Lateral Entry:क्‍या सरकार की अनुमति के बिना ही UPSC ने निकाल दी सीधी भर्तियां

UPSC Lateral Entry: केंद्र सरकार की ओर से संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) से लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन निरस्‍त करने के निर्देश दिए गए है, जिसके बाद यूपीएससी के भर्ती विज्ञापन को लेकर तरह तरह के सवाल उठने लगे हैं.

Lateral Entry:क्‍या सरकार की अनुमति के बिना ही UPSC ने निकाल दी सीधी भर्तियां
UPSC Lateral Entry: यूपीएससी का लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन अब सवालों के घेरे में आ गया है. एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्‍या केंद्र सरकार की अनुमति के बिना ही यूपीएससी ने लेटरल एंट्री का भर्ती विज्ञापन जारी कर दिया? क्‍या सरकार इसके लिए सरकार से सहमति नहीं ली गई थी?. कहा यह भी जा रहा है कि अगर सरकार की सहमति से यह भर्ती विज्ञापन जारी किया गया होता, तो सरकार को इस तरह यूपीएससी को लेटर लिखकर भर्ती विज्ञापन को रद्द करने के लिए नहीं कहना पड़ता. लेटर में यूपीएससी से किया अनुरोध केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री जितेंद्र सिंह की ओर से यूपीएससी के चेयरमैन को जो लेटर भेजा गया है, उसमें कहा गया है कि ये पद विशेषीकृत हैं. ऐसी नियुक्‍तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं रहा है. सामाजिक न्‍याय सुनिश्‍चित कराने के प्रधानमंत्री के लक्ष्‍य के मद्देनजर इस तरह की नियुक्‍तियों की समीक्षा करने और इसमें सुधार लाने की जरूरत है. इसलिए यूपीएससी से लेटरल एंट्री के विज्ञापन को निरस्‍त करने का अनुरोध किया जाता है. सरकार की ओर से यूपीएससी के इस अनुरोध के बाद सवाल यही उठ रहा है कि क्‍या यूपीएससी ने सरकार को इस नियुक्‍ति या भर्ती प्रक्रिया के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी? सरकार ने यूपीए सरकार पर साधा निशाना केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने जो लेटर यूपीएससी को लिखा है, उसमें कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा गया है. लेटर में केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि सैद्धांतिक तौर पर सीधी भर्ती की अवधारणा का समर्थन 2005 में गठित प्रशासनिक सुधार आयोग की तरफ से किया गया था, जिसकी अध्यक्षता वीरप्पा मोइली की तरफ से की गई थी, हालांकि, लेटरल एंट्री को लेकर कई हाई-प्रोफाइल मामले सामने आए हैं. 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने लेटरल एंट्री का सैद्धांतिक अनुमोदन किया था. 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें भी इसी दिशा में थीं हालांकि, इससे पहले और इसके बाद लेटरल एंट्री के कई हाई प्रोफाइल मामले रहे हैं. बता दें कि 2005 में केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए गठबंधन की सरकार हुआ करती थी. ऐसे में इसके माध्‍यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि इस प्रक्रिया की शुरूआत यूपीए सरकार के जमाने में ही हो गई थी. ‘बदनाम’ अधिकारी चलाते थे ब्‍यूरोक्रेसी जितेन्‍द्र सिंह ने अपने लेटर में आगे लिखा है कि पूर्ववर्ती सरकारों में विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों, यूआईडीएआई (UIDAI) जैसे अहम पदों पर आरक्षण की नियुक्ति के बिना लेटरली एंट्री वालों को मौके दिए जाते रहे हैं. इससे आगे उन्‍होंने लिखा है कि यह भी सर्वविदित है कि ‘बदनाम’ हुए राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य सुपर ब्यूरोक्रेसी चलाया करते थे, जो प्रधानमंत्री कार्यालय को नियंत्रित किया करती थी. इस तरह उन्‍होंने उस समय की सरकार को इस तरह की नियुक्‍तियों के लिए जिम्‍मेदार ठहराते हुए निशाना साधा है. Tags: Govt Jobs, Modi Sarkar, PM Modi, UPSC, Upsc exam, Upsc exam result, Upsc result, UPSC resultsFIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 15:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed