27000 ग्रेनेड 840 रॉकेट लॉन्चर 2000 ग्रेनेड आखिर क्या था चटगांव केस

Chittagong Arms and Ammunition Case: आखिर 2004 का चटगांव केस क्या था. आखिर उस केस में परेश बरुआ को क्यों बरी कर दिया गया है.

27000 ग्रेनेड 840 रॉकेट लॉन्चर 2000 ग्रेनेड आखिर क्या था चटगांव केस
Chittagong Arms and Ammunition Case: बांगलादेश हाईकोर्ट ने बुधवार को चटगांव हथियार तस्करी केस में पूर्व गृह मंत्री लुत्फुज्जमां बाबर और पांच अन्य को बरी कर दिया. इन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी. 2004 में यह केस सामने आया था जब 10 ट्रक हथियार बरामद किए दए थे. हाईकोर्ट ने इस केस में सजायाफ्ता आतंकवादी संगठन उल्फा के सैन्य प्रमुख परेश बरुआ की मौत की सजा को भी घटाकर 10 साल की जेल में बदल दिया. रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला जस्टिस मुस्तफा जमान इस्लाम की अगुवाई वाली दो सदस्यीय पीठ ने सुनाया. इस केस में बरी होने वालों के नाम हैं. निदेशालय जनरल ऑफ फोर्सेज इंटेलिजेंस (DGFI) के पूर्व निदेशक, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) रेजाकुल हैदर चौधरी, पूर्व CUFLके प्रबंध निदेशक मोहसिन तालुकदार, CUFL के पूर्व जनरल मैनेजर (प्रशासन) एनेमुल हक, उद्योग मंत्रालय के पूर्व अतिरिक्त सचिव नूरुल अमीन और जमात नेता मतिउर रहमान निजामी. बांग्लादेश के अखबार दैनिक स्टार के अनुसार मतिउर रहमान निजामी को 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मई 2016 में फांसी की सजा सुनाई गई थी. हाईकोर्ट की पीठ 11 दिसंबर को दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी. 2004 चटगांव हथियार तस्करी मामला यह मामला 1 अप्रैल 2004 का है, जब चिटगांव यूरिया फर्टिलाइजर लिमिटेड (CUFL) के घाट पर कर्णफुली नदी में 10 ट्रकों में हथियार पकड़े गए थे. इसे बांगलादेश के इतिहास में सबसे बड़ा हथियार तस्करी का मामला माना जाता है. जांचकर्ताओं का मानना था कि इन हथियारों की आपूर्ति उल्फा को की जा रही थी. उल्फा भारत में असम की एक आतंकवादी संगठन है. इस संगठन 1979 से अब तक हजारों लोगों की हत्या कर चुका है. उल्फा के सैन्य प्रमुख परेश बरुआ उस समय ढाका में रह रहा था. वह इस मामले में आरोपी 50 व्यक्तियों में से एक था. रिपोर्ट के मुताबिक उन ट्रकों में कुल 4,930 प्रकार के अत्याधुनिक हथियार, 27,020 ग्रेनेड, 840 रॉकेट लांचर, 300 रॉकेट, 2,000 ग्रेनेड लांचिंग ट्यूब, 6,392 मैगजीन और 1,140,520 गोलियां थीं. ये हथियार चटगांव बंदरगाह के CUFL घाट पर दो इंजन वाली नावों से 10 ट्रकों में लोड किए जा रहे थे. इस मामले से जुड़े दो केस चटगांव के कर्णफुली पुलिस थाने में हथियार अधिनियम और विशेष शक्तियां अधिनियम के तहत दायर किए गए थे. 30 जनवरी 2014 को चटगांव सत्र अदालत और विशेष न्यायाधिकरणने अपना फैसला सुनाया. सत्र अदालत ने 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई, जिनमें पूर्व उद्योग मंत्री और जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख मतिुर रहमान निजामी (उसे एक अन्य मामले में फांसी की सजा दी गई), लुत्फुज्जमां बाबर, परेश बरुआ और दो खुफिया एजेंसियों के प्रमुख शामिल थे. इसके अलावा, आरोपियों को हथियार अधिनियम के तहत एक अलग मामले में आजीवन कारावास की सजा भी दी गई. सत्र अदालत के फैसले के बाद मामला और उसका फैसला हाईकोर्ट की मौत की सजा से संबंधित शाखा में भेजा गया, जहां इसे मृत्यु संदर्भ मामला के रूप में पंजीकृत किया गया. इस दौरान, दोषी व्यक्तियों ने 2014 में पर लट में फैसले के खिलाफ अपील की थी. Tags: Bangladesh newsFIRST PUBLISHED : December 19, 2024, 14:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed