डाकुओं की पनाहगाह चंबल घाटी बनी हिमालयन गिद्धों का बसेरा! जानें कारण
डाकुओं की पनाहगाह चंबल घाटी बनी हिमालयन गिद्धों का बसेरा! जानें कारण
हिमालयी गिद्धों को चंबल घाटी रास आ रही है तभी तो 5 दर्जन से अधिक हिमालयी गिद्ध यहां देखे जा रहे हैं .गिद्ध मृत पशुओं के मांस व अवशेष खाकर सफाई करते हैं. जिससे इन्हें सफाईकर्मी भी कहा जाता है
इटावा. खूंखार डाकुओं की पनाहगाह रही चंबल घाटी में एक जमाने में गिद्धों की संख्या काफी थी . समय के साथ यहां से गिद्धों का सफाया हो गया, लेकिन एक बार फिर से चंबल में गिद्धों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. हिमालयन गिद्ध इस क्षेत्र को अपना बसेरा बना रहे हैं. हिमालयन गिद्ध इटावा जिले के लखना, भरथना, बलरई, इटावा सफारी पार्क में देखे गए हैं .
गिद्ध मृत पशुओं के मांस व अवशेष खाकर सफाई करते हैं. जिससे इन्हें सफाईकर्मी भी कहा जाता है. हिमालयी गिद्धों को चंबल घाटी रास आ रही है तभी तो 5 दर्जन से अधिक हिमालयी गिद्ध यहां देखे जा रहे हैं . हाल के दिनो मे इटावा सफारी पार्क में करीब दर्जन भर हिमालयी गिद्धों का झुंड दिखाई दिया था जो कौतूहल का विषय बना हुआ है. पिछले 7-8 साल से इटावा जिले के विभिन्न हिस्सों दो, एक की संख्या में यह गिद्ध दिखाई दे रहे हैं.
घट रही हिमालयी गिद्धों की संख्या
भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें ओरिएंटल व्हाइट बैक्स, लांग बिल्ड, स्लेंडर बिल्ड, हिमालयन गिफ्रॉन, रेडहेडेड, मिस्र, दाढ़ी वाले, सिनेरियस और यूरेशियन ग्रिफॉन शामिल है. इनमें से अधिकांश पर विलुप्त होने का खतरा है. खास बात ये है कि इनमें दाढ़ी वाले, लंबी चोंच वाले, पतले चोंच वाले, ओरिएंटल सफेद पीठ वाले वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 में संरक्षित हैं. बाकी अनुसूची 4 के तहत संरक्षित हैं. एक शोध के मुताबिक भारत, नेपाल और पाकिस्तान में गिद्धों की संख्या सिमट कर महज तीन हजार रह गई है.
चंबल घाटी में शुभ संकेत
हाल ही में राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड (NBWL) ने गिद्धों के संरक्षण के लिए गिद्ध संरक्षण कार्य योजना 2020-2025 को मंजूरी दी. इसके तहत गिद्धों के लिए जहर बन रही मवेशियों के इलाज में प्रयोग की जाने वाली दवाओं को ड्रग कंट्रोलर जनरल द्वारा प्रतिबंधित किया गया है. इसी तरह उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडू में गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केन्द्रों की स्थापना का प्रावधान किया गया . इटावा के डीएफओ अतुलकांत शुक्ला बताते हैं कि चंबल घाटी की आबोहवा बेहद शानदार है. इसी वजह से हिमालय गिद्ध अपना आशियाना चंबल को बनाने में जुट गए हैं, निश्चित तौर पर हिमालय गिद्धों का चंबल घाटी में आना बड़ा शुभ संकेत दे रहा है.
Tags: Etawah news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 13:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed