OPINION: देशवासियों को कर्तव्य पथ का संदेश- शासन नहीं कर्तव्य से निकलता है सत्ता का रास्ता

Kartavya Path News: दासता के प्रतीकों से मुक्ति की दिशा में ये एक और बड़ा कदम तो है ही. साथ में ये सभी भारतीयों को सन्देश देता है कि नए भारत का रास्ता कर्तव्य से होकर जाता है. ना कि राजशाही सामंती संभ्रांत मानसिकता से.

OPINION: देशवासियों को कर्तव्य पथ का संदेश- शासन नहीं कर्तव्य से निकलता है सत्ता का रास्ता
हाइलाइट्स15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने गुलामी की हर चीज से मुक्त होने की बात कहीसेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थीPM 8 सितंबर को विजय चौक से इंडिया गेट तक पूरे खंड का उद्घाटन करेंगे नई दिल्ली. राजपथ का नाम कर्तव्य पथ करने का काम केवल वही आदमी कर सकता है. जो स्वयं को प्रधानमंत्री की जगह प्रधानसेवक कहता हो. ब्रिटिश शासन के दौरान राजपथ को किंग्सवे के नाम से जाना जाता था. आजाद होने पर किंग्सवे राजपथ बन गया. लेकिन अब ये राजपथ. कर्तव्य पथ हो गया है. प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय को मूर्त रूप देने के लिए नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) ने सात सितंबर को एक विशेष बैठक बुलाई जिसमें राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने के प्रस्ताव को परिषद ने मंजूरी दे दी. अब इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक की पूरी सड़क और क्षेत्र कर्तव्य पथ के नाम से जानी जाएगी. इसके संकेत तभी से मिलने लगे थे. जब 15 अगस्त को आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में लालकिले की प्राचीर से बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने गुलामी की हर चीज से मुक्त होने की बात कही थी. 1911 में किंग जॉर्ज पंचम भारत आए थे. तब अंग्रेजों ने कोलकाता की जगह दिल्ली को ब्रिटिश शासन के अधीन भारत की राजधानी बनाने की घोषणा की. अंग्रेजों ने किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में दिल्ली की इस ख़ास जगह का नाम किंग्सवे रखा था. किंग्सवे यानी राजा का रास्ता. राजपथ… दरअसल किंग्सवे के रूप में यह सड़क ब्रिटिश हुकूमत की शाही पहचान की सबसे बड़ी निशानी रही है. आसपास जो रास्ते बनाये गए उनके जो नाम रखे गए वो सब औपनिवेशिक गुलामी के प्रतीक रहे हैं और देश धीरे-धीरे इन प्रतीकों से बाहर आ रहा है. आजादी के बाद प्रिंस एडवर्ड रोड को विजय चौक. क्वीन विक्टोरिया रोड को डॉ. राजेंद्र प्रसाद रोड. किंग जॉर्ज एवेन्यू रोड का नाम बदलकर राजाजी मार्ग किया गया था. खुद मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल के दौरान 2015 को औरंगजेब रोड का नाम बदलकर मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड रखा गया था. वहीं 2016 में दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास की ओर जाने वाली रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया था तो 2017 में डलहौजी रोड का नाम दाराशिकोह रोड कर दिया गया. अभी कुछ ही दिन पहले नौ सेना के झंडे और निशान को बदल कर अंग्रेज़ी हुकूमत की दासता के एक और प्रतीक चिह्न से मुक्ति पायी गयी. लेकिन राजपथ का नाम बदलना सबसे ख़ास है. ये भारत के प्रधानसेवक के विजन को भी दिखाता है. राजपथ ना केवल किंग्सवे का सरल रूपांतरण है. बल्कि वो अपने साथ दो पहचान भी लाया. पहली कि ये औपनिवेशिक काल की निशानियों में से सबसे प्रखर है. और दूसरी कि राजपथ अपने साथ एक संभ्रांत सामंती मानसिकता भी लाया. इस सड़क को ‘बड़े लोगों’ की सड़क के तौर पर देखा जाता है. ‘कर्तव्य पथ’ से ये सन्देश जाएगा कि ये सड़क राजा या राज की नहीं बल्कि कर्तव्य की है. अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्य का भी बोध हर क्षण रहेगा. कर्तव्य पथ की साज सज्जा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है. कर्तव्य पथ पर दोनों तरफ खूबसूरत हरियाली तो होगी ही. साथ-साथ लाइट्स के ज्यादा टॉवर्स लगाये गए हैं. जो शाम होते ही पूरे रास्ते को रोशनी से गुलज़ार कर देंगे. यहां आने वाले लोगों को न केवल एक बेहतर लंबा पैदल रास्ता मिलेगा. बल्कि हर लॉन में जन सुविधाएं भी मिलेंगी. पूरे क्षेत्र में 400 से ज्यादा बेंच लगाई गई हैं. जिससे कि आसानी से लोग बैठ सकें. सभी तरह के वाहनों के लिए बड़ी पार्किंग भी होगी. और साथ ही सुरक्षाकर्मियों और सीसीटीवी की निगरानी भी. ताकि सुरक्षा के साथ कोई समझौता ना हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ सितंबर की शाम अपनी सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत विजय चौक से इंडिया गेट तक पूरे खंड का उद्घाटन करेंगे. इस खंड में सेंट्रल विस्टा एवेन्यू आता है. जिसमें गणतंत्र दिवस की भव्य और गौरवशाली परेड के लिए भी विशेष स्ट्रक्चर तैयार किए गए हैं. सेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी. 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना की आधारशिला रखी थी. इस योजना में एक नया त्रिकोणीय संसद भवन. एक सामान्य केंद्रीय सचिवालय. तीन किलोमीटर से अधिक का कर्तव्य पथ. नया प्रधानमंत्री आवास. नया प्रधानमंत्री कार्यालय और एक नया उपराष्ट्रपति एन्क्लेव होगा. कर्तव्य पथ केवल एक नया नाम नहीं है. बल्कि प्रधानसेवक का सभी को सन्देश है कि देश की सत्ता के केंद्र का रास्ता शासन का नहीं बल्कि कर्तव्य का है. दासता के प्रतीकों से मुक्ति की दिशा में ये एक और बड़ा कदम तो है ही. साथ में ये सभी भारतीयों को सन्देश देता है कि नए भारत का रास्ता कर्तव्य से होकर जाता है. ना कि राजशाही सामंती संभ्रांत मानसिकता से. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Central Vista project, Narendra modiFIRST PUBLISHED : September 07, 2022, 12:28 IST