सावधान! मेहनत और पैसा दोनों हो जाएगा बर्बाद तुरंत करें ये काम

भिंडी की पत्तियों में माइट्स का प्रकोप देखा जा रहा है. यह छोटे कीड़े पत्तियों और तनों पर मकड़ी के जाले की तरह दिखते हैं और पौधों को धीरे-धीरे नष्ट कर देते हैं.

सावधान! मेहनत और पैसा दोनों हो जाएगा बर्बाद तुरंत करें ये काम
बलिया: अगर आप एक किसान हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण और उपयोगी है. मौसम के बदलाव के साथ भिंडी की फसलों में माइट्स और अन्य कीड़ों की समस्या बढ़ रही है. इस समस्या का समय रहते समाधान न किया जाए तो आपकी पूरी फसल नष्ट हो सकती है, जिससे आर्थिक नुकसान हो सकता है. आइए जानते हैं कि कैसे इस समस्या से बचा जा सकता है और कौन-कौन सी विधियां अपनानी चाहिए. श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया के कीट विज्ञान विभाग के विशेषज्ञ डॉ. संजीत कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि भिंडी की पत्तियों में माइट्स का प्रकोप देखा जा रहा है. यह छोटे कीड़े पत्तियों और तनों पर मकड़ी के जाले की तरह दिखते हैं और पौधों को धीरे-धीरे नष्ट कर देते हैं. समय पर इसका उपचार न किया जाए तो यह पूरे पौधे को नष्ट कर सकता है. माइट्स के लक्षण और उनका प्रभाव पत्तियों का मुड़ना: माइट्स के प्रकोप से पत्तियां मुड़ जाती हैं और पीली पड़ने लगती हैं. विकास रुकना: माइट्स के प्रभाव से पौधों का विकास और उत्पादन दोनों रुक जाते हैं. मकड़ी के जाले: पत्तियों और तनों पर मकड़ी के जाले जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. माइट्स की रोकथाम के उपाय शुरुआती उपचार: माइट्स की समस्या के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही तुरंत उपचार करना आवश्यक है. कीटनाशकों का प्रयोग प्रारंभ में ही करना चाहिए. कीटनाशकों का प्रयोग: ओ माइट, फेन प्रॉक्सिमेट, डाइकोफॉल या नीम के तेल का प्रयोग बेहद प्रभावी होता है. नीम ऑयल का 1 ML प्रति लीटर पानी में मिश्रण करके छिड़काव करने से माइट्स का प्रकोप रोका जा सकता है. नियमित निरीक्षण: फसलों की नियमित निरीक्षण करें और किसी भी कीड़े के प्रकोप के लक्षण दिखते ही तुरंत उपचार करें. एक्सपर्ट की सलाह डॉ. संजीत कुमार सिंह ने बताया कि माइट्स की समस्या का समय रहते समाधान किया जाना आवश्यक है. इससे न केवल फसल की बचत होगी बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि होगी. विभिन्न कीटनाशकों का सही समय पर प्रयोग करने से माइट्स के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है. रहें सावधान! भिंडी की फसलों में माइट्स की समस्या से निपटने के लिए कृषकों को सतर्क रहना होगा और समय पर उचित कदम उठाने होंगे. सही कीटनाशकों का प्रयोग और नियमित निरीक्षण से इस समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे फसलों की बचत और उत्पादन में वृद्धि हो सके. Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : July 31, 2024, 10:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed