बिलकिस बानो मामले में दोषियों को माफी आखिर कितनी खतरनाक प्रवृत्ति
बिलकिस बानो मामले में दोषियों को माफी आखिर कितनी खतरनाक प्रवृत्ति
तृणमूल कांग्रेस की तेजतर्रार नेता महुआ मित्रा ने बिलकिस बानो मामले में गैंगरेपिस्ट और हत्या के दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा माफी दिए जाने पर हैरानी जाहिर की है. उससे भी ज्यादा अचरज इन दोषियों का हीरो की तरह वेलकम करना भी है. किस तरह इस पूरे मामले को वह देख रही हैं, इसे लेकर उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखा है.
हाइलाइट्सबिलकिस बानो गैंग रेप और मर्डर मामला जघन्य अपराध की श्रेणी में कैसे ऐसे मामले में कोई राज्य सरकार दोषियों को माफी दे सकती हैजघन्य अपराध के मामलों में सियासत होने पर फिर न्याय कहां
महुआ मोइत्रा तृणमूल कांग्रेस की तेजतर्रार नेता हैं. अपने भाषणों और बेबाक विचारों को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. विदेश में बड़े पद पर काम कर चुकी हैं. लेकिन उस नौकरी को छोड़कर वो स्वदेश लौटीं और राजनीति में सक्रिय हो गईं. महुआ पहले कांग्रेस में थीं. अब तृणमूल की सांसद हैं. लोकसभा में उनके भाषण चर्चित रहे हैं. उन्होंने बिलकिस बानो के बलात्कारियों को जेल से छोड़ने और गुजरात में उनका नायकों की तरह अभिनंदन करने पर इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखा है. जिसकी कुछ खास बातें यहां पेश हैं.
एक युवा गर्भवती महिला को उसकी मां और दो बहनों के सामने गैंगरेप किया जाता है. उसके सामने उसके 03 साल के बच्चे को फेंक दिया जाता है. ये कोर्ट में साबित कर दिया कि इस मामले संस्कारी ब्राह्मण दोषी पाए गए. उसमें ये 11 लोग दोषी पाए गए और उन्हें उस जघन्य अपराध गैंगरेप और मर्डर में आजीवन कारावास की सजा दी गई. कोई ये नहीं कह सकता कि ये जघन्य अपराध नहीं था. या उन्हें गलत सजा दी गई.
क्या ऐसे मामलों में दोषियों को बाहर आना चाहिए
क्या आपको लगता है कि बिलकिस बानो रेप मामला जितना जघन्य था. उसमें तो आजीवन कारावास का मतलब कम से कम 30-40 साल होना चाहिए था, क्या आपको लगता है कि भारत जैसे देश में जहां अंडरट्रायल जैसे मामलों में बगैर चार्जशीट दायर किए बगैर लोग 07 साल तक जेल में काट देते हैं, वहां ऐसे मामले के दोषियों को खुला छोड़ देना चाहिए. जिस तरह इन दोषियों को बाहर आने पर फूल मालाओं की तरह हीरो बनाकर स्वागत किया, उसको क्या कहेंगे.
बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त के दिन रिहा कर दिया गया. फोटोः PTI
सियासी फायदा और कानून
क्या इससे नहीं लगता कि कानून का ज्यादा मतलब नहीं है. सियासी फायदे के लिए कुछ भी किया जा सकता है, चाहे कोई बात कितनी ही दुर्भाग्यपूर्ण हो लेकिन हमें सियासी फायदे के सामने उसका ज्यादा मतलब नहीं दिखता. जिस तरह से रेप के इन 11 दोषियों को बाहर किया गया, उससे जाहिर होता है कि कि बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को किस अलग तरह से इस्तेमाल किया है.
किसकी गलती क्या काम करने वाली मशीनरी की
ऐसा नहीं कहना चाहिए कि ये होने में न्याय पालिका की कोई कमी रही है बल्कि उस एग्जीक्यूटिव मशीनरी ने इसका अपने तरीके से ज्यादा फायदा उठाया है- गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की एक गाइडलाइंस का फायदा उन लोगों को पुरस्कृत करने में किया, जो ना केवल बलात्कारी थे बल्कि हत्यारे भी.
गुजरात सरकार की माफी योजना
दरअसल गुजरात सरकार की 1992 में लागू की गई माफी योजना में ही खोट दिखता है. उसने इसे 2014 में अपनी इस योजना को अपडेट करके माफी योजना की सूची में गैंगरेप और हत्या जैसे मामलों को भी शामिल कर दिया, जो कभी होना ही नहीं चाहिए था. हालांकि 1992 की राज्य सरकार की माफी योजना में ऐसा कहीं नहीं था कि वो रेपिस्ट और हत्यारों को भी इसमें शामिल कर लेगी. जबकि सेक्शन 435 साफतौर पर कहती है कि ऐसे मामलों में राज्यों को हमेशा केंद्र सरकार से सलाह लेनी चाहिए.
सीबीआई ने जांच की और कोर्ट ने दोषी पाया
बिलकिस बानों के मामले में सारी जांच सीबीआई ने की और फिर सीबीआई कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया. उसके बाद क्या इस बात के सबूत हैं कि इस मामले में माफी देने के लिए गुजरात राज्य सरकार ने केंद्र से सलाह ली है. ऐसे ही एक मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट ने डी कृष्ण कुमार मामले में माफी देने को खारिज कर दिया था.
आधे पैनल का संबंध बीजेपी से
बिलकिस बानो मामले में जो कमेटी बनाई थी, उसमें आधे पैनल का बीजेपी से सीधा लिंक था. इसमें दो बीजेपी के विधायक थे, एक बीजेपी के पदाधिकारी और एक बीजेपी के पूर्व स्थानीय पदाधिकारी. इसके अलावा इस पैनल में जिलाधिकारी, एसपी और जेल अधीक्षक थे-जो सीधे राज्य सरकार को रिपोर्ट करते हैं. तो क्या कैसे हुआ होगा, एकदम साफ है.
क्या इस सन्नाटे तो तोड़ेंगे हम
हैरानी है कि गैंग रेपिस्ट्स और तीन साल के बच्चे को मारने वाले जेल से बाहर आ चुके हैं और उनका हीरो की तरह वेलकम किया जा रहा है. इसके पीछे जितनी खतरनाक भावना काम कर रही है, उसको समझा जा सकता है. बीजेपी के लोग जो संस्कार की लगातार बातें करते हैं लेकिन एक काली भी हैं जो जीभ बाहर निकाले हुए शैतानी ताकतों को अपने पैरों से रौंदती हैं, ऐसे काली हमें तब नजर आई थी जब दिल्ली में 2012 में निर्भया रेप कांड में दिल्ली में अथाह जनसमूह सड़कों पर उमड़ आया था. बिलकिस मामले में भी हमें ये सन्नाटा तोड़कर कुछ करना होगा.
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Tags: Gangrape and murder, GujaratFIRST PUBLISHED : August 23, 2022, 14:02 IST