पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में पंजाब नाकाम केंद्र सरकार ने जताई चिंता
पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में पंजाब नाकाम केंद्र सरकार ने जताई चिंता
Punjab News: केंद्र सरकार ने पंजाब मे पराली जलाने की बढ़ती हुई घटनाओं को लेकर चिंता जताई है. केंद्र ने आरोप लगाया है कि पंजाब सरकार ने खेतों में आग को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं. दिल्ली-एनसीआर में पराली जलाने के मुद्दे पर एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि पंजाब सरकार राज्य में खेत की आग को रोकने के लिए समन्वित कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है.
हाइलाइट्सपराली जलाने की घटनाओं को रोकने में पंजाब के नाकाम रहने पर केंद्र सरकार ने जताई चिंताकेंद्र ने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार ने खेतों में आग को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए
रिपोर्ट- एस. सिंह
चंडीगढ़. केंद्र सरकार ने पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती हुई घटनाओं को लेकर चिंता जताई है. केंद्र ने आरोप लगाया है कि पंजाब सरकार ने खेतों में आग को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं. दिल्ली-एनसीआर में पराली जलाने के मुद्दे पर एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि पंजाब सरकार राज्य में खेत की आग को रोकने के लिए समन्वित कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है.
हरियाणा पराली प्रबंधन में पंजाब से बेहतर
अक्टूबर और नवंबर में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण (Air Pollution) के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे आसपास के राज्यों में धान की पराली जलाना एक प्रमुख कारण है. गेहूं और सब्जियों की खेती से पहले फसल के अवशेषों को जल्दी से हटाने के लिए किसान अपने खेतों में आग लगा देते हैं. जिसके बाद प्रदूषण की समस्या विकराल होती जा रही है.
उधर केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी एक बयान में उल्लेख किया है कि हरियाणा में धान की पराली प्रबंधन की स्थिति पंजाब की तुलना में काफी बेहतर है. बयान में कहा गया है कि 15 अक्टूबर तक पिछले साल की तुलना में आग की घटनाओं का रुझान कम था, लेकिन अब यह खासकर पंजाब में तेजी से बढ़ने लगा है. मंत्रालय ने कहा है कि पूसा का बायो-डीकंपोजर एक माइक्रोबियल समाधान है, जो 15-20 दिनों में पराली को खाद में बदल देता है.
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CAQM ने भी पंजाब पर लगाए आरोप
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष एम. एम. कुट्टी ने कहा कि सांविधिक पैनल द्वारा कई बैठकों और प्रयासों के बावजूद पंजाब ने अपर्याप्त कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्य सचिव को अमृतसर में आग की घटनाओं की बढ़ती दर को नियंत्रित करने और पिछले साल की तुलना में राज्य के खेतों में आग के मामलों में 50 फीसदी कमी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था. बैठक में उल्लेख किया गया है कि पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की डिलीवरी में देरी भी मुख्य चिंताओं में से एक है.
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब और हरियाणा सालाना लगभग 27 मिलियन टन धान की पराली पैदा करते हैं, जिसमें से लगभग 6.4 मिलियन टन का प्रबंधन नहीं किया जाता है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार, पंजाब में पिछले साल 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच 71,304 खेतों में आग लगाई गई थी और 2020 में इसी अवधि में 83,002 खेतों में आग लगी.
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Tags: Air pollution, Central government, Punjab newsFIRST PUBLISHED : October 20, 2022, 12:15 IST