जाने-माने साइबर क्राइम विशेषज्ञ और लेखक अमित दुबे, भारतीय पुलिस और जांच एजेंसियों के साथ जुड़े हैं और उन्हें अपनी सेवाएं देते हैं. अमित दुबे आईआईटी खड़गपुर से तालीम हासिल कर एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं. अमित दुबे की ‘Return of the Trojan Horse : Tales of Criminal Investigation’ साइबर क्राइम की सच्ची घटनाओं पर आधारित पहली ऐसी किताब थी, जो बेहद लोकप्रिय रही है. अमित ‘हिडन फाइल्स’ नाम से एक रेडियो कार्यक्रम भी करते हैं, जिसमें वे सच्ची घटनाओं और अपने खुद के अनुभवों पर आधारित साइबर क्राइम की रोचक कहानियां सुनाते हैं. अमित दुबे की ‘हिडन फाइल्स’ पर आधारित साइबर क्राइम की सच्ची कहानियों का एक संग्रह ‘अदृश्य जाल’ नाम से ‘अनबाउंड स्क्रिप्ट’ (Unbound Script) से प्रकाशित हुआ है. इस पुस्तक के लेखन में आईपीएस अधिकारी प्रो. त्रिवेणी सिंह ने भी अहम भूमिका निभाई है.
‘अदृश्य जाल’ में साइबर फ्रॉड से जुड़े तमाम किस्से हैं. एक ऐसा ही किस्सा है जिसमें एक महिला को ऑनलाइन बर्गर मंगवाना बहुत मंहगा पड़ा. 470 रुपये के दो बर्गर की कीमत उसे 40,000 रुपये पड़ी. प्रस्तुत है कहानी 40,000 का बर्गर –
सुष्मिता एक मीडिया हाउस में काम करती है और नागपुर की रहने वाली है.
“घर का खाना खाते-खाते बोर हो गई हूं… चलो आज कुछ बाहर का खाते हैं.” सुष्मिता ने अपने पति किशोर से कहा.
“अरे, पर अभी रेस्टोरेंट नहीं खुले हैं.” किशोर ने जवाब दिया. “खुले हैं न, होम डिलीवरी तो हो रही है.” सुस्मिता ने फेसबुक पर कुछ देखते हुए कहा- “मैं अभी कुछ अच्छा-सा मंगवाती हूं.”
सुष्मिता ने ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिए फूड जॉइंट्स ढूंढ़ने शुरू किए. उसने कोई ऑनलाइन फूड आर्डर ऐप खोली और मीनू-ऑप्शन चेक करने लगी.
“अच्छा… बर्गर खाओगे?” उसने किशोर से पूछा.
“ठीक है. फ्रेंच फ्राइज भी मंगवा लेना.” किशोर के मुंह में भी पानी आ गया था.
“ओके, ये लो ये गया ऑर्डर 30-40 मिनट में आ जाएगा. सिर्फ 470 रुपए और यह रही हमारी बढ़िया ट्रीट.”
शी वाज हैप्पी कि आज कुछ नया खाने को मिलेगा. दोनों बैठकर टीवी देखने लगे करीब 30 मिनट बाद किशोर ने सुष्मिता को याद दिलाया-“अरे वह तुम्हारे बर्गर का क्या हुआ… अभी तक तो आ जाना चाहिए था न!”
“हां! अब बर्गर की याद से पेट में और भूख लगने लगी है… अभी तक तो आ जाना चाहिए था. मैं चेक करती हूं.” सुष्मिता फिर मोबाइल ऐप में खो गई.
“अरे! कोई स्टेटस चेंज तो नहीं आ रहा… हो सकता है रास्ते में हो!”
“इससे अच्छा तो घर में कुछ बना लेते.” किशोर ने मुंह बनाते हुए कहा.
“थोड़ा इंतजार भी नहीं कर सकते.” सुष्मिता ने आँखें तरेरी.
थोड़ी देर में सुष्मिता ने फिर से स्टेटस देखा. “अरे यह क्या, हमारा ऑर्डर तो कैंसिल हो गया है!” सुष्मिता ने चौंकते हुए कहा.
“यह लो! मुझे पता था कि इस लॉकडाउन में कोई खाना घर डिलीवर नहीं करने वाला… मैं ही कुछ बनाता हूं.” किशोर उठा और किचन की ओर बढ़ गया. सुष्मिता अभी भी अपने मोबाइल में बिजी थी.
“ऑर्डर तो कैंसिल हो गया पर मेरे पैसे वापिस क्यों नहीं आए!”
“आ जाएंगे… कई बार थोड़ा टाइम लगता है.” किशोर ने किचन से आवाज दी.
शाम हो गई और जब पैसे वापिस नहीं आए तो सुष्मिता ने गूगल पर उस पॉपुलर रेस्टोरेंट चेन का कस्टमर केयर नम्बर ढूँढ़ा. पहली लिंक में ही उसे कस्टमर केयर नम्बर मिल गया.
” हैलो, XYZ रेस्टॉरेंट?” सुष्मिता ने पूछा.
“हैलो, मैं राज यादव बोल रहा हूं… बताइए हम आपकी क्या सेवा कर सकते हैं?” कस्टमर केयर एजेंट ने जवाब दिया.
“आपके रेस्टॉरेंट चेन में मैंने सुबह दो बर्गर का ऑर्डर दिया था… बॉर्डर तो कैंसिल हो गया पर मेरे पैसे नहीं आए अभी तक!” सुष्मिता ने शिकायत की.
“नो इश्यूज मैम ! हमारे सिस्टम में कुछ गड़बड़ हो गई होगी… आप मुझे अपना अकाउंट डिटेल्स बता दीजिए, मैं आपका पेमेंट रिवर्ट कर देता हूं.”
“हां, लिखिए प्लीज… अकाउंट नम्बर..”
और उसके बाद सुष्मिता अपने 400 रुपए वापस पाने के चक्कर में उस कस्टमर केयर एजेंट को सब कुछ बताती चली गई.
“मैडम, आपको एक वेरिफिकेशन कोड आया होगा वह बता हीजिए… इसके बाद पैसे आपके अकाउंट में वापस आ जाएंगे.” कस्टमर केयर एजेंट ने कहा.
सुष्मिता ने जैसे ही वेरिफिकेशन कोड बताया, उसे एक एसएमएस आया-“योर अकाउंट हैज़ बीन डेबिटेड विथ 40,000 रुपए.”
“हैं! यह क्या… मेरे अकाउंट से पैसे किसने निकाले!!” वह एकदम से चौंकी.
“किशोर, तुमने पैसे ट्रांसफर किए हैं क्या?” वह बेडरूम की ओर भागी.
“मैं पैसे क्यों निकालूंगा!” किशोर ने भी आश्चर्य से कहा.
“कुछ गड़बड़ है!” सुष्मिता ने लपक कर उस वेरिफिकेशन कोड का मैसेज देखा.
“अरे! यह तो बैंक का ओटीपी था… मैंने ध्यान ही नहीं दिया!… तो उस कस्टमर केयर वाले ने हमारे पैसे निकाले हैं! “
सुष्मिता ने वापस उस नम्बर पर कॉल करने की कोशिश की बट वह नम्बर अब पिक नहीं हो रहा था.
“रुको, मैं आशुतोष को फोन करता है.” आशुतोष किशोर का दोस्त है जो मुझे जानता है.
आशुतोष ने किशोकर से कहा- “तुम अमित को भी डिटेल दे दो, मैं नम्बर भेजता हूं”
***
आशुतोष के कहने पर किशोर का कॉल मुझ तक पहुंचा. मैंने किशोर से सारी डिटेल्स ले ली कि कौन-सी वेबसाइट पर सुष्मिता को यह कस्टमर केयर नम्बर मिला था, ट्रांजैक्शन आईडी क्या हैं ताकि हम यह पता कर सकें कि पैसा कहां ट्रांसफर हुआ है, आदि. मैं अभी इस केस पर काम कर ही रहा था कि मुझे साइबर सेल से फोन आया कि “सर, इन फ्रॉडस्टर्स ने एक नई तकनीक इजाद कर ली है… सुबह से चार ऐसे केस आ चुके हैं.”
“अब क्या किया?” मैंने अपने साथी अमजद से पूछा.
अरे सर, यह उबेर टैक्सी होती है न… अभी एक डॉक्टर को फोन आया कि वह उबेर के कॉल सेंटर से बोल रहा है. कहा कि इस पैन्डेमिक में डॉक्टर्स जो कर रहे हैं उसके सम्मान में आप लोगों को हमारे कैब यूज करने पर 50% डिस्काउंट दिया जा रहा है. यह डिस्काउंट एक साल तक वैलिड रहेगा. उसने कहा कि वह एक लिंक भेज रहा है और यह डिस्काउंट हासिल करने के लिए डॉक्टर को उस लिंक में मांगी गई सारी जानकारी देनी होगी. उसके बाद यह डिस्काउंट कोड उसके ऐप से लिंक हो जायेगा और साल भर तक डिस्काउंट मिलता रहेगा. डॉक्टर ने दिए गए लिंक पर वे सारी डिटेल भर दी. थोड़ी देर में कॉल सेंटर से फिर फोन आया कि सर आप को एक वेरिफिकेशन कोड आया होगा वह बता दीजिए तो मैं आपका डिस्काउंट ऐप से लिंक कर दूं डॉक्टर को एसएमएस पर जो कोड आया था उसने बता दिया और फिर उसके अकाउंट से 55,000 रुपए निकल गए.
मोड्स ऑपरेंडी काफी सिमिलर थी-क्रिमिनल एक बार रेस्टॉरेंट चेन का कॉल सेंटर एक्जीक्यूटिव बना था और दूसरी बार कैब कम्पनी का. दोनों केस एक ही दिन रिपोर्ट हुए थे.
“एक बार जो हमारे देश भर के साइबर सेल्स के ग्रुप हैं न, उसमें ये दोनों मोबाइल नम्बर डालो और पूछो कि पिछले दो-तीन दिनों में कहीं और भी इस तरह के कोई कंप्लेंट आए हैं क्या?”
थोड़ी देर में ही ग्रुप में करीब आठ लोगों ने जवाब दिया कि अलग- अलग सर्विस ऑफर करने के नाम पर इन्हीं नम्बर से करीब 5 स्टेट्स में क्राइम हुए थे. किसी को बर्गर 40,000 रुपए का पड़ा था तो किसी को टैक्सी 60,000 रुपए की. कोई व्हाट्सऐप में लगी लॉटरी के चक्कर में लुट गया था तो किसी को ‘कौन बनेगा करोड़पति’ से इनाम के चक्कर में खुद के पैसों से हाथ धोना पड़ा. इन कुछ ही नम्बर का उपयोग कर वे लोग अलग-अलग स्टेट्स में क्राइम को अंजाम दे रहे थे. सारे नम्बर की लास्ट लोकेशन निकल गई और उनके सीडीआर भी, जिससे यह तो तय था कि यह एक ही गैंग था… अब जरूरत थी इनकी एक गलती पकड़ने की.
“उसको उसी के गेम में फँसाते हैं न सर! यदि वह विक्टिम को लालच देकर लिंक करवा सकता है तो हम भी कुछ करते हैं न!”
एक नम्बर जो एक्टिव था, हमने उसे फ़ोन लगाया-“हैलो, मैं डॉ. श्रीधर बोल रहा हूं… मैंने एक ऑर्डर किया था और वह कैंसिल हो गया पर रिफंड नहीं आया.”
“नो इश्यूज सर! मैं दीपक शर्मा बोल रहा हूं… आप मुझे अपने बैंक अकाउंट डिटेल दे दीजिए, मैं अभी रिफंड करवा देता हूं.
“ओह सो नाइस ऑफ यू! लिखिए और फिर मैंने उसे कुछ गलत अकाउंट डिटेल्स दे दिए…”
“डॉ. श्रीधर आप को एक कोड आया होगा.”
“नहीं, कोड तो नहीं आया.”
“थोड़ी देर में आ जाएगा.”
इस बीच मैंने नम्बर चेक किया तो वह ओडिशा का ही था.
“अभी कोड आया क्या?”
“नहीं भाई, कोई कोड नहीं आया है.” मैंने उसको थोड़ा जरूरत दिखते हुए कहा. “सुनो यार, मैं अभी हॉस्पिटल में हैं और रिफंड के लिए हम दो- तीन घंटे में बात कर सकते हैं क्या?” मैं उससे थोड़ा टाइम लेकर पुलिस को उस तक पहुंचने का वक़्त देना चाहता था.
“नो इशू सर, मैं दो-तीन घंटे में कॉल करता हूं.”
कॉल एक घंटे बाद ही आ गया पर ये कॉल दीपक का नहीं था. “डॉ. श्रीधर सर, मैं राजन, उबेर टैक्सी से बोल रहा हूं… इस पैन्डेमिक में कम्पनी आपकी सेवाओं को देखते हुए 50% डिस्काउंट ऑफर कर रही है. यह डिस्काउंट आप साल भर तक लगातार अपनी हर बुकिंग पर प्राप्त कर पाएंगे.”
इस कॉल से यह बात तो साफ थी कि ये दोनों गैंग एक ही ग्रुप के हैं. यह अच्छा मौका था… मैंने तुरन्त जवाब दिया- ” 50% डिस्काउंट!.. पर फेसबुक पर मैंने ऐड देखा था तो 60% डिस्काउंट दे रहे हैं.”
“हो सकता है सर… मैं चेक कर लेता हूं.” कॉलर को शायद इस तरह के रिस्पांस की उम्मीद नहीं थी. वह तैयार नहीं था. और मैं बोलता चला गया-“देखिए, मैं आप को यह लिंक भेजता हूं जहां 60% डिस्काउंट की बात की जा रही है… चेक कर लीजिए, फिर बताइए.” मैंने फोन काट के तुरन्त एक लोकेशन ट्रैकिंग लिंक बनाकर राजन को व्हाट्सऐप कर दिया. अब देखना यह था कि राजन लिंक क्लिक करता है या बिना लिंक क्लिक किए कॉल करेगा. 3-4 मिनट में ही उसका कॉल आ गया-उसने लिंक क्लिक नहीं किया था.
“सर, आप सही थे… कम्पनी ने कुछ खास इलाकों में डिस्काउंट 60% कर दिया है. आप डिटेल भर दीजिए, मैं डिस्काउंट अवैल करा देता हूं.”
“देखिए, मैं हॉस्पिटल में हूं… मेरे पास डिटेल भरने का टाइम नहीं है. मैंने एक गूगल डॉक लिंक पर अपने सारे डिटेल डाल रखे हैं… मैं – आपको लिंक भेज देता हूं… आप वहां से डिटेल ले लीजिए और कुछ मिसिंग हो तो मुझ से पूछ लेना.”
फोन काट कर मैंने फिर एक नया लिंक राजन को भेजा. इस लिंक में मेरे फर्जी डिटेल्स थे पर सीवीवी नम्बर नहीं था. इस बार शायद राजन डेस्पेरेट हो चुका था और उसने लिंक क्लिक कर दिया. मुझे उसकी एक्जैक्ट लोकेशन, उसका ब्राउजर डिटेल्स और डिफरेंट लॉगिन आईडी भी मिल गए थे. यह सब बहुत था उस तक पहुंचने के लिए. नजदीक के पुलिस स्टेशन को ताकीद दी गई उसे पकड़ने के लिए. पर राजन का फोन 10 मिनट में ही फिर से आया-“सर आपके कार्ड के पीछे एक तीन डिजिट का नम्बर होगा, वह मिसिंग है. वह दे दीजिए और मैं आपका डिस्काउंट कन्फर्म कर देता हूं.”
“अरे यार, मैं अभी एक इमरजेंसी में हूं… स्टार्टिंग एन ऑपरेशन एंड वॉलेट कैरी नहीं कर रहा हूं. प्लीज कॉल मी इन 3 आर्स.” मैंने उससे थोड़ा टाइम मांगा. ये तीन घंटे बहुत थे उस तक पहुंचने के लिए. राजन पकड़ा गया और उसके साथ उसके बाकी गैंग मेंबर्स भी.
Tags: Cyber Crime, Cyber Fraud, Hindi Literature, New books, Online ShoppingFIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 11:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed