जयंती पर विशेष: ठाकुर जसवंत सिंह की वजह से राजनीति के शिखर पर पहुंची थीं फूलन देवी जानें पूरी कहानी
जयंती पर विशेष: ठाकुर जसवंत सिंह की वजह से राजनीति के शिखर पर पहुंची थीं फूलन देवी जानें पूरी कहानी
Story of Most Dreaded Woman: फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को जालौन जिले के पुरवा गांव में हुआ था. मल्लाह परिवार में जन्मी फूलन देवी को ठाकुरों के दुश्मन के रूप में याद किया जाता है. अपने ऊपर हुए अत्याचार का बदला लेने के लिए डकैत फूलन ने 14 फरवरी 1981 को कानपुर के बेहमई में 22 ठाकुरों को मौत की नींद सुला दिया था. लेकिन, यह भी सच है कि बेहमई कांड के बाद एक ठाकुर ने ही फूलन देवी की कदम दर कदम मदद की थी और उन्हें राजनीति का ककहरा पढ़ाया था.
हाइलाइट्ससपा नेता मुलायम सिंह की पहल के बाद फूलनदेवी जब भदोही से सासंद बनीं.चंबल इलाके में सपा की एक सभा हुई थी, जिसमें मुलायम सिंह ने फूलन से कहा था कि ठाकुरों के सम्मान में भी कुछ कहें.तब फूलन ने कहा था कि बेहमई कांड के बाद मेरी सबसे ज्यादा मदद एक ठाकुर ने ही की थी.
इटावा. चंबल घाटी में कभी आतंक का पर्याय रही देश की पहली खूंखार महिला डकैत और फिर सांसद बनीं दस्यु सुंदरी फूलन देवी की आज जंयती मनाई जा रही है. कहा जाता है कि ठाकुरों के प्रति फूलन देवी की बेहद नाराजगी की वजह से बेहमई कांड हुआ था. लेकिन, सच्चाई यह कि अपने खिलाफ हुई ज्यादती से तंग आकर फूलन ने वह खौफनाक कदम उठाया था. हकीकत यह है कि फूलन देवी को चंबल इलाके के एक ठाकुर राजनेता की बदौलत ही राजनीति के शीर्ष तक जाने का मौका मिला.
फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को जालौन जिले के पुरवा गांव में हुआ था. मल्लाह परिवार में जन्मी फूलन देवी को ठाकुरों के दुश्मन के रूप में याद किया जाता है. अपने ऊपर हुए अत्याचार का बदला लेने के लिए डकैत फूलन ने 14 फरवरी 1981 को कानपुर के बेहमई में 22 ठाकुरों को मौत की नींद सुला दिया था. लेकिन, यह भी सच है कि बेहमई कांड के बाद एक ठाकुर ने ही फूलन देवी की कदम दर कदम मदद की थी और उन्हें राजनीति का ककहरा पढ़ाया था.
खुद फूलन ने किया था खुलासा
सपा नेता मुलायम सिंह की पहल के बाद फूलनदेवी जब भदोही से सासंद बनीं तब चंबल इलाके के चकरनगर में समाजवादी पार्टी की एक सभा थी. इसमें मुलायम सिंह भी मौजूद थे. ठाकुर बहुल इलाके में आयोजित इस सभा में मुलायम ने फूलन से कहा कि वह अपने संबोधन में ठाकुरों के सम्मान में भी कुछ कहें. तब फूलन ने इस बात का खुलासा किया कि भले ही मुझे ठाकुरों से नफरत के लिए याद किया जाता है लेकिन, बेहमई कांड के बाद मेरी सबसे ज्यादा मदद एक ठाकुर ने ही की थी.
फूलन ने ठाकुर नेता जसवंत सिंह सेंगर का नाम लेते हुए बताया था कि बेहमई कांड के जब वह गैंग के साथ जंगलों में दर-दर भटक रहीं थीं. तब सेंगर साहब ने ही उन्हें महीनों शरण दी. खाने-पीने से लेकर अन्य संसाधन भी उपलब्ध करवाए.
आठ साल की सजा के बाद राजनीति में
फूलन देवी ने 1983 में 10 हजार लोगों और 300 पुलिस वालों के सामने आत्म समर्पण कर दिया था. तब उन्हें यह भरोसा दिलाया गया था कि मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा. आत्मसमर्पण के बाद फूलन को 8 साल की सजा हुई. 1994 में जेल से रिहा हुईं. फिर राजनीति में एंट्री ली और दो बार संसद बनीं. 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में घर के सामने उनकी हत्या कर दी गई. हत्या में शेर सिंह राणा का नाम आया था. फूलन की हत्या को राजनीतिक षडयंत्र माना जाता है. उनकी हत्या के छींटे उसके पति उम्मेद सिंह पर भी आए. हालांकि वह आरोपित नहीं हुए.
क्या कहते है कि जसवंत सिंह के बेटे…
दिवंगत जसवंत के बेट हेमरूद्र सिंह बताते हैं कि बेहमई कांड के वक्त उनके पिता कांग्रेस नेता और चकरनगर के ब्लाक प्रमुख थे. फूलन और उनके गैंग के सदस्यों ने जब पिताजी से मदद मांगी तो उन्होंने इनकार नहीं किया और एक खेत में सभी के रुकने का बंदोबस्त कर दिया बाद में जब फूलन सांसद बन गईं. तब जसवंत के कहने पर क्षेत्र में कई काम करवाए.
फूलन की मां घोर गरीबी में
फूलन देवी के न रहने के बाद अब उनकी मां घोर गरीबी में जी रही हैं. चंबल फाउंडेशन के संस्थापक शाह आलम के मुताबिक जालौन के शेखपुर गुढ़ागांव में फूलन की मां मूला देवी केवट इन दिनों बहुत कष्ट में हैं. वह गरीबी मेे एक-एक दिन काट रही हैं. फूलन की सबसे छोटी बहन रामकली का भी निधन हो चुका है. अब मूला को कोई सहारा नहीं है.
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Tags: Bandit phoolan devi, Phoolan DeviFIRST PUBLISHED : July 25, 2022, 18:39 IST