कलयुग में इस जगह पर अवतरित हुए थे बजरंगबली आज भी हैं विराजमान जानें मान्यता

Chitrakoot Tota mukhi hanuman mandir : तोता मुखी हनुमान मंदिर के पुजारी मोहित दास ने बताया की बजरंगबली ने प्रभु श्रीराम के आदेश के बाद तुलसीदास जी को प्रभु श्री राम के दर्शन करवाने के लिए चित्रकूट में तोते के रूप में अवतरित हए.और जब से वह चित्रकूट में तोते के रूप में विराजमान हो गए.

कलयुग में इस जगह पर अवतरित हुए थे बजरंगबली आज भी हैं विराजमान जानें मान्यता
विकाश कुमार/ चित्रकूट: धर्म नगरी चित्रकूट में हनुमान जी की एक विशेष मान्यता है. यहां उन्हें तोते के रूप में पूजा जाता है. मान्यता के अनुसार जब प्रभु श्री राम ने वनवास का समय बिताया, तब हनुमान जी ने चित्रकूट में अवतार लिया. आज भी वे इस नगर की रक्षा कर रहे हैं और भक्त दूर-दूर से तोता मुखी हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं. यह स्थान भक्तों के लिए आध्यात्मिक महत्व रखता है, जहां हनुमान जी की उपासना और उनकी शक्ति का अनुभव किया जा सकता है. पुजारी ने दी जानकारी चित्रकूट के तोता मुखी हनुमान मंदिर के पुजारी मोहित दास के अनुसार  त्रेता युग में भगवान श्री राम का निवास किसकिंधा पर्वत पर था, जहां हनुमान जी भी उनके साथ थे. जब राम को साढ़े 11 वर्षों का वनवास मिला, तो वे भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ चित्रकूट चले गए, जबकि हनुमान जी वहां अकेले रह गए. हनुमान जी ने भी लिखी थी रामायण मान्यता है कि  इस दौरान हनुमान जी ने एक रामायण लिखी. जब उन्होंने इसे वाल्मीकि जी को दिखाया, तो वाल्मीकि जी ने इसे पढ़कर अच्छी बताई, लेकिन यह सोचकर उन्होंने बाद में रामायण में कमी निकाल दी कि अगर उन्होंने इसकी तारीफ की, तो उनकी खुद की रामायण को लोग नहीं पढ़ेंगे. इस तरह हनुमान जी की लिखी रामायण समुद्र में डलवा दी गई. तुलसी दास ने फिर से जीवित की हनुमान जी की रामायण मान्यता है कि बाल्मीकि जी कलयुग में तुलसीदास जी के रूप में अवतरित हुए और उन्होंने रामायण का लेखन शुरू किया. इस दौरान भगवान ने तुलसीदास जी को बताया कि आपकी जो रामायण है, वह वास्तव में हनुमान जी द्वारा लिखी गई थी, जिसे पहले वाल्मीकि जी ने समुद्र में डाल दिया था. इस प्रकार यह कथा बताती है कि हनुमान जी की महिमा और उनके कार्य को पुनः जीवित करने का कार्य तुलसीदास जी ने किया है. तोते के रूप में कलयुग में अवतरित हुए हनुमान चित्रकूट के पुजारी मोहित दास के दावे के अनुसार रामचरितमानस का पाठ वास्तव में हनुमान जी की वाणी है, जबकि इसे लिखने का कार्य तुलसीदास जी ने किया है. हनुमान जी ने भगवान राम से यह शिकायत की थी कि उनका स्थान चित्रकूट में नहीं है, जबकि उनका वास वहीं है. तभी भगवान राम ने कहा कि कलयुग में तुलसीदास जी के नाम से एक भक्त होंगे, जिन्हें आप मेरा दर्शन करवाने के लिए चित्रकूट में तोते के रूप में अवतरित होंगे. मान्यता है कि हनुमान जी का अवतार चित्रकूट में तोते के रूप में हुआ है और आज भी वे इसी रूप में यहां  विराजमान हैं, चित्रकूट की रक्षा करते हैं. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : September 24, 2024, 13:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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