6 बार फेल लेकिन नहीं हारी हिम्मत जानें इस अध्यापक की रोचक कहानी
6 बार फेल लेकिन नहीं हारी हिम्मत जानें इस अध्यापक की रोचक कहानी
Success Story: बलिया में एक शख्स को 5 बार लगातार NET-JRF में असफलता मिली. इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. जहां माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा उनका चयन हिंदी के सहायक अध्यापक के लिए हुआ है.
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, इसका जीता जागता उदाहरण बलिया के सहायक अध्यापक मिथलेश सिंह यादव है. ग्रामीण परिवेश में खेती किसानी और आर्थिक स्थिति को मात देते हुए लगातार 5 बार असफल होने के बाद भी मिथलेश कोशिश कर कैसे अपने सपनों को साकार कर लेते हैं. इसकी कहानी बड़ी रोचक और आज के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है. आइए विस्तार से जानते हैं.
मिथलेश सिंह यादव ने लोकल 18 को बताया कि वो गाजीपुर जिले के गोपालपुर गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता एक किसान थे. गांव के मिट्टी में पले बढ़े और हर प्रकार की खेती भी किया. फिलहाल में मिथलेश श्री मुरली मनोहर टाउन इंटर कॉलेज बलिया में सहायक अध्यापक हिंदी के पद पर ढाई साल से कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि यहां तक पहुंचने के लिए उनको काफी संघर्ष करना पड़ा.
5 बार नेट जेआरएफ में मिली असफलता
मिथलेश ने कहा कि पहले सन 2013 में बिहार में मिडिल स्कूल में एक टीचर था और वहां से मेरा यही संघर्ष था कि किसी तरह अपने प्रदेश में आऊं. उन्होंने कहा कि वह कुछ बड़ा करने के लिए ठान लिया और फिर से तैयारी शुरू कर दी. लगातार 5 सालों तक उच्च शिक्षा के लिए नेट जेआरएफ का परीक्षा देता रहा, लेकिन केवल असफलता ही हाथ लगी. इतनी असफलता के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और 6ठीं बार नेट जेआरएफ की परीक्षा निकाल लिया.
सीधे आयोग से बने सहायक अध्यापक
मिथलेश ने बताया कि लॉकडाउन के समय उनको एक विज्ञापन मिला था, जो माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से जिसमें दिन-रात एक कर मेहनत और तैयारी की. दो पद था, जिसमें एक सहायक अध्यापक और एक प्रवक्ता का था, जिसमें उनका सिलेक्शन प्रवक्ता के लिए न होकर के सहायक अध्यापक के रूप में हो गया.
ग्रामीण परिवेश से की थी पढ़ाई
उन्होंने बताया कि आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण शुरू से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई ग्रामीण परिवेश में ही हुई थी. जिले के ही पीजी स्नातकोत्तर महाविद्यालय से 2012 में MA परीक्षा उत्तीर्ण किया. इसके बाद वाराणसी से B.Ed की पढ़ाई पूरी की. जहां 2013 के बाद पढ़ाई संपन्न होने के उपरांत बिहार सरकार में 6 से 8 तक के शिक्षक बन गए. उन्होंने बताया कि वर्तमान में वह 9 से 10 तक की क्लास में हिंदी के लिए सहायक अध्यापक के पद पर आयोग के द्वारा चयनित हैं.
Tags: Ballia news, Local18, Success StoryFIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 13:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed