कावड़ यात्रा रूट पर… NGT को रास नहीं आया सरकार का प्लान! उठाया बड़ा कदम
कावड़ यात्रा रूट पर… NGT को रास नहीं आया सरकार का प्लान! उठाया बड़ा कदम
एनजीटी ने इस मामले में खुद संज्ञान लिया था. मीडिया रिपोर्ट में इससे पहले दावा किया गया था कि 111 किलोमीटर कावड़ रूट पर अवैध रूप से पेड़ काटे जा रहे हैं. अब इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बड़ा आदेश जारी किया है.
हाइलाइट्स कावड़ यात्रा के रूट पर पेड़ काटे जाने के आरोप लगे हैं. एनजीटी ने इस मामले पर खुद संज्ञान लिया था. एनजीटी ने अब एक जांच समिति का गठन किया गया है.
नई दिल्ली. देश में हर साल सावन के महीने में कावड़ यात्रा निकाली जाती है. लाखों की संख्या में हर साल लोग जल लेने के लिए हरिद्वार जाते हैं. बीते दिनों ऐसी खबरें आई कि कावड़ यात्रा के 111 किलोमीटर मार्ग पर उत्तर प्रदेश में दो लेन के निर्माण के लिए पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है. कहा गया था कि गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर को जोड़ने वाली 111 किलोमीटर लंबी कांवड़ यात्रा मार्ग परियोजना के लिए एक लाख से ज्यादा बड़े पेड़ों को काटा जाएगा. अब इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने जांच के लिए चार सदस्यीय संयुक्त समिति बना दी है.
एनजीटी मुरादनगर (गाजियाबाद जिला) से पुरकाजी (मुजफ्फरनगर जिला) तक कांवड़ मार्ग बनाने के लिए गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर के तीन फॉरेस्ट डिवीजन के संरक्षित वन क्षेत्र में एक लाख से अधिक पेड़ों और झाड़ियों की कथित कटाई से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा है. संयुक्त समिति में भारतीय वन सर्वेक्षण के निदेशक, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव का एक प्रतिनिधि और मेरठ के जिलाधिकारी शामिल होंगे.
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बेंच ने क्या कहा?
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की बेंच ने नौ अगस्त के आदेश में कहा कि हस्तक्षेप याचिका देने वाले तीन याचिकाकर्ताओं ने जेसीबी मशीनों से उखाड़े जा रहे पेड़ों की तस्वीरें और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के लखनऊ क्षेत्र कार्यालय की 2010 की निरीक्षण रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसने पहले उसी क्षेत्र पर आठ लेन का एक्सप्रेसवे बनाने के प्रदेश सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.
एक्सप्रेस-वे की व्यवहार्यता पर सवाल…
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल भी शामिल थे. पीठ ने कहा कि पिछली रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया था कि एक्सप्रेसवे के कारण ऊपरी गंगा नहर के किनारे की वनस्पति को काफी नुकसान पहुंचेगा और वन्यजीवों के पर्यावास में बाधा उत्पन्न होगी. बेंच ने कहा कि रिपोर्ट में एक्सप्रेस-वे की व्यवहार्यता पर भी सवाल उठाया गया है और कहा गया है कि एनएच-58 के माध्यम से गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर को उत्तराखंड से जोड़ने वाली दो सड़कें पहले से ही मौजूद हैं और ऊपरी गंगा नहर के बाएं किनारे पर एक कांवड़ मार्ग भी है.
Tags: Ghaziabad News, Kanwar yatra, UP newsFIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 20:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed