साक्षात भगवान कृष्ण का दर्शन पाने वाले गुरू के निधन पर शिष्यों ने किया कुछ ऐसा

Mudiya Purnima Fair: मुड़िया मेले की शुरुआत कब हुई और कैसे हुई इस बारे में राधा श्याम सुंदर मंदिर के महंत और मुड़िया संत राम कृष्ण दास ने बताया कि मुड़िया पूर्णिमा मेले को राजकीय मेला के नाम से जाना जाता है. सनातन गोस्वामी का जब निधन हुआ तो उनके शिष्यों ने सिर का मुंडन कराया. अब गुरु और शिष्य की उसी परंपरा को सैकड़ों साल से मुड़िया संत निभाते चले आ रहे हैं.

साक्षात भगवान कृष्ण का दर्शन पाने वाले गुरू के निधन पर शिष्यों ने किया कुछ ऐसा
निर्मल राजपूत /मथुरा: भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा को प्राचीन समय से ही संतों की नगरी कहा जाता है. यहां कई ऐसे संत आये जिन्होंने गोवर्धन यानी मथुरा को एक अलग पहचान दिलाई. साधू-संतों के चलते यहां कई मान्यताएं और परंपराएं भी प्राचीन समय से ही प्रचलन मे हैं. ऐसी ही मान्यता गोवर्धन में लगने वाले मुड़िया मेले की है. यहां संत अपने सिर का मुंडन कराते हैं. इस राजकीय मेले की मान्यता के बारे में कहा जाता है कि मुड़िया मेले की परंपरा सैकड़ों वर्ष से चली आ रही है. तो चलिए बताते हैं कि आपको इस मुड़िया मेले से जुड़ी और रोचक जानकारी. गुरु शिष्य की परंपरा को निर्वहन कर रहे मुड़िया संत गोवर्धन के मुड़िया मेले की चर्चा देश में ही नहीं विदेशों में भी होती है. इस मेले में शामिल होने के लिए देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु और साधू-संत मथुरा पहुंचते हैं. मुड़िया मेले की शुरुआत कब हुई और कैसे हुई इस बारे में राधा श्याम सुंदर मंदिर के महंत और मुड़िया संत राम कृष्ण दास ने बताया कि मुड़िया पूर्णिमा मेले को राजकीय मेला के नाम से जाना जाता है. कब होता है मेले का आयोजन और क्या है परंपरा महंत रामकृष्ण दास ने बताया कि सनातन गोस्वामी की याद में मुड़िया मेला का आयोजन किया जाता है. प्रभुपाद के अनन्य शिष्य सनातन गोस्वामी गोवर्धन जाकर भगवान के भजन में लीन रहने लगे. सनातन गोस्वामी गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते थे. भगवान उन्हें परिक्रमा करते हुए देखते थे. सनातन गोस्वामी की जैसे-जैसे आयु बढ़ती गई, वैसे-वैसे वह अस्वस्थ रहने लगे. सेहत खराब होने की वजह से वह गोवर्धन की परिक्रमा करते वक्त गिर जाया करते थे. उन्होंने बताया कि एक बार वह परिक्रमा कर रही थे, तो उन्हें चक्कर आ गया और वह गिर गए. भगवान कृष्ण ग्वाल रूप में आकर उन्हें संभालने लगे. सनातन गोस्वामी ने उनसे पूछा कि आप कौन हो तो उन्हें प्रभु ने अपना परिचय दिया. भगवान का रूप को देखकर वह कृतार्थ हो गए. राधा श्याम सुंदर मंदिर से होती है मुड़िया मेले की शुरुआत सनातन गोस्वामी का जब निधन हुआ तो उनके शिष्यों ने सिर का मुंडन कराया. अब गुरु और शिष्य की उसी परंपरा को सैकड़ों साल से मुड़िया संत निभाते चले आ रहे हैं. सनातन गोस्वामी ने जब अपना शरीर छोड़ा तो उनका क्रिया कर्म यहीं गोवर्धन में राधा श्याम सुंदर मंदिर में किया गया. यहीं से मेले की शुरुआत होती है. गुरु पूर्णिमा से एक दिन पहले मुड़िया संत अपना सिर मुंडन कराते हैं. मुंडन के बाद गोवर्धन की परिक्रमा की जाती है. राधा श्याम सुंदर मंदिर से मुड़िया मेला की शुरुआत होती है और यहीं आकर मेले का समापन भी किया जाता है. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 19:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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