कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर क्या पीएम मोदी थी अलग योजना 5 साल बाद

जम्मू कश्मीर से ठीक पांच साल पहले अनुच्छेद 370 खत्म किया गया था. इसको लेकर एक किताब में कुछ नए खुलासे हुए हैं. इस किताब के प्रस्तावना में पीएम मोदी ने खुद लिखा है कि वह मानते थे कि इस फैसले के क्रियान्वयन के लिए जम्मू कश्मीर की जनता को विश्वास में लेना नितांत आवश्यक है.

कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर क्या पीएम मोदी थी अलग योजना 5 साल बाद
भारत सरकार ने ठीक पांच साल पहले जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था. मोदी सरकार के इस फैसले को अब तक के कुछ चुनिंदा साहसिक फैसलों में से एक माना गया था. यह एक ऐसा फैसला था जिसके बेहद दूरगामी परिणाम होने की संभावना थी. ऐसे में इस फैसले के बारे में पीएम मोदी और उनके गृह मंत्री अमित शाह क्या सोच रहे थे? इस बारे में हाल ही में एक खुलासा हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 निरस्त करने के उनकी सरकार के फैसले के बारे में कहा है कि ‘मेरे मन में यह बात बहुत स्पष्ट थी कि इस फैसले के क्रियान्वयन के लिए जम्मू कश्मीर की जनता को विश्वास में लेना नितांत आवश्यक है.’ प्रधानमंत्री मोदी ने ‘370 : अनडूइंग द अनजस्ट, ए न्यू फ्यूचर फॉर जम्मू कश्मीर’ नामक नयी किताब की प्रस्तावना में ये टिप्पणियां की हैं. उन्होंने पुस्तक में लिखा कि हम चाहते थे कि जब भी यह निर्णय लिया जाए तो यह लोगों पर थोपने के बजाय उनकी सहमति से होना चाहिए. यह किताब गैर-लाभकारी संगठन ‘ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन’ ने लिखी है और इसे पेंगुइन इंटरप्राइज ने प्रकाशित किया है. किताब में विस्तार से उन जानकारियों का उल्लेख किया गया है कि मोदी ने अपने लिए जो लक्ष्य तय किए थे, उन्हें कैसे हासिल किया. असंभव को संभव बनाने वाला फैसला प्रकाशकों ने बताया कि इस पुस्तक का विमोचन अगस्त में ही किया जाना है. उन्होंने कहा कि यह किताब निस्संदेह भारत के इतिहास की सबसे बड़ी संवैधानिक उपलब्धि के साथ साथ यह भी बताती है कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी ने असंभव प्रतीत होने वाला यह काम किया. पेंगुइन ने सोमवार को अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के पांच साल पूरे होने पर एक बयान में कहा कि यह पुस्तक स्वतंत्रता के समय की गयी कई भूलों पर प्रकाश डालती है, जिसकी परिणति अनुच्छेद 370 के अन्यायपूर्ण क्रियान्वयन के रूप में हुई. यह 1949 में लागू किए जाने के बाद से ही अनुच्छेद 370 के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रभावों पर चर्चा करती है. प्रकाशकों ने दावा किया है कि यह ‘मोदी सरकार पर अपनी तरह की पहली किताब है जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित शीर्ष निर्णय निर्माताओं के साथ बातचीत के माध्यम से असल में निर्णय लेने की प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण किया गया है.’ इस पुस्तक की प्रशंसा करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, ‘एक ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय का अत्यंत पठनीय विवरण, जिसने जम्मू-कश्मीर के विकास और सुरक्षा परिदृश्य को बदलते हुए राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया है. यह पुस्तक इस पर प्रकाश डालती है कि कैसे पहले के युग के राजनीतिक समीकरणों और व्यक्तिगत रुझानों का राष्ट्रीय भावना ने अंतत: प्रतिकार किया.’ Tags: Article 370, Jammu and kashmir, PM ModiFIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 15:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed