पड़ा मढ़ीनाथ
मणि धारण किए सर्प के साथ आए बाबा के तपस्या करने के कारण इस मंदिर का नाम श्री मढ़ीनाथ मंदिर पड़ा. मढ़ीनाथ मोहल्ला स्थित इस मंदिर के महंत विशाल गिरी ने बताया कि यहां एक बाबा आए थे, जिनके पास मणिधारी सर्प था. उन्होंने यहां तपस्या की थी. खास बात यह भी है कि यहां आस-पास बसी घनी आबादी के मोहल्ले का नाम भी मढ़ीनाथ है.
22 साल पूर्व बना है प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर
नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के तर्ज पर पीलीभीत बाईपास के पास स्थित श्री पशुपति नाथ मंदिर बरेली के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण समाजसेवक जगमोहन सिंह ने करीब 22 साल पूर्व करवाया था. इसके अलावा यहां बड़े शिवलिंग के साथ ही छोटे-छोटे 108 शिवलिंग हैं. यहां के पुजारी सुशील शास्त्री ने बताया कि शिवरात्रि और सावन में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते हैं.
Tags: Bareilly news, Dharma Aastha, Local18, Lord Shiva, Sawan Month, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 14:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed