AzadiSAT: स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के मौके पर 750 लड़कियों ने बनाया उपग्रह Science के क्षेत्र में आकर्षित करने की इसरो की अनूठी पहल

भारत 15 अगस्त को स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष का जश्न मनाने के लिए तैयार है. ऐतिहासिक दिन को यादगार करने के लिए, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पूरे भारत से 750 छात्राओं द्वारा विकसित और निर्मित 75 पेलोड लॉन्च करेगा. इस पेलोड को आजादीसैट नाम दिया गया है. आज़ादीसैट पेलोड, छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से लंच होगा. एसएसएलवी (SSLV)का यह पहला मिशन होगा.

AzadiSAT: स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के मौके पर 750 लड़कियों ने बनाया उपग्रह Science के क्षेत्र में आकर्षित करने की इसरो की अनूठी पहल
हाइलाइट्सस्पेस किड्ज़ इंडिया ने इसरो के पहल पर देश भर के 750 लड़कियों द्वारा निर्मित 75 उपग्रह 7 अगस्त को लंच किया जायेगा. आजादी के 75 वें वर्ष का जश्न मनाने के लिए, इसरो का ये अनूठा पहल है. इन उपग्रहों का वजन 50 ग्राम होगा. नई दिल्ली: भारत 15 अगस्त को स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मनाने के लिए तैयार है. ऐतिहासिक दिन को यादगार बनाने के लिए, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पूरे भारत से 750 छात्राओं द्वारा विकसित और निर्मित 75 पेलोड लॉन्च करेगा. इस पेलोड को आजादीसैट नाम दिया गया है. आज़ादीसैट पेलोड, छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से लॉन्च होगा. एसएसएलवी (SSLV) का यह पहला मिशन होगा. उपग्रह को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 7 अगस्त को सुबह 9:18 बजे लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में लॉन्च किया जाएगा.  आज़ादीसैट क्या है? आज़ादीसैट भारत भर की 750 छात्राओं द्वारा विकसित किया गया है. इसरो का मानना है कि इससे लड़कियों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा सकता है. आठ किलोग्राम के क्यूबसैट में 75 अलग-अलग पेलोड हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है, जो फीमेल-प्रयोगों का संचालन करेगा. इसरो ने कहा कि देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन पेलोड के निर्माण के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया गया था, जिसे बाद में “स्पेस किड्स इंडिया” की छात्र टीम द्वारा एकीकृत किया गया था. पेलोड में न केवल शौकिया रेडियो ऑपरेटरों के लिए आवाज और डेटा ट्रांसमिशन को सक्षम करने के लिए हैम रेडियो फ्रीक्वेंसी में काम करने वाला एक यूएचएफ-वीएचएफ ट्रांसपोंडर शामिल है, बल्कि एक सेल्फी कैमरा भी शामिल है. आज़ादीसैट में अपनी कक्षा में आयनकारी विकिरण और एक लंबी दूरी के ट्रांसपोंडर को मापने के लिए एक ठोस-राज्य पिन डायोड-आधारित विकिरण काउंटर भी है. इसरो अंतरिक्ष किड्ज इंडिया द्वारा विकसित ग्राउंड सिस्टम का उपयोग टेलीमेट्री और कक्षा में पेलोड के साथ संचार के लिए करेगा.  स्पेस किड्ज इंडिया के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी रिफत शारुक ने बताया, “यह STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए सभी महिलाओं की अवधारणा के साथ अपनी तरह का पहला अंतरिक्ष मिशन है क्योंकि इस वर्ष की संयुक्त राष्ट्र की थीम ‘अंतरिक्ष में महिलाएं’ है.”   क्या है SSLV एसएसएलवी को 500 किलोग्राम वजन वाले पेलोड को 500 किलोमीटर की प्लानर कक्षा में लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. अगर इसकी तुलना पीएसएलवी से करें तो – इसरो का ये वर्कहॉर्स – 600 किमी की ऊंचाई पर 1,750 किलोग्राम के पेलोड को सूर्य तुल्यकालिक कक्षा में ले जा सकता है. एसएसएलवी एक तीन चरणों वाला वाहन है जिसमें सभी ठोस प्रणोदन होते हैं जो तरल प्रणोदन-आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल का उपयोग करके उपग्रहों को निर्दिष्ट कक्षाओं में भेजेगा. इसरो ने बताया कि SSLV में ग्राहकों के लिए आकर्षक बनाने वाली विशेषताएं जैसे कि कम लागत, तेज टर्नअराउंड समय, कई उपग्रहों को समायोजित करने में लचीलापन, ऑन-डिमांड प्रयोग और कम से कम जरूरतों में सैटेलाइट लॉन्च इत्यादि हैं. पहले मिशन पर प्राथमिक पेलोड पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (ईओएस-02) होगा, जो एक ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपग्रह है जो भू-पर्यावरण अध्ययन, वानिकी, जल विज्ञान, कृषि, मिट्टी और तटीय क्षेत्र में थर्मल विसंगतियों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Azadi Ka Amrit Mahotsav, ISRO, Space ScienceFIRST PUBLISHED : August 04, 2022, 15:14 IST