बीएचयू से पढ़ाई कर शुरू किया ये काम 30 साल से दे रहा है खूब कमाई

Success Story: पढ़ाई-लिखाई के बाद हर कोई नौकरी नहीं करता. कुछ लोग खुद का काम शुरू कर दूसरे लोगों को रोजगार देते हैं.

बीएचयू से पढ़ाई कर शुरू किया ये काम 30 साल से दे रहा है खूब कमाई
आजमगढ़: आजकल कमाई के कई नए तरीके आ गए हैं. कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी लोग नर्सरी शुरू कर रहे हैं. आजमगढ़ के एक व्यवसायी ने 30 साल पहले नर्सरी का व्यापार शुरू किया और अब उनकी सफलता की कहानी दूर-दूर तक फैली हुई है. आज उनका व्यापार सिर्फ आजमगढ़ और उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि गोवा तक भी फैल चुका है. साथ ही वो दूसरे लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. 30 साल पुरानी है जय भारत नर्सरी आजमगढ़ के हाफिजपुर इलाके में स्थित ‘जय भारत नर्सरी’ की स्थापना 1994 में बंश गोपाल द्वारा की गई थी. यह नर्सरी अब लगभग 11 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है और इसका विस्तार आजमगढ़, गोरखपुर, मऊ, वाराणसी जैसे शहरों के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों तक हो चुका है. नर्सरी में 10 लाख से अधिक पेड़-पौधों की विविध प्रजातियां मौजूद हैं और यह क्षेत्र की सबसे बड़ी नर्सरी के रूप में जानी जाती है. 100 से ज्यादा लोगों की दी नौकरी इस नर्सरी में विभिन्न प्रकार के छोटे फूलों के पौधों से लेकर बड़े फलदार वृक्षों तक हर तरह के पेड़-पौधों की प्रजातियां उपलब्ध हैं. नर्सरी आसपास के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण रोजगार स्रोत बन गई है. यहां लगभग 40 से 45 महिलाएं काम करती हैं और कुल मिलाकर 100 से अधिक लोग इस नर्सरी से रोजगार पाते हैं. हालांकि, लोकल 18 से बात करते हुए उन्होंने अपनी कमाई के बारे में नहीं बताया. इसे भी पढ़ें: IIT इंदौर ने विकसित किया नया जियोग्रिड, भारतीय कछुए से प्रेरित है इनोवेशन बीएचयू से की थी एग्रीकल्चर की पढ़ाई लोकल 18 से बात करते हुए नर्सरी के संचालक बंश गोपाल ने बताया कि उन्होंने बीएचयू से एग्रीकल्चर की पढ़ाई की है और शुरू से ही इस क्षेत्र में काम करने का मन बनाया था. शुरुआत में उन्होंने पोल्ट्री फार्मिंग और सब्जी की खेती की, जिसके बाद उन्होंने नर्सरी का व्यापार शुरू किया.आज उनकी नर्सरी में 10 लाख से अधिक पेड़-पौधों की विविध प्रजातियां हैं. गार्डनिंग के शौकीन लोग दूर-दूर से यहां आते हैं, और यहां के पौधों की गुणवत्ता के कारण नर्सरी में हर महीने हजारों पौधे बिक जाते हैं. सरकारी योजनाओं से मिली मदद बंश गोपाल ने बताया कि नर्सरी की शुरुआत करते समय उन्हें सरकार की योजनाओं से मदद मिली थी. इसके अलावा, जो किसान इस नर्सरी से जुड़े हुए हैं, वे खेती के साथ-साथ नर्सरी के माध्यम से भी अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं. बंश गोपाल के अनुसार, उनकी सफलता का श्रेय उनके निरंतर परिश्रम और मिट्टी के प्रति उनके समर्पण को जाता है. Tags: Agriculture, Azamgarh news, Local18FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 13:37 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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