जब भरे कोर्ट में जज ने कहा- कानून लागू नहीं हुआ है CJI कर चुके हैं
जब भरे कोर्ट में जज ने कहा- कानून लागू नहीं हुआ है CJI कर चुके हैं
Supreme Court News:भरे कोर्ट में जब याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का इरादा जताया तो जस्टिस त्रिवेदी ने तिवारी से कहा कि अगर उन्होंने मामले पर बहस की होती तो याचिका जुर्माने के साथ खारिज कर दी गई होती.
नई दिल्ली. संसद द्वारा पास किए गए कानून भारतीय न्याय संहिता और नागरिक सुरक्षा संहिता कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. यह याचिका वकील विशाल तिवारी ने दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने की मांग की थी. याचिकाकर्ता की मांग थी कि रिटायर्ड जज नए कानून का परीक्षण करें. इतना ही नहीं साथ ही नए कानून पर भी रोक लगाने की मांग की गई है. याचिका में यह भी कहा गया है कि जब यह कानून संसद में पेश किया गया तो उस समय संसद में व्यापक चर्चा नहीं हुई, क्योंकि उस समय अधिकतर सांसदों को निलंबित कर दिया गया था.
तीनों नए कानून (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) 1 जुलाई से लागू हो रहे है. यह मौजूदा कानून-आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (20 मई) को भारतीय दंड संहिता 1860, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 को बदलने के लिए संसद द्वारा बनाए गए नए आपराधिक कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है.
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की वीकेशन बेंच ने याचिकाकर्ता तिवारी से कहा कि वह इस मामले को खारिज कर रहे हैं. हालांकि तिवारी ने अपनी चिंताओं को उठाते हुए सरकार के सामने एक रिप्रजेंटेशन दायर करने की मांग भी की थी, हालांकि पीठ ने इनकार कर दिया. भरे कोर्ट में जब याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का इरादा जताया तो जस्टिस त्रिवेदी ने तिवारी से कहा कि अगर उन्होंने मामले पर बहस की होती तो याचिका जुर्माने के साथ खारिज कर दी गई होती.
जस्टिस मिथल ने कहा कि याचिका को अनौपचारिक तरीके से तैयार किया गया है. जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि कानून लागू नहीं हुआ है. फरवरी में CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इसी तरह की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि कानून अभी तक लागू नहीं हुए हैं. नए आपराधिक कानूनों को 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद 3 जनवरी, 2024 को जनहित याचिका दायर की गई थी.
Tags: CJI, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : May 20, 2024, 13:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed