भारत विभाजन पर बोले राम माधव: बंटवारा सिर्फ जमीन का नहीं बल्कि दिलों का भी हुआ

Ram Madhav book: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राम माधव ने शनिवार को कहा कि 1947 में विभाजन सिर्फ जमीन का नहीं हुआ, बल्कि दिलों का भी हुआ है. उन्होंने इस विमर्श के प्रति भी आगाह किया कि हिंदू और मुस्लिम साथ नहीं रह सकते. वह दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

भारत विभाजन पर बोले राम माधव: बंटवारा सिर्फ जमीन का नहीं बल्कि दिलों का भी हुआ
हाइलाइट्सविभाजन के विरोध का उद्देश्य महज भूमि का एकीकरण करना नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ना होना चाहिएपुस्तक में दो विभाजनों- 1905 का बंगाल विभाजन और 1947 का भारत-पाकिस्तान विभाजन-की चर्चा की गईराम माधव ने हाल में ‘पार्टिशन्ड फ्रीडम’ पुस्तक लिखी है नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राम माधव ने शनिवार को कहा कि 1947 में विभाजन सिर्फ जमीन का नहीं हुआ, बल्कि दिलों का भी हुआ है. उन्होंने इस विमर्श के प्रति भी आगाह किया कि हिंदू और मुस्लिम साथ नहीं रह सकते. वह दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में एक कार्यक्रम में आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राम माधव ने कहा,‘यदि आज यह विमर्श किया जा रहा है कि हिंदू और मुस्लिम एक साथ नहीं रह सकते हैं तो (मुहम्मद अली) जिन्ना अपनी कब्र में हंस रहे होंगे. हमें इस विमर्श के प्रति सावधान रहना चाहिए.’ ‘स्वतंत्रता और भारत का विभाजन’ पर कार्यशाला राम माधव ने कहा, ‘1947 में जो कुछ हुआ, वह महज जमीन का नहीं, बल्कि दिलों का भी विभाजन था. विभाजन के विरोध का उद्देश्य महज भूमि का एकीकरण करना नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ना होना चाहिए.’ उन्होंने हाल में ‘पार्टिशन्ड फ्रीडम’ पुस्तक लिखी है. उन्होंने ‘स्वतंत्रता और भारत का विभाजन’ विषय पर कार्यशाला सह पुस्तक चर्चा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह कहा. राम माधव में देश के दो विभाजनों का है जिक्र उन्होंने कहा कि उनकी पुस्तक में दो विभाजनों- 1905 का बंगाल विभाजन और 1947 का भारत-पाकिस्तान विभाजन-की चर्चा की गई है. राम माधव ने कहा, ‘ब्रिटिश शासकों को लगा था कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को कमजोर करने का एक तरीका हिंदू और मुस्लिम के बीच दरार पैदा करना हो सकता है, लेकिन ब्रिटिश शासकों को उस विभाजन (1905 के बंगाल विभाजन) को छह साल बाद रद्द करना पड़ा. विभाजन को रोका क्यों नहीं गया? ठीक 35 साल बाद देश का विभाजन हुआ. इसका विरोध या इसे रोका क्यों नहीं जा सका?’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीयू के कुलपति योगेश सिंह ने कहा कि भारत ने लोकतंत्र अपनाने के लिए अन्य देशों को प्रेरित किया है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Delhi University, India Partition History, New Delhi news, Ram MadhavFIRST PUBLISHED : November 13, 2022, 05:30 IST