कुपुत्र ने मुंह फेरा तो बेटी ने अर्थी को कंधा और मुखाग्नि देकर मिसाल कायम की
कुपुत्र ने मुंह फेरा तो बेटी ने अर्थी को कंधा और मुखाग्नि देकर मिसाल कायम की
Munger News: बेटा से बेटी भली...बिहार में यह आम कहावत है. इस कहावत को एक बार फिर चरितार्थ किया है मुंगेर की एक बेटी ने. अपने भाई के उसके कर्तव्यों से मुंह फेर लेने के बाद माता-पिता को थाम लिया और सहारा बन गईं. इतना ही नहीं पिता की मृत्यु के बाद इस बेटी ने बेटा बनकर अपना फर्ज निभाया और समाज के लिए मिसाल कायम की.
हाइलाइट्स वृद्ध माता और पिता का बेटे ने कर दिया परित्याग तो बेटी ने पुत्र धर्म का किया पालन. माता-पिता की सेवा से लेकर पिता के अंतिम संस्कार तक की जिम्मेवारी बेटी ने निभाई. मृत्यु के बाद पिता की अर्थी को बेटी ने कंधा दिया, मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया.
मुंगेर.पिता की चिता को पुत्र कंधा देते हैं और मुखाग्नि भी… हमारी यह प्राचीन परंपरा आज भी समाज में कायम है. लेकिन, जमाना बदल रहा है क्योंकि बेटियां अब आगे बढ़कर अपने पिता-माता के लिए हर वो कर्तव्य निभा रही हैं जो एक बेटा कर सकता है. एक बार फिर यह रूढीवादी परंपरा तब टूटती नजर आई जब एक बेटे ने अपने वृद्ध माता-पिता का परित्याग कर दिया गया तो बेटियों ने पिता की मौत के बाद अपना धर्म एवं कर्तव्य निभाया और पिता का अंतिम संस्कार किया. पुत्री ने न केवल पिता की अंतिम यात्रा में श्मशान तक साथ गई, बल्कि वहां उन सभी रीति रिवाजों को निभाया जो एक पुत्र किया करता है.
दरअसल, मुंगेर सुभाष नगर निवासी 73 वर्षीय रमेश चंद्र मुखर्जी अपनी वृद्ध पत्नी के साथ रहते थे. उनके बड़े बेटे ने उन दोनों का कई वर्ष पूर्व ही परित्याग कर दिया था. लेकिन उनकी बेटी राखी मुखर्जी जो कि, स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं, उन्होंने अपने वृद्ध माता-पिता के प्रति अपना कर्तव्य निभाया. बेटी ने पिता और माता को बेटे की कभी कमी महसूस नहीं होने दी. पिछले कुछ माह से रेखा मुखर्जी के पिता रमेश चंद्र मुखर्जी की तबीयत खराब हो गई तो बेटी उन्हें कई बड़े अस्पतालों तक इलाज के लिए गई और सेवा की. स्वर्गीय रमेश चंद्र मुखर्जी की बेटी राखी मखर्जी ने पिता की अर्थी को कंधा दिया.
बेटी के तमाम प्रयासों के बाद भी तबीयत में सुधार नहीं हुआ और उनका निधन हो गया. जानकारी मिलने पर अभी रिश्तेदार, सगे संबंधी, परिचित आ गए. चिता को कौन आग देगा, यह सवाल उठने से पहले ही राखी मुखर्जी ने स्पष्ट कह दिया कि वह ही अपने पिता का अंतिम संस्कार करेंगी. इसके बाद वह पिता की शव यात्रा में शामिल हुईं. मुंगेर लाल दरवाजा स्थित शमशान घाट पर पिता की चिता को मुखाग्नि दे पुत्र धर्म निभाया. श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार की सभी प्रक्रियाओं को निभाती हुई स्वर्गीय रमेश चंद्र मुखर्जी की पुत्री राखी मुखर्जी.
समाज सेवी राकेश कुमार ने बताया कि रमेश मुखर्जी जी के एक पुत्र और पुत्री है. पुत्र ने माता-पिता को छोड़ दिया तब पुत्री राखी मुखर्जी ने अपने कर्तव्यों को याद रखा. अपने माता पिता की भरपूर सेवा की और पिता की मृत्यु के बाद मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया. वहीं, मुखाग्नि दे राखी मुखर्जी ने बताया कि उन्होंने पिता से वादा किया था कि वह अंत तक साथ रहेंगी. उनके ही पिता उनके हीरो थे. आज वह बेहद गौरवान्वित हैं कि उसने अपने पिता को मुखाग्नि दी.
FIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 07:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed