इस विधि से करें धान की रोपाई ज्यादा पैदावार से होगी मोटी कमाई

मुरादाबाद के मनोहरपुर स्थित कृषि प्रशिक्षण केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर दीपक मेहंदी रत्ता ने बताया कि धान की बहुत सारी वैरायटी बाजार में आ गई है. लेकिन, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हमने किस विधि से धान की फसल लगाई है जिससे हमें फायदा हो. आइए जानते हैं कि किस विधि से धान की फसल लगाने से मुनाफा और पैदावर बढ़ती है.

इस विधि से करें धान की रोपाई ज्यादा पैदावार से होगी मोटी कमाई
मुरादाबाद /पीयूष शर्मा: बरसात का मौसम चल रहा है ऐसे में किसानों द्वारा धान की रोपाई की जाती है. इन दिनों लगभग सभी जगह धान की रोपाई का कार्य शुरू भी हो गया है. धान की फसल एक ऐसी फसल होती है, जिसको अधिक पानी की आवश्यकता होती है. यही वजह है कि यह फसल बरसात के दिनों में लगाई जाती है. लेकिन, आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि किस विधि से धान की फसल की रोपाई की जाए जिससे पानी भी कम लगे और पैदावार भी ज्यादा हो. मुरादाबाद के मनोहरपुर स्थित कृषि प्रशिक्षण केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर दीपक मेहंदी रत्ता ने बताया कि धान की बहुत सारी वैरायटी बाजार में आ गई है. लेकिन, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हमने किस विधि से धान की फसल लगाई है जिससे हमें फायदा हो. उन्होंने बताया कि धान की फसल को लगाने के लिए 5000 लीटर से ज्यादा पानी लग जाता है. इसलिए धान एक ऐसी फसल है, जिसको पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है. इसलिए धान की फसल को करने के लिए हम ऐसी विधि के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें कम पानी में अच्छी पैदावार होती है. इस विधि से लगाए फसल धान की फसल को एसआरआई विधि से लगा सकते हैं. इसके अंदर 8 से 12 दिन की पौध हम खेत में लगाते हैं. इसमें 25 सेंटीमीटर लाइन से लाइन की दूरी और 25 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी रखी जाती है. खेत को थोड़ा ढालू बना लेते हैं और उसमें हल्का सा पानी भरते हैं. इसके बाद लाइन से धान के पौधे की रोपाई की जाती है. इसके बाद जब हम छोटी उम्र का पौधा खेत में रोपाई करते हैं. तो खेत में पानी खड़ा नहीं करते, पानी को निकाल देते हैं. इससे पौधा छोटा होता है और वह जमीन में एकदम पकड़ लेता है. तीन से चार दिन के अंदर ही पता लग जाता है कि कोई हमारा पौधा मरा तो नहीं है. तरीके से लगाने पर होता है अच्छा मुनाफा आगे उन्होंने कहा कि लाइन से और दूरी से लगाने से पौधे में फुटाव बढ़ जाता है, जिसकी वजह से उत्पादन भी डेढ़ से 2 गुना बढ़ जाता है. इसके बाद इसमें सिंचाई के लिए थोड़ा-थोड़ा पानी दिया जाता है. इसके अलावा आवश्यकता अनुसार इसकी निराई कर देते हैं. इसके 45 दिन के बाद में खरपतवार पर इतना असर नहीं पड़ता है. जिसमें दो से तीन नीति करने के बाद बहुत हो जाती है. और ज्यादा निराई करने की आवश्यकता नहीं पड़ती. यही वजह है कि पैदावार डेढ़ से दोगुना हो जाती है और पानी की भी बचत हो जाती है. Tags: Agriculture, Local18, Moradabad NewsFIRST PUBLISHED : July 2, 2024, 15:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed