नीतीश ने कैसे बनाया था पाला बदली का मन NDA मीटिंग में CM ने बता दिया सूत्रधार

Bihar Politics: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के कुछ नेताओं की ओर इशारा कर आज कहा कि इन्हीं लोगों के कारण मैं 2 बार आरजेडी के साथ गया था. मैंने राजद के साथ जाकर गलती की थी, लेकिन अब मैं बीजेपी के साथ ही एनडीए में रहूंगा. नीतीश कुमार ने अपने जिन नेताओं की ओर इशारा किया राजनीति के गलियारों में उनकी भूमिका की चर्चा होती रहती है. ऐसे में आइये जानते हैं कि वर्ष 2017 और 2022 में नीतीश कुमार के मन बदलने के सूत्रधार कौन थे.

नीतीश ने कैसे बनाया था पाला बदली का मन NDA मीटिंग में CM ने बता दिया सूत्रधार
हाइलाइट्स नीतीश कुमार के एनडीए-आरजेडी से पाला बदली की कहानी. CM नीतीश कुमार ने इशारों में बताया मन बदलने वाला सूत्रधार. पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर कहा कि वह अब एनडीए छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले हैं. इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए यह इच्छा भी जताई कि वह चौथी बार भी प्रधानमंत्री बनें. सीएम नीतीश ने बिहार एनडीए की मीटिंग में कहा, 2 बार राजद के साथ जा कर मैंने गलती की, लेकिन अब नहीं. मैं बीजेपी के साथ रहूंगा. नीतीश कुमार ने अपने पार्टी के कुछ नेताओं की ओर इशारा कर कहा कि इन्हीं लोगों के कारण मैं 2 बार गया था. बीजेपी के साथ हमारा रिश्ता 1996 से है. 2 बार गड़बड़ हुआ अब कहीं नहीं जाने वाले. बिहार की राजनीति की जब भी चर्चा होती है तो केंद्र में नीतीश कुमार ही रहते हैं. वर्ष 1996 से नीतीश कुमार एनडीए के साथ हैं. लेकिन, बीते दो दशक की बिहार की राजनीति में उनका मन बदलना तकिया कलाम बन गया है. वर्ष 2017 में तब मन बदला जब उन्होंने पाला बदल लिया और आरजेडी का साथ छोड़ एनडीए के साथ हो लिये. इसके बाद वर्ष 2022 में फिर मन बदला. हालांकि इसके पहले वर्ष 2013 भी आता है जब इन्होंने वर्तमान पीएम और गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर बीजेपी का साथ छोड़ दिया था. अब जब नीतीश कुमार ने कहा है कि वह पीएम मोदी को चौथी बार भी प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं तो इन तीनों की प्रकरणों पर एक नजर डालते हैं. मन बदलने से लेकर पाला बदली की कहानी नीतीश कुमार का मन बदलने और फिर पाला बदलने के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. तीनों ही बार ऐसी पृष्ठभूमि तैयार हुई जो मन बदलने के अंत-अंत तक किसी को पता नहीं चल पाया था. पहले वर्ष 2013 की बात करते हैं. राजनीति के जानकार कहते हैं कि प्रधानमंत्री पद की महत्वाकांक्षा उनके अंदर 2010 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद से ही बलवती हो गई थी. वर्ष 2013 आते-आते इसने और जोर मारा तो उनके अगल-बगल के लोगों ने उनको प्रोत्साहित किया और जून 2013 में नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ दिया. बहुत बड़ा था फैसला…17 साल का साथ छूटा बता दें कि नीतीश कुमार ने बहुत बड़ा फैसला लिया था क्योंकि बीजेपी और जेडीयू 17 साल से साथ थे और यह गठबंधन टूटना पूरी राजनीतिक परिदृश्य को बदलने वाला था. तब एनडीए गठबंधन से अलग होने की घोषणा करते हुए नीतीश कुमार ने कहा था कि हम अपने मूल सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकते. उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें गठबंधन से अलग होने के लिए मजबूर किया गया. उनका इशारा गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को बीजेपी की ओर से पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किये जाने पर आपत्ति जताई थी, जिन्हें अब नीतीश कुमार चौथी बार पीएम पद पर देखना चाहते हैं. जेडीयू को हैसियत पता चली, फिर पीके आए बहरहाल, नीतीश कुमार ने फैसला ले लिया और उन्होंने एनडीए से अलग हो गए. 2014 का लोकसभा का चुनाव उनकी पार्टी जेडीयू ने अकेले लड़ा. इससे नीतीश कुमार की जेडीयू काफी नुकसान में रही और महज 2 सीट ही जीत पाई. इसके बाद हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने मई 2014 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद 2015 का विधानसभा चुनाव उन्होंने लालू यादव की आरजेडी के साथ मिलकर लड़ा था. इस गठबंधन के पीछे तब प्रशांत किशोर का दिमाग कहा गया था जो अब नीतीश कुमार और लालू यादव, दोनों के विरोध में सियासत कर रहे हैं. इस दौरान प्रशांत किशोर का नारा चल पड़ा था कि-बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है. सीन में रहे अरुण जेटली, रातोंरात हो गई पाला बदली नीतीश-लालू की जोड़ी ने प्रचंड बहुमत पाया और बिहार में सरकार बना ली. तेजस्वी यादव तब डिप्टी सीएम बने थे. दो साल बाद ही जुलाई 2017 में नीतीश कुमार का मन बदल गया और पलटबाजी करते हुए दोबारा एनडीए में आ गए. लेकिन, नीतीश कुमार ने अपना मन क्यों बदला तो इसके पीछे कहानी यह है कि नीतीश कुमार लालू यादव के साथ सहज नहीं थे. वहीं, तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली लगातार नीतीश कुमार के टच में थे. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लंबे अरसे से अरुण जेटली से निकटता रही. एनडीए से बाहर रहने के दिनों में भी नीतीश दिल्ली जब भी जाते तो जेटली से जरूर उनकी मुलाकात होती थी. बस यही कनेक्शन काम कर गया और नीतीश कुमार के पाला बदली की कहानी रच दी गई. एनडीए मीटिंग में नीतीश कुमार ने किधर किया इशारा? बिहार में रातोंरात सरकार बदल गई और नीतीश कुमार सीएम बने रहे. राजनीति के जानकार कहते हैं कि नीतीश कुमार को अरुण जेटली ने मोटिवेट किया और फिर राजद से पाला छुड़ाने के लिए उनको प्रेरित किया और एनडीए में वापस ले आए. सत्ता साथ की यह कहानी आगे चलती रही, लेकिन इसी बीच अरुण जेटली का देहांत हो गया. एनडीए में आने के बाद 2019 का लोकसभा और 2020 का विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा.  नीतीश कुमार एनडीए में बने रहे. 2020 में एनडीए के साथ लड़े, लेकिन 2022 आते आते उनका फिर मन बदल गया. उन्होंने फिर पाला बदली कर ली और राजद के साथ सरकार बना ली. चर्चा में रहते हैं पाला बदली के सूत्रधार… इस बार तेजस्वी यादव फिर उपमुख्यमंत्री बने. हालांकि, नीतीश कुमार ने इसके सूत्रधार का जिक्र कर राज खोल दिया. बता दें कि आज एनडीए की बैठक में जब वह संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने इस राज पर से पर्दा उठा दिया कि किनके कहने पर उन्होंने पाला बदली की थी. अगल-बगल कुछ नेता थे, विजेंद्र यादव, ललन सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह, राधा मोहन सिंह, संजय जायसवाल, दिलीप जायसवाल और संजय झा समेत कई वरिष्ठ नेता थे. बिहार के राजनीति के जानकार, जो सत्ता के गलियारों में रहते हैं वह तो समझ गए होंगे. लेकिन, मीडिया में जो चर्चा में रहती है उसमें नीतीश कुमार की पाला बदली के लिए ललन सिंह और विजेंद्र यादव की महती भूमिका के बारे में चर्चा होती रहती है. लेकिन, नीतीश ने आज भी नाम नहीं खोला पर राज तो बता ही दिया. बहरहाल, उन्होंने इसी वर्ष जनवरी में पाला बदली की और भूल सुधार कर ली. Tags: Bihar politics, CM Nitish KumarFIRST PUBLISHED : October 28, 2024, 18:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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