बजट 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2024 पेश कर दिया है. इसमें बिहार, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के लिए स्पेशल प्रबंध किए गए हैं. साफ है कि नीतीश कुमा और चंद्रबाबू नायडू का असर इस बजट में दिख रहा है.
ये तस्वीर पहले की है. लेकिन मौजू है. फिलहाल बजट सामने है. अब मंथन चल रहा है. कैसा रहा. किसे क्या मिला. जो टैक्स के दायरे में है वो लंच टाइम में चिल करता दिखा. मुझे क्या फर्क पड़ता है? जो टैक्स दायरे में है वो भी दो तरह के हैं. ओल्ड टैक्स रिजीम वाले और न्यू टैक्स रिजीम वाले. ओल्ड वाले थोड़े हताश हैं. इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ. नए वाले नए टैक्स स्लैब के फायदे गिन रहे हैं. कुल मिलाकर सबको न्यू टैक्स रिजीम में जाना है. आज जाएं, कल जाएं. ये तो तय है. अधिकतम 17500 रुपए का फायदा होने के बाद सैलरी वाले भी उस बहस का बन गए हैं कि कुल मिलाकर कैसा रहा. निर्मला सीतारमण को कितने नंबर देंगे. कोई तपाक से गौतम गंभीर से तुलना करता है. टीम इंडिया में बदलाव पर गौती ने कहा था कि असर धीरे-धीरे नजर आएगा. क्या वाकई बजट 2024 का असर धीरे-धीरे पता चलेगा. मैं तो सहमत हूं. लेकिन कुछ बातें छिपती नहीं है. वो दिखाई दे गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो 2014 से ही एनडीए के नेता हैं लेकिन पहली बार लगा कि गठबंधन सरकार ने बजट पेश किया है.
16+12 की ताकत का एहसास
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुरुआत ही गरीब, महिलाएं, युवा और अन्नदाता से की. लिहाजा बिहार का जिक्र आने की गुंजाइश थी. लेकिन जब जिक्र आया तो फिर ठहर सा गया. वाजपेयी काल की तरह बिहार और आंध्र प्रदेश छाया रहा. नीतीश कुमार के 12 और चंद्रबाबू नायडू के 16 सांसदों का असर बजट में है. भारतीय जनता पार्टी 240 पर सिमट गई तो उसने 273 की चिंता करते हुए साथियों का पूरा सम्मान किया. नायडू और नीतीश दोनों सरकार बनते ही स्पेशल स्टेटस की डिमांड कर रहे हैं. ऐसे में सदन के भीतर जब सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता. तभी से ऐसा लग रहा था कि कुछ और मिल सकता है. बदले में नीतीश – अब हम कहीं नहीं जाएंगे, आपको छोड़ कर जाने वाले नहीं है- रट ही रहे हैं. उधर वाईएसआरसीपी सरकार में घिसटते हुए जेल जा चुके चंद्रबाबू नायडू बदले के मूड में हैं. इसके लिए उन्हें भी डबल इंजन चाहिए.
नालंदा नीतीश कुमार के दिल में बसता है. राजगीर का घोरा कटोरा तो वो जब भी जाते हैं, पटना में पत्रकारों की नींद हराम हो जाती है. दरअसल कई यू-टर्न वाले फैसले लेने से ठीक पहले वो राजगीर जा चुके हैं.
एक्सप्रेस वे, हाई-वे, पुल और कारखाने अटल बिहारी वाजपेयी ने खूब दिए. मिथिलांचल को जोड़ने वाला कोसी महासेतु उन्हीं की देन है. मुंगेर का गंगा पुल, दीघा-सोनपुर पुल, राजगीर हथियार कारखाना, स्वर्णिंम चतुर्भुज योजना से बहुत फायदा हुआ. जब राम विलस पासवान और नीतीश कुमार रेल मंत्री थे तब कुछ न कुछ मिलना तय रहता था. लालू यादव के रहते यूपीए सरकार में भी मढ़ौरा रेल कोच कारखाना मिला. पर पिछले दास साल में पहली बार बिहार पर इतना फोकस बजट के एनेक्सचर में नहीं भाषण में दिखा.
बिहार ने लूटी लहर
पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस, बक्सर-भागलपुर हाई वे, बोधगया-वैशाली-दरभंगा एक्सप्रेस के लिए 26 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान है. नेपाल से हर साल बरसात में आ रही तबाही के लिए 11 हजार करोड़ रुपए. पीरपैंती में पावर प्लांट के लिए 21 हजार करोड़ रुपए. कुल मिलाकर हो गए 58 हजार करोड़ रुपए. इसके अलावा काशी की तरह बोधगया में कॉरिडोर बनेगा और नालंदा-राजगीर को टूरिज्म सेंटर के तौर पर संवारा जाएगा. नालंदा नीतीश कुमार के दिल में बसता है. राजगीर का घोरा कटोरा तो वो जब भी जाते हैं, पटना में पत्रकारों की नींद हराम हो जाती है. दरअसल कई यू-टर्न वाले फैसले लेने से ठीक पहले वो राजगीर जा चुके हैं. शराबबंदी के बाद भी टूरिस्ट गया घूमने आते हैं, इसका भी डेटा नीतीश दे चुके हैं. सड़कें नीतीश काल में ही चमकी हैं और बिजली की फुल वोल्टेज रोशनी भी, इसमें कोई शक नहीं. बजट के प्रावधानों से नीतीश के शुरुआती आठ साल का एजेंडा और मजबूत होगा. अब बिहार के वोटरों की उम्मीदें सड़क-बिजली से आगे बढ़ चुकी हैं, इसलिए 2025 की लड़ाई में इन प्रावधानों का कितना असर होगा,कहना मुश्किल है.
अमृतसर-कोलकाता कॉरिडोर में गया इंडस्ट्रियल हब बनेगा. ये एक बड़ा फैसला है. अगर जल्दी काम शुरू हो जाए तो बनाने में ही हजारों को रोजगार मिल जाएगा और बन कर तैयार हो जाए तो शायद लाखों में. नौकरी का मसला आजकल बहुत संवेदनशील है. इस लिहाज से ये इंडस्ट्रियल हब मयाने रखता है. इस खबर की तस्वीर में पीएम का अभिवादन कर रहे दूसरे नेता चंद्रबाबू नायडू हैं जो नीतीश के साथ वाजपेयी काल में भी सक्रिय रहा करते थे. उन्हें अमरावती के लिए पैसा चाहिए था. तो 15 हजार करोड़ रुपए मिल गए। पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए सरकार राजी हो गई. प्रकाशम समेत तीन जिलों को बैकवर्ड स्टेटस के तहत अलग से फंड मिलेगा. कुल मिलाकर बजट में पूर्वोदय से पोलावरम तक के जिक्र में गठबंधन सरकार की सच्चाई सामने.
असली मुद्दा है नौकरी का. आर्थिक सर्वेक्षण में साफ है कि हर साल सरकार को लगभघ 78 लाख नौकरियां पैदा करनी होंगी. बजट में डायरेक्ट तौर पर सरकारी नौकरी या वैकेंसी की बात नहीं हुई. लेकिन करोड़ों बच्चों को पेड इंटर्नशिप कराने और फ्रेशर को नौकरी देने पर 15 हजार रुपए तक डायरेक्ट बेनिफिट से देने का इंतजाम सरकार ने किया है. इरादा है मुद्रा योजना से स्वरोजगार या प्राइवेट सेक्टर से इसे बढ़ाने काप. बेताब हो रहा युवा कैसे रिएक्ट करता है,इसे देखते हैं.
FIRST PUBLISHED : July 23, 2024, 16:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed