Pithoragarh: चाइना बाॅर्डर की कनेक्टिविटी मुहाल लगातार दरक रही हरड़िया की पहाड़ी बनी खतरनाक मुसीबत
Pithoragarh: चाइना बाॅर्डर की कनेक्टिविटी मुहाल लगातार दरक रही हरड़िया की पहाड़ी बनी खतरनाक मुसीबत
नाचनी क्षेत्र के लोगों को यहां से हटाया जा रहा है. लगातार पुल टूटते जा रहे हैं. करीब एक किलोमीटर का इलाका मलबे और नाले के बहाव से दलदल जैसा हो गया है. प्रशासन फिर सर्वे कराने की बात कह रहा है तो ग्रामीणों का रोना अलग है और बाॅर्डर तक पहुंचने का संकट तो है ही...
पिथौरागढ़. उत्तराखंड राज्य में स्थित भारत-चाइना बॉर्डर को जोड़ने वाली रोड के लिए हरड़िया की पहाड़ी अभिशाप बन गई है. इस बरसात में भी यहां भूस्खलन हो रहा है, लेकिन चिंताजनक खबर यह है कि इस पहाड़ी में लगातार दो दशकों से लैंडस्लाइड जारी है. बरसात ही नहीं बल्कि हर मौसम में लैंडस्लाइड हो रहा है. लगातार पहाड़ी दरकने से पूरा इलाका खतरे में है. अब तक यहां करोड़ों की लागत के आधा दर्जन से अधिक बैली ब्रिज जमींदोंज हो चुके हैं और भूस्खलन व बारिश के मेलजोल से एक नाले के कारण सड़क के पास एक तालाब जैसा बन गया है.
हरड़िया की पहाड़ी से साल भर भारी बोल्डर्स के साथ गिर रहे मलबे ने यहां आधा दर्जन से ज़्यादा बैली पुलों को नष्ट कर दिया है. नाचनी के पास हरड़िया नाले के पानी से एक तलाब जैसी स्थिति बन गई है. हालात ये हैं कि इस इलाके में 24 परिवारों को अब तक अन्य स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका है. सैंकड़ों नाली ज़मीन भी लगातार लैंडस्लाइड की भेंट चढ़ गई है. स्थानीय निवासी जीवन दानू का कहना है कि कई बार प्रशासन को समस्याएं बताई जा चुकी हैं, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा है. बॉर्डर की कनेक्टिविटी ठप, फिर सर्वे की कवायद
हरड़िया नाले व पहाड़ी के स्खलन से सबसे अधिक प्रभावित बॉर्डर की कनेक्टिविटी रही है. इसी इलाके से चाइना बॉर्डर तक पहुंचा जा सकता है. लेकिन नाले के तेज बहाव और लगातार हो रहे लैंडस्लाइड के कारण रोड अक्सर बंद रहती है. अब तो हालात ये हैं कि नाले के तेज बहाव ने पूरे एक किलोमीटर के दायरे को चपेट में ले लिया है. पिथौरागढ़ के डीएम आशीष चौहान ने बताया कि जानकारों द्वारा एक बार फिर पहाड़ी का सर्वे किया जा रहा है. पहाड़ी में पड़ी दरारों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है. सर्वे होने के बाद ट्रीटमेंट का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा.
गौरतलब है कि हरड़िया की पहाड़ी को बचाने की शुरुआत में कुछ कोशिशें भी हुईं, लेकिन ये कोशिशें कभी परवान नही चढ़ पाईं. नतीजा ये हुआ कि साल दर साल पहाड़ी दरक रही है, जो इस इलाके को कभी भी लील सकती है. जानकार हों या स्थानीय लोग, कोई ठोस प्लान तैयार किए जाने की ही बात कर रहे हैं.
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Tags: India china border, Uttarakhand landslideFIRST PUBLISHED : September 06, 2022, 08:23 IST