महाराष्ट्र चुनाव का MJ फैक्टर फडणवीस से लेकर उद्धव तक सब हिले
महाराष्ट्र चुनाव का MJ फैक्टर फडणवीस से लेकर उद्धव तक सब हिले
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मनोज जारांगे पाटिल फैक्टर महाविकास अघाड़ी और महायुति दोनों की टेंशन बढ़ा रहा है. हालत ये है कि दोनों अलायंस के नेता जारांगे का नाम तक लेना नहीं चाहते. उन्हें वोट खिसकने का डर है. आइए जानते हैं इसकी इनसाइड स्टोरी.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वैसे तो मुकाबला दो प्रमुख गठबंधनों बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति और कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी के बीच है. लेकिन एक MJ फैक्टर भी बड़ी तेजी से उभरकर सामने आ गया है. जो इन दोनों अलायंस के नेताओं की मुसीबत बढ़ा रहा है. इस चुनाव में यह बिल्कुल नया फैक्टर है, इसलिए किसी को अंदाजा नहीं लग पा रहा है कि इससे नुकसान किसका होगा. इसलिए सब इसे मनाने और भुनाने में जुट गए हैं.
हम बात कर रहे हैं मराठा नेता मनोज जारांगे पाटिल (Manoj Jarange) की. उन्होंने एमएमडी अलायंस बनाया है, जो सभी प्रमुख दलों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि मनोज जारांगे पाटिल ने मराठा, मुस्लिम और दलित वोटरों को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने तमाम सीटों पर कैंडिडेट भी उतारे हैं. दावा है कि राज्य में बड़ा परिवर्तन होगा और उनके अलायंस की सरकार बनेगी.
अलायंस का प्लान और मकसद एमएमडी अलायंस में मनोज जारांगे पाटिल, मुस्लिम धर्मगुरु सज्जाद नोमानी, आनंदराज अंबेडकर और राजरत्न अंबेडकर की पार्टियां शामिल हैं. इन तीनों ने ऐलान किया है कि वे साथ विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. लोगों ने मनोज जारांगे पाटिल को अपना नेता माना है. एमएमडी का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम क्या होगा, ये अभी तक तय नहीं है, लेकिन मुस्लिम धर्मगुरु सज्जाद नोमानी का साफ कहना है कि वे बीजेपी-शिवसेना सरकार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं कर सकते. इसे हटाने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे. जारांगे पाटिल ने कहा-हमें एमएमडी अलायंस बनाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि सरकार ने दलितों, मुसलमानों और मराठों की शिकायतों को नजरअंदाज किया है. इसलिए दलित समुदाय को उम्मीद है कि तीनों समुदाय एक साथ आएंगे और बदलाव लाएंगे. कौन सा कैंडिडेट मैदान में होगा और कौन पर्चा वापस लेगा, इसका ऐलान 4 नवंबर को मनोज जारांगे पाटिल खुद करेंगे. ओबीसी नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है. उनके साथ बैठकें हो रही हैं, जो सभी दलों को टेंशन दे रही है.
गणित क्या है?
महाराष्ट्र में मराठा वोटर लगभग 28 फीसदी हैं. मुस्लिम 7 फीसदी जबकि दलित वोटरों की संख्या 12 फीसदी से ज्यादा है. लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में मराठा, मुस्लिम और दलित वोट लगभग 50 प्रतिशत है. इसलिए कोई भी पार्टी इनसे मुंह नहीं मोड़ सकती.
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
मनोज जारांगे पाटिल की महाराष्ट्र के मराठा समुदाय में अच्छी पकड़ है. कई रैलियां निकालकर वे बीजेपी-शिंदे सरकार को परेशानी में डाल चुके हैं. यही वजह है कि मराठा वोटों के खिसकने के डर से राजनीतिक दल एमएमडी पर बात करने को तैयार नहीं हैं. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एमएमडी चुनाव में फर्क डालेगी. क्योंकि अगर मराठा, दलित और मुस्लिम वोटरों का थोड़ा सा भी हिस्सा खिसकता है, तो चुनाव में बड़ा अंतर ला सकता है. मराठा समुदाय बीजेपी-शिवसेना को वोटर माना जाता है, जबकि दलित और मुस्लिम कांग्रेस-एनसीपी के करीब रहे हैं.
Tags: Devendra Fadnavis, Maharashtra Elections, Rahul gandhi, Sharad pawarFIRST PUBLISHED : November 1, 2024, 23:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed