प्यार होते ही क्यों कम हो जाती है भूख प्यास और नींद क्या 90 सेकेंड फॉर्मूला
प्यार होते ही क्यों कम हो जाती है भूख प्यास और नींद क्या 90 सेकेंड फॉर्मूला
आखिर क्यों प्यार होते ही दिल से लेकर दिमाग तक ही नहीं बल्कि शरीर में भी कई तरह की फीलिंग बदलने लगती है. आखिर क्यों इस तरह की फीलिंग में भूख, प्यास और नीेंद पर असर पड़ने लगती है. साइंस क्या कहती है इस बारे में
हाइलाइट्स आवाज और बॉडी लेंग्वेज बदल जाती है ये पूरा हमारे दिल नहीं बल्कि दिमाग और हॉर्मोन्स का खेल है इस स्टेप में तीन हॉर्मोन एड्रेनैलिन, डोपामिन और सेरोटोनिन काम करते हैं
क्या आपने कभी सोचा है कि प्यार क्यों होता है? किसी की दीवानगी में भूख-प्यास न लगना, नींद उड़ जाना, ये सब जितना कविताओं और कहानियों में प्यार के बारे में लिखा गया है. क्या ये सच है कि जब हम प्यार में होते हैं तो भूख, प्यास और नींद की मात्रा कम हो जाती है. साइंस इस बारे में क्या कहता है.
शायरों ने प्यार के अहसास को अलग-अलग तरीकों से सजा कर पेश किया है. आखिर प्यार में शरीर क्या केमिकल लोचा होता है जो हम अलग सा फील करने लगते हैं
साल 2012 में ‘साइकोफार्माकोलॉजी’ में एक आर्टिकल छपा था जिसमें प्यार के सभी मनिवैज्ञानिक, सामजिक और केमिकल कारणों के बारे में बताया गया. इस आर्टिकल में जो सबसे रोचक बात थी वो ये कि हम किसी से प्यार करेंगे या नहीं, यह तय करने के लिए हम 90 सेकंड से 4 मिनट का समय लेते हैं!
इस रिपोर्ट के अनुसार जब भी हम किसी के ‘प्यार’ में पड़ने वाले होते हैं इसमें ये तीन बातें महत्व रखती हैं:
1. 55% रोल सामने वाले की बॉडी लैंग्वेज का होता है. हमारा दिमाग सामने वाले के हाव-भाव देखकर यह तय करने की कोशिश करता है कि इस व्यक्ति से हमें प्यार मिलेगा या नहीं.
2. 38% काम सामने वाले की आवाज और आवाज में उतार-चढ़ाव का होता है.
3. 7% रोल होता है उन बातों और शब्दों का जिनका प्रयोग सामने वाला कर रहा होता है.
ऐसा क्यों होता है कि किसी एक व्यक्ति से मिलते ही हमारे दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं, उस की साधारण सी आवाज भी हमें संगीत लगती है और उसके साथ रहते हुए हमें जीवन ज्यादा अर्थपूर्ण लगता है? प्यार बहुत ही जटिल भावना है जहां चाहत भी है, न मिलने पर तड़प भी है, उसे किसी और के साथ देखकर जलन भी है और उसके मिल जाने पर भी उसे अधिक पाने की आरजू भी है. दरअसल ये पूरा हमारे दिल नहीं बल्कि दिमाग और हॉर्मोन्स का खेल है.
प्यार में पड़ने के ये हैं 3 स्टेप्स:
हाल ही में हुई एक अन्य रिसर्च में प्यार में पड़ने के ये 3 स्टेप बताए गए हैं. इन तीनों स्टेप्स में अलग-अलग हॉर्मोन हमारे शरीर में रिलीज होते हैं.
1. लस्ट (वासना): चाहे प्यार पहली नजर का हो या धीरे-धीरे अपने परवान चढ़ा हो, उसकी शुरुआत में जरूरी है वासना या एक दूसरे के प्रति सेक्शुअल आकर्षण का अनुभव होना. प्यार की शुरुआत बहुत हद तक शारीरिक आकर्षण की वजह से ही होती है. इसीलिए इन स्टेप में टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन नाम के हॉर्मोन रिलीज होते हैं जो आदमी और औरत के शरीर में बनते हैं. यह स्वस्थ शरीर की निशानी है और इन हॉर्मोन का निकलना शरीर और दिमाग को रिलैक्स करता है और उम्र बढ़ाने में भी मददगार होता है. एक रिसर्च में जब नए कपल के दिमाग का MRI किया गया तो उसमें बहुत आश्चर्यचकित करने वाले नतीजे सामने आए.
2. अट्रैक्शन (आकर्षण): यह प्यार में पड़ने का सबसे हसीन दौर होता है. यही वो समय होता है जब आप अपने पार्टनर के प्रति आकर्षित होने लगते हैं. आपके स्वभाव में, रहन-सहन में और यहां तक की खाने-पीने और सोने में भी बदलाव आ जाता है.
एक रिसर्च में जब नए कपल के दिमाग का MRI किया गया तो उसमें बहुत आश्चर्यचकित करने वाले नतीजे सामने आए. इन कपल्स के दिमाग में ख़ुशी और सुकून देने वाले हॉर्मोन डोपामिन का स्तर बहुत बढ़ा था. इस आधार पर आकर्षण वाले इस स्टेप में तीन हॉर्मोन एड्रेनैलिन, डोपामिन और सेरोटोनिन काम करते हैं.
एड्रेनैलिन: वैज्ञानिक मानते हैं कि प्यार की शुरुआत में हमारे काम करने के तरीके के साथ ही तनाव को मैनेज करने के तरीकों में भी बदलाव आता है. प्यार की शुरुआत में जब अपने पार्टनर को देखकर ही हमारे दिल की धड़कन बढ़ जाती है, मन में सुरसुरी सी छूटती है, हम खुश रहने लगते हैं, ये सब इस हॉर्मोन एड्रेनैलिन की वजह से ही होता है.
डोपामिन: यह हॉर्मोन सुख और उत्साह का केमिकल है. इसी हॉर्मोन के चलते भूख कम लगना, नींद कम आना, काम में खूब मन लगना और हर वक्त चेहरे पर एक मुस्कान रहती है.
सेरोटोनिन: यह हॉर्मोन जिम्मेदार है अपने पार्टनर की यादों में खोए रहने के लिए.ऐसा देखा गया है कि आदमियों में औरतों की तुलना में 65% कम सेरोटोनिन होता है, इसीलिए औरतें अपने प्रेमी की याद में आदमियों से ज्यादा व्याकुल रहती हैं.
3. अटैचमेंट (लगाव): जब एक कपल ऊपर लिखे दोनों स्टेप पार कर लेता है, तो उनके बीच लगाव बढ़ जाता है. अब उनका रिश्ता मजबूत हो चुका होता है और दोनों ही एक कमिटमेंट के लिए तैयार होते हैं. इस स्टेप में दो हॉर्मोन ख़ास रूप से काम करते हैं.
ऑक्सीटोसिन: इसे ‘कडल हॉर्मोन’ भी कहते हैं जो आदमी और औरत में ओर्गैज्म के दौरान एक जैसा रिलीज होता है. यह हॉर्मोन एक कपल के बीच के प्यार को और बढ़ाता है. ऐसा माना जाता है कि सेक्स के दौरान रिलीज हुए इस हॉर्मोन से कपल एक दूसरे के साथ अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं.
वेसोप्रेसिन: एक लंबे चलने वाले रिश्ते के लिए यह हॉर्मोन बहुत जरूरी काम करता है. सेक्स के तुरंत बाद रिलीज हुआ यह हॉर्मोन कपल्स के मन में एक-दूसरे के प्रति चाहत को बढ़ाता है. प्यार एक बहुत कांप्लैक्स भावना है लेकिन इसमें बहुत से केमिकल भी सक्रिय हो जाते हैं.
प्यार की इस फीलिंग को हम कितनी सरलता से जीते हैं लेकिन असल में यह बहुत कॉम्प्लेक्स भावना है. बहुत से केमिकल, हमारे पुराने अनुभव और हमारी बहुत सी जरूरतें मिलकर हमें प्यार के लिए तैयार करती हैं. तो अगर आप प्यार में पड़ें या ऊपर लिखी गई किसी भी एक स्टेप पर हैं तो इसके लिए ऊपर वाले के साथ ही अपने दिमाग और हॉर्मोन्स को शुक्रिया कहना न भूलें.
90 सेकंड का नियम
न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. जिल बोल्टे टेलर बताते हैं कि किसी चीज़ के प्रति शुरुआती भावनात्मक प्रतिक्रिया केवल 90 सेकंड तक रहती है. उसके बाद बची हुई कोई भी भावना आपके अपने विचारों और विकल्पों के कारण होती है.
विज्ञान बताता है कि रसायनों की अधिकता के कारण प्यार कुछ ही मिनटों में हो सकता है, लेकिन इसका असर 90 सेकंड तक रहेगा. आगे का काम फिर आपके विवेक पर होगा कि आप उस क्या करना चाहते हैं, उस पर कैसी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं.
Tags: Amazing love, Love, Love Story, Lover storyFIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 19:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed