सुपरटेक ट्विन टावर: बिल्डर्स के लिए नोएडा अथॉरिटी ने ऐसे बदल दिए थे नियम
सुपरटेक ट्विन टावर: बिल्डर्स के लिए नोएडा अथॉरिटी ने ऐसे बदल दिए थे नियम
सुपरटेक के ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) सियान की ऊंचाई 29 मंजिला और एपेक्स की 32 मंजिल है. जानकारों की मानें तो दोनों टावर में विस्फोटक लगाने का काम पूरा कर लिया गया है. अब सिर्फ विस्फोटक (Explosive) के कनेक्शन आपस में जोड़े जा हैं. इसके बाद अगले दो से तीन दिन तक यह जांच की जाएगी कि सभी कनेक्शन आपस में जुड़े हैं या नहीं. या फिर कोई कनेक्शन खुल तो नहीं गया है. विस्फोट से पहले रिर्हसल भी की जाएगी. नोएडा पुलिस (Noida Police) का घेरा अब और सख्त हो गया है.
नोएडा. सुपरटेक के ऊंचे-ऊंचे ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) खड़े होने के पीछे नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) की भूमिका भी कोई कम छोटी नहीं है. खुली आंखों से एनओसी (NOC) जारी करने के दौरान भी नियमों को अनदेखा कर दिया गया. इतना ही नहीं अथॉरिटी की जमीन का पेमेंट चुकाने के नियमों में भी देखते ही देखते बड़े बदलाव कर दिए गए. जिसका फायदा सिर्फ सुपरटेक बिल्डर (Supertech Builder) ही नहीं और दूसरे बिल्डर्स को भी पहुंचा. 2008-09 का यह वो वक्त था जब वैश्विक मंदी के उस दौर में सभी कारोबार कराह रहे थे तो नोएडा (Noida) के कुछ बिल्डर्स मंदी में भी चांदी काट रहे थे.
जानिए कैसे नियमों में फेरबदल कर पहुंचाई बड़ी राहत
ये थे नोएडा अथॉरिटी के नियम-
किसी भी बिल्डर्स को ग्रुप हाऊसिंग का प्लॉट लेने के लिए जमीन की कीमत का 10 फीसद पैसा रजिस्ट्रेशन के वक्त और 20 फीसद आवंटन के वक्त देना होता था. बाकी 70 फीसद पैसा 5 साल के दौरान 10 बराबर किस्तों में चुकाना होता था.
लेकिन जब बदल दिए गए नियम-
नियम बदलने के बाद ग्रुप हाऊसिंग का प्लॉट लेने के लिए जमीन की लागत का 5 फीसद रजिस्ट्रेशन शुल्क और 5 फीसद आवंटन शुल्क कर दिया गया. आवंटन के बाद तीन साल तक बकाया पैसे पर केवल ब्याज लेने का नियम बना दिया गया. वहीं तीन साल बाद 7 सालों में 14 बराबर किस्तों में बाकी 90 फ़ीसदी पैसा देने की रियायत बिल्डर्स को दे दी गई.
Twin Tower Blast के दौरान आने-जाने को इन रास्तों का कर सकते हैं इस्तेमाल
नोएडा अथॉरिटी में तैनात 4 आईएएस ने ऐसे पहुंचाया था फायदा
सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक की एमराल्ड योजना के ट्वीन टावर को गिराने के आदेश दिए हैं. जानकारों की मानें तो निर्माण करते वक्त दो टावर के बीच 16 मीटर की दूरी होनी चाहिए, लेकिन एमरॉल्ट योजना के मामले में ऐसा नहीं किया गया. साल 2009 से 2012 के बीच नोएडा अथॉरिटी में तैनात रहे 4 आईएएस अफसर 2 सीईओ और 2 एसीईओ ने सभी नियमों को ताक पर रखकर बिल्डर्स को फायदा पहुंचाया था. 16 मीटर की दूरी के नियम को ताक पर रखकर 8 ओर 9 मीटर की दूरी पर भी बिल्डर को एनओसी जारी कर दी गई.
आईएएस अफसरों पर अब ऐसे गिरेगी गाज
सुपरटेक बिल्डर के सियान और एपेक्स टावर की जांच के लिए आईआईडीसी संजीव मित्तल की अध्यक्षता में चार सदस्यीय एसआईटी बनाई गई थी. एसआईटी ने 4 आईएएस समेत 26 अफसरों की संलिप्तता बताई थी. अब उसी एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक सिविल सर्विसेज रूल्स की धारा-351 (ए) के तहत रिटायरमेंट से चार साल के अंदर नोएडा अथॉरिटी खुद अनुशासनात्मक कार्रवाई कर कसती है. इसके तहत दोषियों की पेंशन से नुकसान की राशि की रिकवरी भी की जा सकती है. वहीं जिसको रिटायर हुए चार साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है उसके खिलाफ सिविल सूट के जरिए कार्रवाई की जाएगी.
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Tags: IAS, Noida Authority, Supertech twin towerFIRST PUBLISHED : August 25, 2022, 11:49 IST