गंगा-बेतवा की मिट्टी से यहां बनाई जाती हैं गणपति की मूर्ति!

झांसी और बुंदेलखंड में गणपति बप्पा की मूर्ति तैयार करने के लिए खास तौर से बंगाल से कारीगर यहां आते हैं. बंगाल से बहने वाली गंगा नदी की मिट्टी और बुंदेलखंड में बहने वाली बेतवा नदी की मिट्टी को मिलाकर यहां मूर्तियां बनाई जाती हैं. मूर्तियों पर किए जाने वाला रंग भी पूरी तरह नेचुरल होता है.

गंगा-बेतवा की मिट्टी से यहां बनाई जाती हैं गणपति की मूर्ति!
झांसी. गणेश चतुर्थी का त्योहार नजदीक आ चुका है. देशभर में लोग गणपति बप्पा को अपने घर में लाने की तैयारी कर रहे हैं. झांसी में भी घर-घर गली-गली गणपति बप्पा को स्थापित किया जाता है. झांसी और बुंदेलखंड में गणपति बप्पा की मूर्ति तैयार करने के लिए खास तौर से बंगाल से कारीगर यहां आते हैं. झांसी के हंसारी में बंगाल के मूर्तिकार कनाई पाल यहां आकर मूर्ति बनाते हैं. कनाई पाल 32 वर्षों से झांसी में मूर्ति बनाने आ रहे हैं. जब वह 16 वर्ष के थे तब अपने पिता के साथ यहां आए थे. यह सिलसिला आज तक जारी है. यहां बनाने वाली मूर्तियों की सबसे खास बात यह होती है कि सभी मूर्तियां पूरी तरह इको फ्रेंडली होती हैं. मूर्तियां मिट्टी से तैयार की जाती हैं. मूर्तियों को तैयार करने के लिए मूर्तिकार मिट्टी भी बंगाल से लेकर आते हैं. बंगाल से बहने वाली गंगा नदी की मिट्टी और बुंदेलखंड में बहने वाली बेतवा नदी की मिट्टी को मिलाकर यहां मूर्तियां बनाई जाती हैं. मूर्तियों पर किए जाने वाला रंग भी पूरी तरह नेचुरल होता है. 8 महीने के लिए आते हैं झांसी कनाई पाल ने बताया कि वह होली के बाद यहां आते हैं. कच्चे माल की बुकिंग करने के बाद जून-जुलाई के महीने में पूरा परिवार यहां आ जाता है. इसके बाद वह दिवाली पर होने वाली काली पूजा तक यहां रहते हैं. कनाई पाल ने बताया कि उनके पास 2500 रुपए से लेकर 25000 रुपए तक की मूर्तियां हैं. लोग यहां आकर बुकिंग करवाते हैं और फिर मूर्तियों को सजाकर उन्हें दे दी जाती है. Tags: Jhansi news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 15:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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