गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत अब घर में रह सकेंगे नजरबंद माननी होंगी ये शर्तें

Big News: एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा के लिए राहतभरी खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मुंबई की घर में नजरबंद रहने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने उन पर कई तरह की पाबंदियां भी लगाई हैं. कोर्ट ने कहा कि नवलखा को एक महीने के लिए घर में नजरबंद करने के दौरान कम्प्यूटर तथा इंटरनेट इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी.

गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत अब घर में रह सकेंगे नजरबंद माननी होंगी ये शर्तें
नई दिल्ली. एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने घर में नजरबंद रखने की उनकी अपील को गुरुवार को सशर्त मंजूरी दे दी. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया उनकी मेडिकल रिपोर्ट खारिज करने की कोई वजह नहीं है. न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने कई शर्तें लगाते हुए कहा कि 70 वर्षीय नवलखा को मुंबई में एक महीने के लिए घर में नजरबंद करने के आदेश को 48 घंटे के भीतर अमल में लाया जाए. पीठ ने कहा, ‘‘मामले के निकट भविष्य में निस्तारण की ओर प्रगति करने के आसार नहीं हैं और आरोप तय नहीं किए जा रहे हैं. हमारा मानना है कि उन्हें एक महीने के लिए घर में नजरबंद करने की अनुमति दी जानी चाहिए.’’ सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा से कहा कि वह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को 2.4 लाख रुपये का भुगतान करे. एनआईए ने दावा किया है कि नवलखा के लिए पुलिस कर्मी उपलब्ध कराने में इतना खर्च आया है. कंप्यूटर-इंटरनेट के इस्तेमाल की मनाही न्यायालय ने यह भी कहा कि नवलखा को एक महीने के लिए घर में नजरबंद करने के दौरान कम्प्यूटर तथा इंटरनेट इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी. पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता घर में नजरबंद रहने के दौरान कम्प्यूटर, इंटरनेट या संचार के किसी अन्य उपकरण का इस्तेमाल नहीं करेंगे. हालांकि, उन्हें पुलिस की मौजूदगी में दिन में एक बार 10 मिनट के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा उपलब्ध कराए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की अनुमति होगी लेकिन बगैर इंटरनेट के.’’ आरोपी नहीं छोड़ सकेंगे मुंबई शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि नवलखा को मुंबई छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी और वह घर में नजरबंद रहने के दौरान किसी भी तरीके से गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे. टेलीविजन देखने और अखबार पढ़ने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन ये इंटरनेट आधारित नहीं होने चाहिए. पीठ ने कहा, ‘‘हम याचिकाकर्ता तथा साथियों से सभी शर्तों का ईमानदारी से पालन करने की अपेक्षा करते हैं. किसी भी उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा और आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जा सकता है.’’ मेडिकल रिपोर्ट से छेड़छाड़ का आरोप शीर्ष न्यायालय ने बुधवार को एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से उसे यह बताने के लिए कहा था कि वह नवलखा को घर में नजरबंद रखे जाने पर किस तरह की पाबंदियां लगाना चाहते हैं. राजू ने गुरुवार को सुनवाई शुरू होने पर कहा कि कहानी में मोड़ है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास यह मानने की वजह है कि मेडिकल रिपोर्ट से छेड़छाड़ की गई है.’’ उन्होंने कहा कि मुंबई में जसलोक हॉस्पिटल द्वारा दायर मेडिकल रिपोर्ट से ‘‘छेड़छाड़’’ होने की आशंका है क्योंकि नवलखा के एक रिश्तेदार चिकित्सक बोर्ड का हिस्सा थे. इस वजह से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बुधवार को कहा था कि मेडिकल रिपोर्ट दिखाती है कि उनका जेल में इलाज किए जाने की संभावना नहीं है. राजू ने याचिका का कड़ा विरोध किया था और कहा था कि नवलखा की सेहत इतनी खराब भी नहीं है कि उन्हें घर में नजरबंद रखा जाए. नवलखा ने मुंबई के पास तलोजा जेल में पर्याप्त चिकित्सा और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी की आशंकाओं के मद्देनजर घर में नजरबंद करने का अनुरोध बंबई उच्च न्यायालय से किया था, लेकिन इसने 26 अप्रैल को यह अनुरोध ठुकरा दिया था. इसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: National NewsFIRST PUBLISHED : November 10, 2022, 17:03 IST