आंखों की रोशनी जाने के बाद नहीं हारी हिम्मत अब बच्चों का गढ़ रहे हैं भविष्य

प्रकाश सोनी की पत्नी विजयलक्ष्मी ने बताया कि पति बीस साल के थे, उस वक्त उनकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे जाने लगी. 23 साल आते-आते आंखों की रोशनी रेटिना के अपनी जगह से खिसक जाने के कारण पूरी तरह चली गई. चेन्नई अस्पताल में इलाज कराया, लेकिन रोशनी वापस नहीं आई और 2 मई 1992 को उनके जीवन में हमेशा-हमेशा के लिए अंधेरा छा गया. 

आंखों की रोशनी जाने के बाद नहीं हारी हिम्मत अब बच्चों का गढ़ रहे हैं भविष्य
इटावा.  एक हादसे में अपनी आंखों की रोशनी गंवा देने के बाद भी एक इंजीनियर शिक्षक बनकर छात्रों के भविष्य को गढ़ने का काम कर रहे हैं. इस शिक्षक का नाम प्रकाश सोनी है, जो उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की ऐतिहासिक नगरी लखना में रहते हैं. अपने नाम के अनुरूप प्रकाश सोनी शिक्षण कार्य के माध्यम से ऐसा प्रकाश बिखेर रहे हैं कि उनके कई शिष्य उच्च पद पर आसीन हैं. बच्चों के भविष्य को गढ़ने का काम कर रहे हैं प्रकाश सोनी प्रकाश सोनी लखना कस्बे के मान खा मुहाल में अपना खुद का रॉयल हैप्पी किड्स सीनियर सेकेंडरी नाम से स्कूल संचालित करते हैं. प्रकाश सोनी ब्लैक बोर्ड पर ऐसे लिखते हैं कि जैसे उनकी आंखों की रोशनी हो, लेकिन वास्तविकता में आंखों की रोशनी 32 साल पहले एक हादसे में गंवा चुके हैं. उनकी खूबसूरत राइटिंग ना केवल स्कूली छात्र-छात्राओं को बेहद पसंद है बल्कि पढ़ने का अंदाज भी छात्र-छात्राओं को बेहद लाजवाब लगता है. लंदन के ख्यातिलब्ध लेखक जान मिल्टन की उपान्यास इन हिज ब्लाइंडनेस की कहानी को अपनी पंसदीदा रचना बताने वाले प्रकाश सोनी की खुद की कहानी भी कम प्रेरणादायक नहीं है.  प्रकाश आज छात्रों के प्रिय शिक्षक बने हुए हैं. हादसे की वजह से चली गई आंखों की रोशनी प्रकाश सोनी की पत्नी विजयलक्ष्मी रॉयल हैप्पी किड्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रधानाचार्य हैं. उन्होंने बताया कि पति इंजीनियर रहे हैं. उन्होंने कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, लेकिन 1992 में हुए एक हादसे ने उनकी आंखों की रोशनी चली गई. इसके बाद से कुछ कर गुजरने की ललक ने उनको शिक्षण कार्य की ओर मोड़ दिया. इसके बाद से प्रकाश सोनी लगातार शिक्षण कार्य में बखूबी जुटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि जब पति बीस साल के थे, उस वक्त उनकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे जाने लगी. 23 साल आते-आते आंखों की रोशनी रेटिना के अपनी जगह से खिसक जाने के कारण पूरी तरह चली गई. चेन्नई अस्पताल में इलाज कराया, लेकिन रोशनी वापस नहीं आई और 2 मई 1992 को उनके जीवन में हमेशा-हमेशा के लिए अंधेरा छा गया. Tags: Etawah news, Local18, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : August 16, 2024, 18:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed