बीजेपी और कांग्रेस सरकारों में बैकडोर से भर्तियां 228 रिक्रूटमेंट रद्द 22 की सेवा समाप्त

Dehradun News: विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने 2014 पेज की इस जांच रिपोर्ट के आधार पर 2016 से लेकर 2021 तक की बैकडोर से की गई सभी 228 भर्तियों को रद्द कर दिया. इसमें 150 भर्तियां 2016 में कांग्रेस कार्यकाल में हुई थीं, जबकि बीजेपी कार्यकाल में 2020 में छह और 2021 में 72 भर्तियां की गई थीं. इसके साथ ही उपनल से विधानसभा में की गई 22 भर्तियां भी रद्द कर दी गई हैं.

बीजेपी और कांग्रेस सरकारों में बैकडोर से भर्तियां 228 रिक्रूटमेंट रद्द 22 की सेवा समाप्त
देहरादून. उत्तराखंड विधानसभा स्पीकर ऋतु खंडूरी ने विधानसभा में बैकडोर से हुई 228 भर्तियों को रदद कर दिया है. उपनल से लगाए गए 22 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई है, तो विधानसभा सचिव को सस्पेंड कर दिया गया है. स्पीकर के इस फैसले से सियासत से लेकर विधानसभा तक हड़कंप मचा हुआ है. आइए सिलसिलेवार जानते हैं कि आखिर यह मामला क्या है, और कब क्या हुआ? साल 2022 में अभी तक उत्तराखंड की सियासत में अगर सबसे हॉट कोई मुददा बना तो वो था विधानसभा सचिवालय में बैकडोर भर्तियों का मामला. मामले ने तूल पकड़ा तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष एवं मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के 27 अगस्त को दिए एक बयान से. इसमें उन्होंने इन तमाम नियुक्तियों को वैध बताते हुए इसे स्पीकर का विशेषाधिकार बताया था. फिर क्या था मामले ने इतना तूल पकड़ा कि उसके आगे उत्तराखंड में चल रहे अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक कांड की गूंज भी धीमी पड़ गई. नतीजा सीएम को मोर्चा संभालना पड़ा. इसके बाद 28 अगस्त को सीएम ने स्पीकर को पत्र लिखकर आग्रह किया कि बैकडोर भर्तियों की जांच की जाए. विदेश दौरे से उत्तराखंड लौटते ही तीन अक्टूबर को स्पीकर ऋतु खंडूरी ने जांच के आदेश करते हुए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की. इसमें रिटायर्ड आईएएस अफसर एसएस रावत, डीके कोटिया, अवनेंद्र सिंह नयाल शामिल थे. कमेटी ने 22 अक्टूबर को करीब दो हजार से अधिक पेज की अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी और 23 यानि की शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष ने अपना निर्णय सुना दिया. जांच रिपोर्ट के अनुसार, 1. विधानसभा बैकडोर भर्तियों में सीधी भर्ती के लिये निर्धारित चयन समिति का गठन नहीं किया गया. 2. नियुक्तियों के लिए न कोई विज्ञापन दिया गया न ही कोई सार्वजनिक सूचना दी गयी. 3. व्यक्तिगत आवेदन पत्रों पर नियुक्तियां दे दी गई, कोई एग्जाम आयोजित नहीं किया गया. 4. पात्र को समान अवसर न देकर संविधान के अनुच्छेद-14 एवं 16 का उल्लंघन किया गया. विधानसभा अध्यक्ष ने 2014 पेज की इस जांच रिपोर्ट के आधार पर 2016 से लेकर 2021 तक की बैकडोर से की गई सभी 228 भर्तियों को रद्द कर दिया. इसमें 150 भर्तियां 2016 में कांग्रेस कार्यकाल में हुई थीं, जबकि बीजेपी कार्यकाल में 2020 में छह और 2021 में 72 भर्तियां की गई थीं. इसके साथ ही उपनल से विधानसभा में की गई 22 भर्तियां भी रद्द कर दी गई हैं. यही नहीं 2021 में 32 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था, मार्च 2022 इसके एग्जाम हुए थे, लेकिन रिजल्ट आउट नहीं हो पाया था. जांच में इसमें भी गड़बड़ी पाई गई. सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल की भी इसमें मिलीभगत पाई गई है. लिहाजा, इस भर्ती को भी रदद कर दिया गया और सचिव मुकेश सिंघल को सस्पेंड कर दिया गया. बता दें कि स्पीकर के इस फैसले की चारों ओर सराहना हो रही है. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत से लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटट और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी विधानसभा अध्यक्ष को बधाई दी है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Dehradun news, Uttarakhand newsFIRST PUBLISHED : September 24, 2022, 12:01 IST