डॉक्‍टरों को लेकर बड़ा खुलासा सर्वे में खुले कई राज MBBS करने वाले जरूर पढ़ें

RG Kar Medical Kolkata case, Doctor Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्‍टर के साथ हुए रेप और मर्डर की घटना से सभी डॉक्‍टर सहम गए हैं. डॉक्‍टर्स को लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं. इसी बीच एक सर्वे रिपोर्ट भी चर्चा में है, जिसे एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को भी जान लेना चाहिए.

डॉक्‍टरों को लेकर बड़ा खुलासा सर्वे में खुले कई राज MBBS करने वाले जरूर पढ़ें
RG Kar Medical Kolkata case, Doctor Murder Case: देश भर में डॉक्‍टर आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना का विरोध कर रहे हैं, वहीं कुछ जगहों पर इसको लेकर प्रदर्शन भी हो रहे हैं. इसके अलावा कुछ डॉक्‍टर्स चिकित्‍सकों के लिए प्रोटेक्‍शन एक्‍ट लाने की मांग भी कर रहे हैं, जिससे वह खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें और तनावमुक्‍त होकर अपना काम कर सके. इन सबके बीच एक सर्वे रिपोर्ट का हर तरफ जिक्र हो रहा है. इस रिपोर्ट में डॉक्‍टर्स को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं. इस सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 80 प्रतिशत से अधिक डॉक्‍टर्स अपने प्रोफेशन में स्ट्रेस यानि तनाव महसूस करते हैं, जबकि 60 प्रतिशत से ज्‍यादा डॉक्‍टरों को वॉयलेंस यानि हिंसा का डर रहता है. इसी तरह 46 प्रतिशत से अधिक डॉक्‍टर हिंसा को अपने स्ट्रेस यानि तनाव का प्रमुख कारण मानते हैं. अगर आप भी एमबीबीएस या मेडिकल का कोई कोर्स कर रहे हैं, तो यह रिपोर्ट आपको भी जरूर पढ़नी चाहिए. क्‍या है पूरी रिपोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से एक सर्वे कराया गया था. इस सर्वे रिपोर्ट के हवाले से कई मीडिया रिपोर्ट्स में डॉक्‍टर्स को लेकर कई बातें कही गई हैं. टाइम्‍स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएमए की रिपोर्ट में डॉक्‍टर्स के तनाव डर का खुलासा हुआ है. इस सर्वे के मुताबिक लगभग 82.7% डॉक्‍टर्स अपने प्रोफेशन को लेकर तनाव महसूस करते हैं. इनमें से 62.8% को हिंसा का डर रहता है, तो वहीं 46.3% डॉक्‍टर्स ऐसे हैं, जो हिंसा को ही अपने तनाव का प्रमुख कारण मानते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये आंकड़ें बताते हैं कि मेडिकल प्रोफेशनल्‍स किस तरह के माहौल में काम कर रहे हैं. डॉक्‍टर्स के साथ क्‍यों होती हैं घटनाएं सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि डॉक्‍टर्स के साथ होने वाली घटनाओं के पीछे अधिकतर मिसअंडरस्‍टैंडिंग के कारण होती हैं. दरअसल, मरीज के परिजन जल्‍दी से जल्‍दी मरीज की हालत में सुधार देखना चाहते हैं, लेकिन वह यह नहीं समझ पाते कि दवाओं की या इलाज करने की एक सीमा होती है. डॉक्‍टर्स उसी सीमा तक अपने प्रयास कर सकते हैं. Tags: Indian Medical Association, MBBS student, Medical Education, NEET, Survey reportFIRST PUBLISHED : August 16, 2024, 16:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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