इस बार पंच महादेव की उपासना उमड़े श्रद्धालु जानें कांवड़ यात्रा का इतिहास
इस बार पंच महादेव की उपासना उमड़े श्रद्धालु जानें कांवड़ यात्रा का इतिहास
Western UP Kanwar Yatra news: सावन के महीने में इस बार पंच महादेव की उपासना का शुभ अवसर श्रद्धालुओं के पास है. इस बार श्रावण मास में पांच सोमवार पड़ रहे हैं. पुजारी का कहना है कि पांचों सोमवार का व्रत जो नियम अनुसार रखता है; उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.
मेरठ. प्रसिद्ध औघड़नाथ मंदिर में तो आज सावन के पहले सोमवार के दिन श्रद्धा का सैलाब नजर आया. कई-कई किलोमीटर तक लंबी-लंबी कतारें लगी हुई थीं. जुबान पर ओमकारा का जयकारा और हाथ में जल लिए भक्त कदम दर कदम भोले बाबा के दरबार में हाजिरी चढ़ाने के लिए बेताब देखें. श्रावण मास में कावड़ लाने का भी विशेष महत्व है. कंधे पर कावड़ और जुबान पर ओमकारा का जयकारा लगाते हुए आजकल पश्चिमी उत्तर प्रदेश की धरती पर कांवडियों का कुंभ नजर आ रहा है. कांवड़िया कई कई लीटर गंगा जल लेकर कदम दर कदम अपने भोले बाबा से मिलने के लिए बेताब है.
कांवडियों का कहना है कि भोले बाबा के दरबार में हाजिरी का जल चढ़ाने के लिए कई-कई 100 किलोमीटर की यात्रा करते हैं. नियम धर्म का पालन करते हैं और उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है. बोल शंकर भगवान की जय इस उद्घोष के साथ समूचा कांवड़ मार्ग समूचा पश्चिमी उत्तर प्रदेश आजकल गूंज रहा है. कोई गंगोत्री से गंगाजल लेकर भोले बाबा के दरबार में हाजिरी का जल चढ़ाने के लिए चल चुका है. कोई हरिद्वार से गंगाजल लेकर भोले बाबा के मंदिर में हाजिरी का जल चढ़ाने के लिए चल चुका है. कोई अपने माता-पिता को कंधे पर बैठकर कांवड़ यात्रा कर रहा है.
भगवान परशुराम ने शुरू की थी कांवड़ यात्रा, पुरा महादेव मंदिर में चढ़ाया था जल
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई ऐसे मंदिर हैं जहां भोले बाबा के दर्शनों के लिए आजकल श्रद्धा का सैलाब उमड़ रहा है. मेरठ का औघड़नाथ मंदिर, बागपत का पुरा महादेव मंदिर, गाजियाबाद में दूधेश्वर नाथ मंदिर इन सभी मंदिरों में आजकल श्रद्धा का रेला है. बागपत के पुरा महादेव मंदिर की भी निराली कहानी है. मान्यता है कि यहीं से कावड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी. मान्यता है कि यहां भगवान परशुराम पहली बार गंगाजल गढ़ मुक्तेश्वर से लेकर बागपत के पुरा महादेव मंदिर पहुंचे थे और उनकी मनोकामना पूर्ण हुई थी. तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी.
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हरिद्वार से कांवड़ उठाकर आते हैं और करते हैं जलाभिषेक
बताया जाता है भगवान परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा के अनुसार अपनी मां रेनुका की हत्या कर दी थी. लेकिन बाद में पश्चाताप स्वरुप शिवलिंग स्थापित कर भगवान आशुतोष की घोर उपासना की तो भगवान शिव ने प्रकट होकर परशुराम की तपस्या का फल दिया. इसी मान्यता के चलते इस मंदिर में शिव भक्तों का हुजूम हरिद्वार से कांवड़ उठाकर पैदल ही पूरा महादेव मंदिर आकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते हैं.
Tags: Kanwar yatra, Lord Shiva, Meerut city news, Meerut Latest News, Meerut news, Meerut news today, Sawan Month, Sawan somvarFIRST PUBLISHED : July 22, 2024, 17:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed