Pithoragarh: अस्कोट सेंचुरी में शामिल होंगे 123 गांव क्या होगा बॉर्डर से लगे इन ग्रामीण इलाकों में विकास का मॉडल
Pithoragarh: अस्कोट सेंचुरी में शामिल होंगे 123 गांव क्या होगा बॉर्डर से लगे इन ग्रामीण इलाकों में विकास का मॉडल
Askot Sanctuary Uttarakhand: सुप्रीम कोर्ट के नए फरमान के बाद पिथौरागढ़ के इन इलाकों में किसी भी तरह का सरकारी और गैर-सरकारी काम नहीं हो सकेगा. इस वजह से इन क्षेत्र में स्वीकृत परियोजनाओं का भविष्य भी अब अधर में है.
हिमांशु जोशी
पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में ‘अस्कोट सेंचुरी’ (Askot Sanctuary) का दायरा बढ़ गया है. सुप्रीम कोर्ट के फरमान के बाद अब चीन-नेपाल बॉर्डर से सटे 123 गांवों को इको सेंसिटिव जोन के दायरे में शामिल किया जाना है. कोर्ट के फैसले के बाद इन इलाकों में एक पैदल रास्ता बनाना भी कठिन हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने जहां एक ओर 123 गांवों को सेंचुरी में शामिल किया है, वहीं ‘अस्कोट सेंचुरी’ से सटे एक किलोमीटर के दायरे को भी इको सेंसिटिव जोन में शामिल करने का फैसला लिया है. नए फरमान के बाद अब इन इलाकों में किसी भी तरह का सरकारी और गैर-सरकारी काम नहीं हो सकेगा, जिससे इन क्षेत्र में स्वीकृत परियोजनाओं का भविष्य भी अब अधर में है. साथ ही इको सेंसिटिव जोन के करीब भवन निर्माण पर भी पूरी तरह रोक लग गई है. जबकि स्थानीय निवासी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नाखुश हैं.
स्थानीय निवासी दीपक चुफाल ने कहा कि बॉर्डर से सटे इन गांवों में विकास होना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं होता है तो पलायन और ज्यादा होगा. क्षेत्र की जनता चाहती है कि उनके गांवों को इको सेंसिटिव जोन में शामिल न किया जाए.
दरअसल कस्तूरी मृग के संरक्षण के लिए ‘अस्कोट सेंचुरी’ बनाई गई थी, लेकिन भारी विरोध को देखते हुए 2013 में बहुगुणा सरकार ने सेंचुरी से 111 गांवों को बाहर कर दिया था. सेंचुरी से बाहर होने के बाद बॉर्डर के इन इलाकों में विकास योजनाओं का रास्ता खुला था, लेकिन 9 साल बाद एक बार फिर पुरानी स्थिति बहाल हो गई है.
अधर में लटक जाएंगी योजनाएं
जनहित याचिका पर फैसला लेते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने इको सेंसिटिव जोन में बॉर्डर के 123 गांवों को शामिल करने का फरमान जारी किया है. चीन और नेपाल से सटे इस इलाके में कई विकास योजनाएं पाइपलाइन में हैं. पहले से इस सेंचुरी से लगे होने के कारण कई गांव सड़क सेवा से वंचित हैं, साथ ही यहां बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं भी प्रस्तावित हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फरमान से धारचूला तहसील और उससे सटे इलाके में विकास परियोजनाओं के भविष्य पर भी सवाल उठ गए हैं. जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान ने शासन को रिपोर्ट भेजने की बात कही है.
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Tags: Pithoragarh district, Pithoragarh news, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 04, 2022, 15:14 IST