मिट्टी में मिल रही महाभारत काल की ऐतिहासिक धरोहर नहीं दे रहा कोई ध्यान

Pilibhit News: पीलीभीत की कई ऐतिहासिक धरोहरें प्रशासन की लापरवाही के चलते उपेक्षित पड़ी हैं. यहां ब्रिटिशकाल, रूहिल्ला शासनकाल और महाभारत काल से जुड़ी महत्वपूर्ण धरोहरें मौजूद हैं. लेकिन, उनके संरक्षण के प्रति कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.

मिट्टी में मिल रही महाभारत काल की ऐतिहासिक धरोहर नहीं दे रहा कोई ध्यान
पीलीभीत: उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला प्राकृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद समृद्ध है. हाल के वर्षों में यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है. लेकिन, जिले के ऐतिहासिक स्थलों की अनदेखी और संरक्षण की कमी चिंता का विषय है. खासकर, शाहगढ़ में स्थित महाभारत काल के समकालीन राजा वेणु का टीला संरक्षण के अभाव में धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. जब देशभर में ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए विभिन्न जागरूकता और संरक्षण अभियानों की शुरुआत की जा रही है, तब पीलीभीत की कई ऐतिहासिक धरोहरें प्रशासन की लापरवाही के चलते उपेक्षित पड़ी हैं. यहां ब्रिटिशकाल, रूहिल्ला शासनकाल और महाभारत काल से जुड़ी महत्वपूर्ण धरोहरें मौजूद हैं. लेकिन, उनके संरक्षण के प्रति कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. राजा वेणु का टीला शाहगढ़ के इस टीले के बारे में ब्रिटिशकालीन भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक एलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी 1862-64 की सर्वे रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख किया था. यह धरोहर महाभारत काल के समय की है और ऐतिहासिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है. लेकिन, इसकी अनदेखी ने इसे मिट्टी में मिलाने के कगार पर पहुंचा दिया है. सामाजिक कार्यकर्ता शिवम कश्यप का प्रयास पीलीभीत के सामाजिक कार्यकर्ता शिवम कश्यप ने इस ऐतिहासिक स्थल को बचाने के लिए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और अन्य संबंधित प्राधिकरणों से संपर्क किया है. शिवम पहले भी जिले की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए प्रयासरत रहे हैं. उनके प्रयासों के चलते रोहिल्ला शासनकाल के दौरान बनाए गए बरेली और कोतवाली दरवाजे को संरक्षित धरोहर के रूप में अंकित किया गया है. इसके अलावा, उन्होंने इलाबांस देवल मंदिर के संरक्षण के लिए भी कई प्रयास किए हैं. पीलीभीत की ऐतिहासिक धरोहरें न केवल जिले की सांस्कृतिक पहचान हैं. बल्कि, ये भारत के गौरवशाली अतीत की अमूल्य धरोहरें भी हैं. इन्हें संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है. ताकि, आने वाली पीढ़ियां भी इनकी महत्ता से परिचित हो सकें. शिवम कश्यप जैसे कार्यकर्ताओं के प्रयासों से उम्मीद है कि इन धरोहरों का संरक्षण संभव हो सकेगा. Tags: Hindi news, Historical monument, Local18, Pilibhit newsFIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 16:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed