रामनगरी की इस महिला का दर्दटूटी दुकान बेटा हुआ बेटा हुआ विक्षिप्त अब

अयोध्या का समग्र विकास कैसे हो इस पर पूरी दुनिया के लोगों के निगाहें हैं.लेकिन लगता है जिस प्रभु राम ने माता सबरी की तकलीफ समझी उसी अयोध्या में कई माताओं का दर्द सुनने वाला अब कोई नहीं है. ये कहानी है 65 साल की अन्नपूर्णा देवी अग्रवाल की जिनकी दुकान रामपथ निर्माण की भेट चढ़ गई.

रामनगरी की इस महिला का दर्दटूटी दुकान बेटा हुआ बेटा हुआ विक्षिप्त अब
अयोध्या : राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ अयोध्या का भी समग्र विकास हो रहा है. अयोध्या का समग्र विकास कैसे हो इस पर पूरी दुनिया के लोगों के निगाहें हैं. अयोध्या में रहने वाले लोगों के साथ-साथ अयोध्या में आने वाले लोगों की जरूरत को कैसे पूरा किया जा सके, इसके लिए अयोध्या विकास प्राधिकरण कई नई पहल भी कर रहा है. लेकिन लगता है जिस प्रभु राम ने माता सबरी की तकलीफ समझी उसी अयोध्या में कई माताओं का दर्द सुनने वाला अब कोई नहीं है. ये कहानी है 65 साल की अन्नपूर्णा देवी अग्रवाल की जिनकी दुकान रामपथ निर्माण की भेट चढ़ गई. बुजुर्ग महिला अन्नपूर्णा देवी अग्रवाल का जीवन 2023 तक सही चल रहा था. रामलला ने ऐसी कृपा की कि 1990 से 20000 रुपए पगड़ी पर रामपथ पर उन्होंने दुकान ली, जहां पर बर्तन बेचने का काम करती थी. अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन यापन कर रही थी. 2019 में दुकान को उन्होंने खूबसूरती से सजाया और अपनी जमा पूंजी उस दुकान के सौंदर्यीकरण में लगा दी. कोरोना काल के बाद अन्नपूर्णा देवी का जीवन अब फिर से पटरी पर आया ही था की रामपथ चौड़ीकरण की जद में उनकी दुकान तोड़ दी गई. दुकान टूटने के बाद घर में बैठकर सकून की दो रोटी खाने वाली महिला आज भीख मांग कर खाने को मजबूर है हालात ये है की इस महिला के दर्द पर मरहम लगाने वाला कोई नहीं है. बेटा हुआ विक्षिप्त और मां दिल की मरीज दुकान टूटने के दर्द से अन्नपूर्णा देवी दिल की मरीज भी हो गई. एक बेटा था, वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया. रामपथ चौड़ीकरण में पूरी दुकान चली गई, जो लगभग 25 फीट चौड़ी थी और मुआवजा मात्र एक लाख रुपए मिला. मकान मालिक ने भी इस दुख की घड़ी में साथ नहीं दिया और उसने दोबारा वहां पर बुजुर्ग महिला अन्नपूर्णा को दुकान नहीं बनाने दिया. नहीं बचा पैसा…खाने के पड़े लाले अन्नपूर्णा देवी अग्रवाल कहती हैं कि मकान मालिक के रिश्तेदार इलाहाबाद में एडीएम है. जिसकी वजह से जिला प्रशासन ने उनको दुकान नहीं बनाने दिया. ठेला लगाने पर नगर निगम के द्वारा उनके ठेले को हटाया गया. बेटा मानसिक अवसाद में चला गया तो मां हार्ट की मरीज हो गई. अब दोनों के पास न तो दवा का पैसा है, न भोजन की व्यवस्था है. सुबह मंदिरों से भोजन आता है तो शाम तक दोनों मां बेटे उसी को खाते हैं. यह कोई कहानी नहीं, कोई किस्सा नहीं, आप बीती है रामनगरी में रहने वाली राम भक्त बुजुर्ग अन्नपूर्णा देवी अग्रवाल की. Tags: Ayodhya News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 21:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed