देश के पहले ‘बुलबुला’ कलाकार विक्रम 5-6 महीनों तक बाथरूम में करते थे प्रैक्टिस
देश के पहले ‘बुलबुला’ कलाकार विक्रम 5-6 महीनों तक बाथरूम में करते थे प्रैक्टिस
डान्सर बनने आए थे मुंबई पर हालातों ने बदल दिया रास्ता. बुलबुलों की कला में निपूर्ण होने के लिए तीन सालों तक थे बेरोज़गार ... पर आज उसी कला से कमाते हैं लाखों.
आपने सपनों के बुलबुले के बारे में तो कई दफ़ा सुना होगा, लेकिन क्या कभी सोचा है कि शायद सच में ये बुलबुले किसी के सपने साकार कर सकते हैं? अगर नहीं, तो आज आपको मिलवाते हैं देश के पहले बुलबुला कलाकार से, जिन्होंने ना सिर्फ बुलबुलों की कला से अपने सपने साकार किए, बल्कि बुलबुलों को भी दिए हैं कई अकल्पनीय आकार. जिसकी हम बात कर रहे हैं वह कलाकार हैं उत्तराखंड के रहने वाले देश के पहले बुलबुला कलाकार विक्रम सिंह. वह सोशल मीडिया और अपने दोस्तों के बीच ‘रोबो विक्रम’ के नाम से खूब मशहूर हैं. इस नाम के पीछे के कारण और उनके सफ़र के बारे में विस्तार से जानने के लिए न्यूज 18 ने विक्रम सिंह के साथ बातचीत की.
विक्रम बताते हैं कि वह उत्तराखंड के एक छोटे से गांव से आते हैं और उन्हें बचपन से ही डांस का बहुत शौक था. लेकिन, उत्तराखंड में डांस सीखने का कोई ज़रिया उपलब्ध ना होने के कारण उन्हें खुद ही सब कुछ सीखना पड़ा. अपने शौक के चलते वह टीवी के माध्यम से खुद ही डांस सीखने लगे और कुछ समय में ही वही काफ़ी अच्छा रोबाटिक डांस करने लगे.
वह टीवी से जो कुछ भी नया सीखते, उसे अपने दोस्तों के सामने प्रस्तुत ज़रूर करते थे. धीरे-धीरे विक्रम अपने डांस की वजह से अपने आस-पास के लोगों में काफ़ी चर्चित होने लगे और उनके रोबाटिक डांस के मुरीद हो कर लोग उन्हें ‘रोबो विक्रम’ बुलाने लगे. फिर सोशल मीडिया और उनके दोस्तों के बीच यह नाम ही उनकी पहचान बन गई.
दोस्तों और आस-पास के लोगों में लोकप्रियता बटोरने के बाद वह निकल पड़े अपने डांस के माध्यम से कुछ बड़ा हासिल करने की चाह लिए.
आंखों में कई सपने और जेब में चंद रुपए लिए, लाखों अन्य लोगों की तरह विक्रम भी अपने सपनों की उड़ान भरने जा पहुंचे सपनों की नगरी मुंबई.
आसान नहीं थी नए सफ़र की शुरुआत –
वह बताते हैं कि 2012 में मन में डान्सर बनने की आकांक्षा लिए जब वह मुंबई पहुंचे तो उनका सफ़र बिल्कुल भी आसान नहीं था. वह कहते हैं ना जो सब कुछ दे सकता है, वह सब कुछ छीन भी सकता है, कुछ ऐसा ही हाल है इस शहर का. इस शहर ने उन्हें दर -ब-दर भटकने के लिए भले ही मजबूर कर दिया हो पर विक्रम के चट्टान ठोस साहस को ना हिला सका.
नए शहर में नए बसेरे की तलाश और सपनों को हक़ीक़त में तब्दील करने की जद्दोजहद के बीच विक्रम ने एक छोटी सी नौकरी करने का फ़ैसला किया और उसके साथ ही वह लग गए डांस सीखने की कोशिश में. डांस की प्रोफेशनल ट्रैनिंग के लिए वह अलग-अलग अकादमी के दरवाज़े खट-खटाते, और ज़्यादातर जगहों से निराशा मिलने के बाद जब उन्हें कहीं किसी अकादमी में दाखिला मिलता तो छोटे-छोटे बच्चों के साथ डांस सीखने में उन्हें शर्मिंदगी का एहसास होता. इस कारण वश वह फिर उस अकादमी को छोड़ खुद ही सीखना शुरू कर देते थे.
जानिए कैसे की डांस छोड़ ‘बुलबुला कलाकार’ बनने की शुरुआत?
वह कहते हैं कि जब भी वह किसी ट्रेनर के सामने अपनी टीवी पर आने की इच्छा ज़ाहिर करते तो लोग उनका मज़ाक उड़ाते और कहते कि केवल बचपन से डांस सीख रहे लोग या फिर कोई जुगाड़ू व्यक्ति ही टीवी शो का हिस्सा बन सकता है. लेकिन लोगों की बात को अनसुना करते हुए उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी और फिर एक दिन उन्हें उनकी मेहनत का फल मिला, जब उनका चयन हुआ सोनी टीवी के एक शो ‘एंटेरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ में. इस शो के वह आखिरी चरण तक पहुंचने में सफ़ल रहे थे. इस शो ने उनके डांस में अपना मुकाम हासिल करने के जज़्बे को दोगुना कर दिया था पर शायद उनकी किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था.
उन्होंने इस शो की सफ़लता के बाद कामयाबी की सीढ़ी पर अपना पहला कदम रखा ही था कि कुछ ऐसी घटनायें हुईं जिन्होंने विक्रम की ज़िंदगी का रास्ता हमेशा के लिए ही बदल दिया.
लगातार कई सारे शो द्वारा रिजेक्ट होने पर वह निकल पड़े अपने लिए एक नए रास्ते की खोज में. इंटरनेट और यू ट्यूब की मदद से वह मुखातिब हुए ‘बुलबुला कला’ से. इस कला से प्रभावित हो कर उन्होंने इसे सीखने का निर्णय लिया .
कई महीनों के निरंतर प्रयास और कठिन परिश्रम के बाद उन्होंने इस कला में अपने हाथ जमा लिए और फिर शुरुआत हुई उनके एक नए सफ़र की.
आपको बतादें कि उनको बुलबुलों के लिए एक पेरफ़ेक्ट घोल ईजाद करने में चार से पांच महीनों का वक़्त लगा था. उनके मुताबिक इस घोल को बनाते वक़्त उन्होंने हर प्रकार के साबुन का प्रयोग किया था. लोगों को उनके कारण असुविधा ना हो इसलिए वह बाथरूम में अभ्यास करते थे.
जॉब के साथ ही सीखते थे बुलबुलों की कला –
वह कहते हैं कि जब उन्होंने इस कला को सीखना शुरू किया था तो वह अपनी नौकरी के साथ ही इस कला को जारी रखते थे पर कुछ समय बीतने के बाद उन्होंने अपना पूरा समय इस कला को समर्पित करने के बारे में सोचा और नौकरी छोड़ दी.
करीबन 3 साल तक वह बेरोज़गार थे पर उन्हें इस बात का ज़रा भी मलाल नहीं है क्योंकि उनके मुताबिक एक कलाकार की पहली प्राथमिकता हमेशा उसकी कला होती है.
तीन साल तक उन्होंने अपनी कला का निरंतर अभ्यास और सुधार किया और इसमें निपूर्ण होने के बाद शुरुआत की टीवी शो में हिस्सा लेने की.
टीवी पर पहली बार की बुलबुलों की कला की प्रस्तुति–
विक्रम, भारत के पहले बुलबुला कलाकार हैं. उन्होंने टीवी पर इसकी प्रस्तुति की शुरुआत की थी एक तेलुगु टीवी शो से जिसके बाद उन्होंने कलर्स टीवी पर प्रसारित होने वाले शो हुनरबाज़- देश की शान में भी हिस्सा लिया था.
अब वह निजी आयोजनों में भी प्रस्तुति करते हैं. उनकी ज़्यादातर आमदनी कॉर्पोरेट ईवेंट से होती है और इसके अलावा वह शादियों में भी प्रदर्शनी करते हैं.
खोली है खुदकी डांस अकादमी –
वह बताते हैं कि उन्होंने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर अपनी एक डांस अकादमी खोली थी जिसमें 150 से 200 बच्चे थे पर कोरोना के दौरान अकादमी बंद करनी पड़ी और अभी फिलहाल कुछ ही बच्चे आते हैं.
कोरोना के दौरान गुज़रे थे बहुत बुरे संकट से–
इस बात में कोई दोराय नहीं है कि कोरोना के दौरान मनोरंजन उद्योग का सबसे बुरा हाल था. पूरी तरह से यह इंडस्ट्री ठप हो गई थी, जिसके वजह से कलाकारों का बहुत ही बुरा हाल हो गया था. वह कहते हैं कि केवल एक या दो शो ही ऑनलाइन होते थे जिससे जीवन व्यतीत में थोड़ी- बहुत मदद मिल जाती थी.
बुलबुलों की कला को बनाया जा सकता है पेशा–
वह कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति इस कला को अपना पेशा बनाना चाहता है तो वह बेशक इसे सीख सकता है और इसे अपनी कमाई का साधन बना सकता है. लेकिन उनका मानना है कि इस कला में निपूर्ण होने के लिए सहनशीलता और धैर्य का होना आवश्यक है.
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