क्या मंकीपॉक्स का संक्रमण असिम्टोमैटिक भी हो सकता है कब आते हैं लक्षण जानें
क्या मंकीपॉक्स का संक्रमण असिम्टोमैटिक भी हो सकता है कब आते हैं लक्षण जानें
मंकीपॉक्स में तेज बुखार आता है जो सामान्य रूप से भी लोगों को आ जाता है. थकान, बदन और सरदर्द, मांसपेशियों में दर्द भी सामान्य बात है. सिर्फ त्वचा पर दिखाई देने वाले लाल चकत्तों या पस भरे हुए लाल दानों के उभरने से ही मंकीपॉक्स का शक पैदा होता है और मरीज इसकी जांच कराता है.
नई दिल्ली. भारत में मंकीपॉक्स वायरस ने पैर पसार लिए हैं. अभी तक यहां पर मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित 5 मरीज सामने आ चुके हैं जबकि मंकीपॉक्स के लक्षणों वाले कई संदिग्धों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं. पिछले दो सालों से कोरोना से जूझ रहे लोगों के सामने इस नई मुसीबत के आने और मामलों के बढ़ते जाने से अब चिंता पैदा हो गई है. कोरोना की तरह ही संक्रामक रोग होने के कारण इसके फैलने और लक्षणों को लेकर भी कई सवाल लोगों के मन में हैं. इन्ही में से एक है कि क्या मंकीपॉक्स वायरस का संक्रमण असिम्टोमैटिक यानि बिना लक्षणों वाला भी हो सकता है? जैसा कि कोरोना के दौरान देखा गया है.
इस सवाल के जवाब में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. एम सी मिश्र कहते हैं कि मंकीपॉक्स, कोरोना की तरह असिम्टोमैटिक या बिना लक्षणों वाला नहीं हो सकता है. मंकीपॉक्स की पहचान ही लक्षण आने के कारण हो पाती है वरना तो इसके अन्य लक्षण एकदम सामान्य हैं जो आमतौर पर सामान्य बीमारियों या मौसमी बीमारियों में सामने आते हैं. मंकीपॉक्स में तेज बुखार आता है जो सामान्य रूप से भी लोगों को आ जाता है. थकान, बदन और सरदर्द, मांसपेशियों में दर्द भी सामान्य बात है. सिर्फ त्वचा पर दिखाई देने वाले लाल चकत्तों या पस भरे हुए लाल दानों के उभरने से ही मंकीपॉक्स का शक पैदा होता है और मरीज इसकी जांच कराता है.
डॉ. मिश्र कहते हैं कि यह अलग बात है कि मंकीपॉक्स का वायरस शरीर में जाने के बाद लक्षण पैदा करने या अपना असर दिखाने में कुछ समय लगाता है, जो वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड कहलाता है. मंकीपॉक्स के इन्क्यूबेशन पीरियड को लेकर अभी तक कई अनुमान जताए गए हैं. ऐसे में 6 से 13 दिन या 5 से 21 दिन पहले संपर्क में आने के बाद इसका संक्रमण देखा जा सकता है. लिहाजा लक्षण न आ पाने के चलते इस वायरस के संक्रमण को पहचानना तो काफी मुश्किल है लेकिन एक बात तय कि अगर किसी के अंदर यह वायरस पहुंच चुका है लेकिन लक्षण प्रकट नहीं हुए हैं, ऐसी स्थिति में अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति इस संक्रमित के बेहद करीब रहता है तो वह भी प्रभावित हो सकता है.
डॉ. मिश्र कहते हैं कि मंकीपॉक्स कोरोना की तरह खतरनाक नहीं है और न ही यह इतना अधिक संक्रामक है. इससे बचाव का सबसे अच्छा तरीका यही है कि थोड़ी सी भी संदिग्धता होने पर दूरी बरती जाए. बाहर के व्यक्ति से मिलें तो दूरी रखें. किसी के साथ कपड़ों का आदान-प्रदान, एक साथ खाना आदि न करें. किसी के इस्तेमाल किए हुए कपड़े न पहनें और न ही इस्तेमाल में लाएं. चूंकि इस बीमारी में जब तक स्वस्थ व्यक्ति मरीज के बेहद करीब नहीं जाता, तब तक उसे संक्रमण होने का खतरा भी कम है. यह त्वचा पर हुई फुंसियों में से निकले पस के छूने, लार की बूंदों या अन्य किसी प्रकार के लिक्विड के आदान-प्रदान से होता है. थोड़ी सी भी दूरी बरतने पर इससे बचा जा सकता है.
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Tags: Corona Virus, MonkeypoxFIRST PUBLISHED : July 29, 2022, 14:54 IST