मुर्गी पालन के लिए बेस्ट है देसी नस्ल की ये 4 मुर्गियां लग जाएगी अंडों की झड़ी

वैज्ञानिकों का दावा है कि यह मुर्गियां साल में 200 से भी ज्यादा अंडे देती है. इसके अलावा इनका मांस पौष्टिक होता है. मुर्गियों की देसी नस्ल के साथ मुर्गी पालन करने के लिए सरकार किसानों को अनुदान भी देती है.

मुर्गी पालन के लिए बेस्ट है देसी नस्ल की ये 4 मुर्गियां लग जाएगी अंडों की झड़ी
शाहजहांपुर : किसान अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए अब खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन भी करने लगे हैं. पिछले कुछ साल से देश में लगातार अंडा और मांस की बढ़ती खपत के चलते पोल्ट्री मुर्गी पालन अब किसानों के लिए फायदेमंद होने लगा है. भारतीय वैज्ञानिक मुर्गी पालन को और भी फायदेमंद बनाने के लिए मुर्गियों की नई-नई नस्ल विकसित कर रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात पशुपालन विभाग के एक्सपर्ट डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (इज्जत नगर) बरेली द्वारा कैरी निर्भीक, कैरी श्यामा, उपकारी और हितकारी नाम की देसी मुर्गियों को तैयार किया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि यह मुर्गियां साल में 200 से भी ज्यादा अंडे देती है. इसके अलावा इनका मांस पौष्टिक होता है. मुर्गियों की देसी नस्ल के साथ मुर्गी पालन करने के लिए सरकार किसानों को अनुदान भी देती है. कम खर्चे में अधिक मुनाफा डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि देसी नस्ल की मुर्गी कैरी निर्भीक जिसके मांस में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. यह मुर्गी बेहद ही एक्टिव, कद में बड़ी, शक्तिशाली और मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली होती है. इसके चूजों का वजन तेजी के साथ बढ़ता है. यह 1 साल में 195 से 200 अंडों का उत्पादन देती है. कैरी निर्भीक मुर्गी को कम खर्चे में पालकर अच्छी आमदनी ली जा सकती है. 1 साल में 210 अंडों का उत्पादन डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि देसी नस्ल की मुर्गी कैरी श्याम जिसके मांस में फाइबर और फैट बहुत कम पाया जाता है. जिसकी वजह से इसकी बाजार में काफी डिमांड रहती है. इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. जिसकी वजह से इसको आदिवासी इलाकों में खूब पसंद किया जाता है. भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा इसे कड़कनाथ और कैरी रेड से तैयार किया गया है. यह 1 साल में 200 से 210 अंडों तक का उत्पादन दे सकती हैं. 20 सप्ताह में 1.5 किलो हो जाता है वजन डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि मध्यम आकार और बहुरंगी बनावट वाली उपकारी मुर्गी. जोकि भारतीय देसी नस्ल की मुर्गी है. यह मुर्गी शुष्क इलाकों में पाली जाती है. वैज्ञानिकों का दावा है कि 20 सप्ताह के अंदर ही उपकारी मुर्गी के चूजों का वजन डेढ़ किलो से भी ज्यादा हो जाता है. यह 1 साल में 195 से 200 अंडे देती है. इसका मांस पौष्टिक और स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है. नहीं पड़ता भीषण गर्मी का असर भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई देसी नस्ल की हितकारी मुर्गी जिसकी गर्दन पर बाल नहीं होते. यह मुर्गी शरीर की गर्मी को आराम से निकाल लेती है. जिसकी वजह से इसके मांस की बाजार में काफी मांग रहती है. यह देसी नस्ल की मुर्गी साल भर में 195 से 200 अंडे देती है. आमतौर पर गर्मी में मुर्गियों की मृत्यु दर बढ़ जाती है. लेकिन यह मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ गर्मियों में भी अंडों का बंपर उत्पादन देती है. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 7, 2024, 18:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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