इस गांव की लड़कियां अपने भाई को नहीं बांधती हैं राखी वजह चीर देगी कलेजा

Raksha Bandhan 2024: गाजियाबाद के सुराणा गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है. जो त्यौहार मनाने की कोशिश करता है, तो उसके साथ अनहोनी हो जाती है. आइए जानते हैं आखिरकार इस गांव में रक्षाबंधन न मनाने की क्या वजह है.

इस गांव की लड़कियां अपने भाई को नहीं बांधती हैं राखी वजह चीर देगी कलेजा
विशाल झा /गाज़ियाबाद: 19 अगस्त को देश भर में रक्षाबंधन (Rakshabandhan 2024) का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा. गाजियाबाद के बड़े और पुराने बाजार सज चुके है. बाजारों में अलग-अलग प्रकार की राखियां बहनों का आकर्षण बनी हुई है. एक ओर बहनें अपने भाई के लिए उनकी पसंद की राखी खरीद रही हैं और भाई अपनी प्यारी बहन को देने के लिए गिफ्ट सोच रहे हैं. धीरे-धीरे अटूट प्रेम के बंधन का यह पावन पर्व नजदीक आ रहा है. लेकिन, गाजियाबाद से 35 किलोमीटर दूर मुरादनगर में एक गांव ऐसा भी है जहां रक्षाबंधन को लेकर कोई तैयारी नहीं हो रही है. इस गांव में वर्षों से रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है. यहां पर बहनों द्वारा भाइयों को राखी बांधना शुभ नहीं बल्कि अशुभ माना जाता है. जिन लोगों ने राखी का पावन त्यौहार मनाने की कोशिश भी कि उनके साथ अपशगुन हो गया. इस दिन न ही बहने सजती-संवरती है और न ही भाइयों की कलाई राखियों से भरी नजर आती है. गांव में भी इस दिन विशेष चहल पहल नहीं होती. दिल दहला देने वाली कहानी इस गांव में रक्षाबंधन का पर्व न मनाने का कारण हमें सुराणा में स्थित प्राचीन घूमेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी अखिलेश शर्मा ने बताया कि गांव का नाम पहले सोहनगढ़ हुआ करता था. यहां पर पृथ्वीराज चौहान के वंशज ने हिंडन किनारे शरण ली थी. यह बात मोहम्मद गौरी को पता चल गई फिर उसने गांव पर हमला कर दिया. जंगली हाथियों को उकसा के गांव वासियों को हाथी के नीचे कुचलवा दिया, जिसमें बड़ी संख्या में गांव के बच्चे, महिला और बुजुर्ग की निर्मम हत्या हो गई. जिस दिन यह सब हुआ उस दिन रक्षाबंधन का त्यौहार था. तब से लेकर आज तक छाबड़िया गोत्र का कोई भी व्यक्ति इस पर्व को नहीं मनाता है. बल्कि अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है. गांव के युवा भी नहीं बदलना चाहते परंपरा वर्ष पुरानी परंपरा को लेकर आज भी उतना ही डर है, जितना पहले हुआ करता था. Local 18 से बात करते हुए गांव के युवाओं ने बताया कि वह अपने पूर्वजों का सम्मान करते है. जो वर्षों पुरानी परंपरा चली आ रही है, उसे तोड़ना नहीं चाहते. अब पीढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा इसी प्रकार से चलती रहनी चाहिए. रक्षाबंधन के दिन अपनी बहनों को मना लिया जाता है और पूरा परिवार मिलकर पूर्वजों को श्रद्धांजलि देता है. Tags: Ghaziabad News, Local18, Rakshabandhan festivalFIRST PUBLISHED : August 18, 2024, 09:34 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed