फायदे का सौदा है सूखे क्षेत्रों में मोटे अनाजों की खेती होगा बंपर उत्पादन

मोटे अनाज वे अनाज हैं जिसके उत्पादन में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती. ये अनाज कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी उग जाते हैं. धान और गेहूं की तुलना में मोटे अनाज के उत्पादन में पानी की खपत बहुत कम होती है. इसकी खेती में यूरिया और दूसरे रसायनों की जरूरत भी नहीं पड़ती.

फायदे का सौदा है सूखे क्षेत्रों में मोटे अनाजों की खेती होगा बंपर उत्पादन
रायबरेली : खरीफ फसल का सीजन चल रहा है. धान की फसल इस सीजन की मुख्य फसलों में से एक मानी जाती है. परंतु बारिश के इस मौसम में भारत में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां बहुत कम बारिश होती है या ये बारिश धान की खेती ले लिए पर्याप्त नहीं है. किसान इन क्षेत्रों में मोटे अनाज की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. अगर आप भी एक किसान है और धान से अलग किसी अन्य फसल की खेती करना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. जी हां हम बात कर रहे हैं उन मोटे अनाजों की जो शरीर के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है. सरकार भी मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा दे रही है ताकि लोग स्वस्थ रहें. मोटे अनाज वे अनाज हैं जिसके उत्पादन में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती. ये अनाज कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी उग जाते हैं. धान और गेहूं की तुलना में मोटे अनाज के उत्पादन में पानी की खपत बहुत कम होती है. इसकी खेती में यूरिया और दूसरे रसायनों की जरूरत भी नहीं पड़ती. इसलिए ये पर्यावरण के लिए भी बेहतर होता है. साथ ही किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा भी होता है. खास बात यह है कि मोटे अनाज का सेवन करने से कई तरह की रोग अपने- आप ठीक हो जाते हैं.तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं कि खरीफ के सीजन में किस तरह के मोटे अनाजों की खेती हम कर सकते हैं. मोटे अनाजों में मुनाफा अधिक कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी कृषि दिलीप कुमार सोनी (बीएससी एजी ) बताते हैं कि सरकार मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को लगातार जागरुक कर रही है . जिससे किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. खरीफ के सीजन में अधिकतर किसान धान की खेती करते हैं.परंतु किसान अब मोटे अनाजों की ओर रुख कर रहे हैं. जिससे वह इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इन फसलों को ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती है. इसीलिए यह सूखाग्रस्त क्षेत्रों में भी आसानी से उगाई जा सकती हैं. 80 से 120 दिन होगी फसल तैयार दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि मोटे अनाजों यानी कि मिलेट्स की श्रेणी में आने वाली फसल 80 से 120 दिन में तैयार हो जाती है. जो धान की फसल की तुलना में बेहद कम है. बदलते दौर के साथ ही बाजारों में मोटे अनाजों की मांग बढ़ती जा रही है.जिससे यह आसानी से अच्छे दामों में बिक भी जाता हैं. ये हैं मुख्य मोटे अनाज दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, कोदो, कुटकी, चना मुख्य मोटे अनाज हैं जो अपने पोषण गुणों और सीमित व्यवस्थाओं में अधिक पैदावार देने के लिए जाने जाते हैं. जून-जुलाई का महीना मोटे अनाजों की खेती के लिए अच्छा माना जाता है. यह हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं. इसके अलावा पशुओं का भी मुख्य आहार माना जाता है. मोटे अनाजों की खेती सूखाग्रस्त इलाकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं एवं किसानों की आय बढ़ाने व जल संरक्षण में भी सहायक होती है. Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Uttarakhand newsFIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 17:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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