Jhansi: रोटी-कमल बन गए थे 1857 की क्रांति के प्रतीक अंग्रेज भी नहीं समझ पाए थे लक्ष्मीबाई की मुहिम
Jhansi: रोटी-कमल बन गए थे 1857 की क्रांति के प्रतीक अंग्रेज भी नहीं समझ पाए थे लक्ष्मीबाई की मुहिम
1857 Kranti Maharani Lakshmibai:महारानी लक्ष्मीबाई ने लोगों तक क्रांति का संदेश पहुंचाने के लिए दो प्रतीक चिन्हों को चुना था. यह प्रतीक चिन्ह रोटी और खिला हुआ कमल था. जानें फिर कैसे हुआ कमाल?
रिपोर्ट: शाश्वत सिंह
झांसी. 1857 में क्रांति की चिंगारी देश में हर तरफ धधक रही थी. क्रांतिकारियों द्वारा इस चिंगारी को भरपूर हवा दी जा रही थी, लेकिन इस चिंगारी को लहर बनाने के लिए जरूरी था कि आम नागरिक इस आंदोलन से जुड़ जाएं. दरअसल सभी क्रांतिकारी नेताओं की इच्छा थी कि आम लोगों को इस क्रांति का हिस्सा बनाया जाए़ं. इसके लिए जरूरी था कि हर नागरिक के घर तक क्रांति का संदेश पहुंचाया जाए, लेकिन उस समय चिट्ठियों के माध्यम से यह संदेश पहुंचाना मुमकिन नहीं था. चारों ओर अंग्रेजों का कड़ा पहरा था और हर संदेश पढ़ा जाता था. झांसी में महारानी लक्ष्मी बाई और उनके साथियों ने इसके लिए एक अनोखा तरीका ढूंढ निकाला था.
महारानी लक्ष्मीबाई ने लोगों तक क्रांति का संदेश पहुंचाने के लिए दो प्रतीक चिन्हों को चुना.ये प्रतीक चिन्ह थे रोटी और खिला हुआ कमल. सहायक आचार्य और इतिहासविद नवीन चंद पटेल ने बताया कि हर घर में बनने वाली रोटी और तालाबों में खिलने वाला कमल, क्रांति का प्रतीक चिन्ह भी हो सकता है यह अंग्रेजों के लिए सोचना मुश्किल था. लोगों ने एक दूसरे के घर तक रोटी और कमल पहुंचाया तो क्रांति का संदेश घर-घर तक पहुंच गया. इस रोटी और कमल ने कमाल कर दिया और फिर एक साथ सभी क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी सेना पर हमला कर दिया.
प्रतीक चिन्हों में था खास संदेश
नवीन चंद पटेल ने बताया कि रोटी और कमल को चुनने के पीछे भी एक महत्वपूर्ण कारण था. रोटी इस बात का प्रमाण थी कि आपको अपने लिए भोजन और रसद की तैयारी भी रखनी होगी क्योंकि युद्ध कब तक चलेगा इसका कोई ठिकाना नहीं था. इसी तरह कमल को सुख और समृद्धि के प्रतीक के रूप में चुना गया था. इसके माध्यम से यह सन्देश पहुंचाया गया कि अगर पूरी ताकत से युद्ध लड़ा गया तो अंग्रेजों को भगा दिया जाएगा और सुख समृद्धि वापस आ जाएगी. रोटी और कमल की जोड़ी ने जो कमाल किया था उसी को आज हम 1857 की क्रांति के रूप में याद करते हैं. वहां से उठी क्रांति की लहर ने ही 1947 में हमें आजादी दिलाई थी जिसका अमृत वर्ष आज हम मना रहे हैं.
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Tags: 1857 Kranti, Azadi Ka Amrit Mahotsav, Jhansi newsFIRST PUBLISHED : August 10, 2022, 11:02 IST