इंजीनियरिंग के छात्रों की खास मुहिम बच्चों को देते हैं मुफ्त शिक्षा

गोमती नदी किनारे रेतीली मिट्टी पर इन नौनिहालों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए कमला नेहरू प्रोद्योगिकी संस्थान के छात्र चेतन गोस्वामी ने अपने कुछ दोस्तों के साथ कोशिश संस्था की शुरुआत साल 2011 में की थी. अपने इन 13 वर्षों के जीवनकाल में इस संस्था ने कई बच्चों के पढ़ाई के सपने को पूरा किया है. इस संस्था में दायित्व स्थानांतरण की परंपरा निभाई जाती है.

इंजीनियरिंग के छात्रों की खास मुहिम बच्चों को देते हैं मुफ्त शिक्षा
सुल्तानपुर. आसमान में मंडराते बादल जब कोशिश की पाठशाला के ऊपर से गुजरता है तो वो भी मुस्कुरा उठता है. पास बहती गोमती नदी जब नौनिहालों की आवाज सुनती है तो उसकी भी लहरें हिलकोरे मारने लगती है. दरअसल, हम आज बात किसी साहित्यिक विषय पर नहीं बल्कि एक ऐसी पाठशाला की चर्चा कर रहे हैं जो पिछले 13 वर्षों से उन बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, जिनके माता-पिता कोचिंग में फीस देने में सक्षम नहीं है. 2011 में हुई थी शुरुआत सुल्तानपुर स्थित केएनआईटी के छात्रों द्वारा साल 2011 से एक संस्था की स्थापना की गई. जिसका नाम कोशिश रखा गया. इस कोशिश संस्था द्वारा चलाई जा रही उम्मीदों की पाठशाला ने बच्चों को उच्च संस्थानों में पढ़ने का बेहतर मौका देना शुरू कर दिया है. गोमती नदी किनारे रेतीली मिट्टी पर इन नौनिहालों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए कमला नेहरू प्रोद्योगिकी संस्थान के छात्र चेतन गोस्वामी ने अपने कुछ दोस्तों के साथ कोशिश संस्था की शुरुआत साल 2011 में की थी. अपने इन 13 वर्षों के जीवनकाल में इस संस्था ने कई बच्चों के पढ़ाई के सपने को पूरा किया है. दायित्व स्थानांतरण की रही है परंपरा केएनआईटी के इंजीनियरिंग छात्रों की तपस्या, संघर्ष और गरीब बच्चों के प्रति दयालु भाव ने आज इस कोशिश संस्था को सुल्तानपुर के नेक कार्यों की सूची में प्रथम स्थान पर रखा है. इस संस्था में बच्चों को शिक्षा देने के लिए दायित्व स्थानांतरण की परंपरा को बरकरार रखा गया है. जिसमें केएनआईटी के जो भी छात्र अपनी पढ़ाई पूरी कर सुल्तानपुर छोड़ते हैं वो अपने इस अध्यापन कार्य को जूनियर साथियों को सौंप देते हैं. 2011 से इस परंपरा को निभाया जा रहा है. प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हें बच्चे केएनआईपीएसएस में राजनीति शास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रंजना सिंह ने लोकल 18 को बताया कि इस कोशिश संस्थान के माध्यम से लगभग 40 से अधिक बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जा रही है और यह शिक्षा गुरुकुल जैसे माहौल में दी जा रही है. इतना ही नहीं इस संस्था द्वारा पढ़े हुए बच्चे आज देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पाकर पढ़ाई कर रहे हैं. जिसमें अंशिका जेएनयू में आनर्स (जापानी भाषा) की डिग्री ले रहीं हैं तो वहीं इसी वर्ष आंचल, महक और जांनिसार का प्रवेश जवाहर नवोदय विद्यालय में हुआ है. खुले आसमां के नीचे संचालित हो रहे इस संस्थान में लिखने के लिए जो ह्वाइट बोर्ड है उसको देशी जुगाड़ से लकड़ी की डंडी के सहारा खड़ा किया जाता है. Tags: Education, Local18, Sultanpur news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 15, 2024, 17:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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