यूपी के इस शहर में चमचम की धूम स्वाद ऐसा कि विदेशों तक डिमांड

अलीगढ़ के इगलास की मशहूर चमचम की मिठास की बात ही कुछ और है. स्वाद ऐसा कि एक बार खाएं तो बार-बार खाने को जी ललचाये.

यूपी के इस शहर में चमचम की धूम स्वाद ऐसा कि विदेशों तक डिमांड
वसीम अहमद/अलीगढ़. खाने के बाद अगर कुछ मीठा हो तो क्या कहना… अगर आप भी मीठा खाने के शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको एक ऐसी मिठाई के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे लोग खाने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं. हम बात कर रहे हैं अलीगढ़ के इगलास की मशहूर चमचम की. इस मिठाई की खासियत ऐसी है कि सरकार भी इसको जीआई टैग की लिस्ट में शामिल कर चुकी है. अलीगढ़ के इगलास की मशहूर चमचम की मिठास की बात ही कुछ और है. स्वाद ऐसा कि एक बार खाएं तो बार-बार खाने को जी ललचाये. अलीगढ़ के कस्बा इगलास की चमचम उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा,राजस्थान,मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों सहित विदेशों तक मशहूर है. इगलास की चमचम की मिठास लेने के लिए भारत के अलावा लोग विदेशों में रहकर भी ऑनलाइन डिलीवरी के जरिए चमचम को मंगाते हैं. इगलास की यह मिठाई प्रदेश में एक विशेष पहचान रखती है. 1944 से शुरू हुई चमचम अलीगढ़ के कस्बा इगलास के चमचम की शुरुआत 1944 में हुई थी. उस समय एक पीस का रेट करीब 25 पैसे हुआ करता था. जबकि आज चमचम की कीमत बढ़ाकर ₹11 पर पीस हो चुकी है. चमचम का एक किलो का पैकेट 220 रुपये का मिलता है, वैसे तो यह इगलास के अलावा कहीं और नहीं बिकती. अगर इगलास के अलावा कहीं बिकती भी है तो इगलास की मशहूर चमचम कहकर ही बेचा जाता है. समय के साथ इगलास में चमचम की दुकानों की संख्या भी बढ़ती चली गई. इगलास में चमचम बनाने वालों की दुकानों की संख्या करीब 50 से 100 है और 10 से 15 क्विंटल चमचम की प्रतिदिन बिक्री की होती है. खासकर जब भी कोई इगलास से होकर गुजरता है तो यहां से चमचम खरीदना और खाना नहीं भूलता. ऐसे बनती है इगलास की चमचम चमचम बनाने के लिए सबसे पहले दूध से छेना निकाला जाता है, छेना व सूजी मिलकर गोला तैयार किए जाते हैं. जिसके बाद इसे चीनी की चासनी में तला जाता है. इसे बनाने में घी या रिफाइंड का प्रयोग नहीं किया जाता. चमचम को सिर्फ चासनी में ही पकाया जाता है. इस वजह से यह जल्दी खराब भी नहीं होती. 60 साल से ज्यादा पुरानी दुकान जानकारी देते हुए चमचम कारोबारी दिनेश अग्रवाल ने बताया कि 1944 में एक मिठाई बनना शुरू किया गया, जिसका नाम चमचम रखा गया. हमारे यहां की तीसरी पीढ़ी आज भी चमचम बेच रही है. करीब 70 साल पुरानी हमारी दुकान है चमचम को दूध फाड़ कर और इसका पानी निचोड़ कर छेने को मला जाता है उसके बाद इसमें इलायची मिलाकर चासनी में उसको छोड़ दिया जाता है. इसके बाद चमचम तैयार होती है इसकी खास बात यह है कि देश-विदेश में बहुत डिमांड है. 1 किलो चमचम में करीब 20 पीस होते हैं. Tags: Food, Sweet DishesFIRST PUBLISHED : May 17, 2024, 16:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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