उत्तराखंड वन अधिकारी क्या करता पाया गया जो भड़क गया SC चीफ सेक्रेटरी तलब
उत्तराखंड वन अधिकारी क्या करता पाया गया जो भड़क गया SC चीफ सेक्रेटरी तलब
Uttarakhand Forest Fire: सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कहा कि कई कार्य योजनाएं तैयार की जाती हैं, लेकिन उनके कार्यान्वयन के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता. शीर्ष अदालत ने राज्य के वन विभाग में भारी संख्या में खाली पड़े पदों का मुद्दा भी उठाया और कहा कि इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है.
नई दिल्ली. उत्तराखंड के जंगल में लगातर धधक रही आग के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तराखंड सरकार को आड़े हाथों लिया. न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच इस बात से खासी नाराज दिखी की उत्तरखंड के जंगलों में भीषण आग के बावजूद वन अधिकारी को इलेक्शन ड्यूटी में लगा दिया गया. बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर क्यों राज्य सरकार को केवल 3.15 करोड़ रुपये आवंटित किए गए जबकि उन्होंने आग बुझाने के काम के लिए 10 करोड़ रुपये की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने जंगल की आग को नियंत्रित करने में राज्य सरकार के दृष्टिकोण को “असुविधाजनक” करार दिया. न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी और न्यायमूर्ति संदीप मेहता भी शामिल हैं. बेंच ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उत्तराखंड के मुख्य सचिव को 17 मई को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया. सर्वोच्च अदालत ने सरकार से पूछा, “जब राज्य ने जंगल की आग को नियंत्रित करने के लिए 10 करोड़ रुपये मांगे थे तो केवल 3.15 करोड़ रुपये क्यों दिए गए. जब उत्तराखंड में जंगल में आग लगी थी, तो वन अधिकारियों को चुनाव ड्यूटी में क्यों तैनात किया गया था.”
‘आप हमें गुलाबी तस्वीर दिखा रहे…’
बेंच ने पूछा कि जब हालात बदतर थे तब आपने हमें एक गुलाबी तस्वीर दिखाई. सुनवाई कुछ घंटों के लिए स्थगित कर दी गई और आज दोपहर 3 बजे फिर से शुरू होगी. बेंच ने कहा कि कई कार्य योजनाएं तैयार की जाती हैं, लेकिन उनके कार्यान्वयन के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता. शीर्ष अदालत ने राज्य के वन विभाग में भारी संख्या में खाली पड़े पदों का मुद्दा भी उठाया और कहा कि इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है. शीर्ष अदालत उत्तराखंड में जंगलों में लगी आग पर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
उत्तराखंड सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?
उत्तराखंड के उप महाधिवक्ता जतिंदर कुमार सेठी ने अदालत को बताया कि सभी आग मानव निर्मित थीं. उन्होंने कहा कि जंगल की आग के संबंध में कुल 388 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 60 लोगों को नामित किया गया है. वकील ने कहा, “लोगों का कहना है कि उत्तराखंड का 40 प्रतिशत हिस्सा जल रहा है, जबकि 0.1 प्रतिशत वन्यजीव क्षेत्र में आग लगी है और ये सब मानव निर्मित था. नवंबर से आज तक, हमारे यहां 398 आग लगी हैं, जो सभी मानव निर्मित हैं.”
Tags: Forest fire, Supreme Court, Uttarakhand news, Uttarakhand News TodayFIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 15:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed