लावारिस शवों का वारिस बनकर दाह संस्कार कर रहा ये शख्स जानिए कैसे हुई शुरूआत

शदर तिवारी अब तक 347 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. जसमें 27 मुस्लिम भी शामिल है. पूरे देश में उनकी टीम के साथ लगभग 60 हजार लोग वाट्सएप के जरिए जुड़े हुए हैं. लावारिस शव की सूचना मिलते हीं 50 मिनट के अंदर इनकी टीम के सदस्य पहुंच जाते हैं और पुलिस की मदद से पोस्टमार्टम कराने के बाद अंतिम संस्कार करते हैं.

लावारिस शवों का वारिस बनकर दाह संस्कार कर रहा ये शख्स जानिए कैसे हुई शुरूआत
इटावा. आज के समय में जहां अपने ही अपनों का साथ छोड़ देते हैं, वहीं एक ऐसा भी शख्स है लावारिस शवों का वारिस बनकर उनका दाह संस्कार करते हैं. ये विधि-विधान से लावारिस शवों का दाह संस्कार अपने टीम के साथियों के साथ करते हैं. 2022 से लगातार लावारिस शवों का दाह संस्कार करते आ रहे हैं. यह शख्स कोई और नहीं बल्कि शरद तिवारी हैं और मध्य प्रदेश पुलिस में सिपाही के तौर पर कार्यरत थे. हालांकि उन्होंने इस नेक कार्य के लिए नौकरी छोड़ दी और अब तक 347 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. इसके लिए रक्तदाता समूह नामक संस्था का गठन किया और 7 अगस्त 2022 से लगातार लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करते आ रहे है. 50 मिनट के अंदर पहुंच जाती है टीम मूलरूप से इटावा जिला के महेवा के रहने वाले शदर तिवारी अब तक 347 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. जिसमें 27 मुस्लिम भी शामिल है. पूरे देश में उनकी टीम के साथ लगभग 60 हजार लोग वाट्सएप के जरिए जुड़े हुए हैं. लावारिस शव की सूचना मिलते हीं 50 मिनट के अंदर इनकी टीम के सदस्य पहुंच जाते हैं और पुलिस की मदद से पोस्टमार्टम कराने के बाद अंतिम संस्कार करते हैं. शरद तिवारी ने लोकल 18 को बताया कि 2018 में मध्य प्रदेश के भोपाल में उसकी तैनाती वार्डन के रूप में हो गई थी, लेकिन 9 मार्च 2019 को जसवंतनगर से कार से लौटते वक्त हाईवे पर गोवंश आ जाने के कारण कार पलट गई. जिसमें  बाल-बाल बच गए. इस हादसे से वह बुरी तरह से डर गया था. 2022 से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार शदर तिवारी ने बताया कि मौत को बेहद करीब से देखने के बाद सदमे में चला गया. जिससे मानसिक स्थिति बेहद खराब हो गई. मानसिक स्थिति को दुरुस्त करने के इरादे से 3 महीने के लिए हरिद्वार चला गया. जहां से आराम मिलने के बाद वह घर लौट आया. उन्होंने बताया कि पिता एटा में यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर रूप में तैनात हैं. कोरोना काल में साथियों की मदद से रक्तदाता समूह नामक एक संस्था का गठन किया. इसके बाद कोविड़ मरीजों को घर-घर राशन पहुंचाने का काम किया करते थे. इसी दौरान 7 अगस्त 2022 को जिला अस्पताल में एक मानसिक रोगी की मौत हो गई और अंतिम संस्कार के लिए कोई समाने नहीं आया. इसके बाद सिविल लाइन के तत्कालीन थाना प्रभारी मो. कामिल से अंतिम संस्कार करने की पेशकश की. पुलिस प्रशासन से रजामंदी मिलने के बाद साथियाें के साथ अंतिम संस्कार कर दिया. इसके बाद तो यह सिलसिला चल पड़ा और अनवरत जारी है. लावारिश के अंतिम संस्कार में सात हजार आता है खर्च  शदर तिवारी ने बताया कि एक लावारिस शव का अंतिम संस्कार करने में 7 हजार खर्च आता है. उन्होंने बताया कि 25 लावारिस शव का अंतिम संस्कार साथियों के साथ मिलकर किया, लेकिन बाद में हिम्मत जबाव देने लगा. हालांकि टीम के जज्बे को देखकर कई लोग मदद के लिए समाने आए. इसके बाद हिम्मत बढ़ गया. अब तो जैसे ही लावारिस शव की सूचना मिलती है टीम सक्रिय हो जाती है. यह टीम विशाट वट वृक्ष की तरह फैलता जा रहा है. Tags: Etawah news, Local18, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 13:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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